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-[[अभिमन्यु]] को शिक्षा देना | -[[अभिमन्यु]] को शिक्षा देना | ||
+[[अश्वत्थामा]] को क्षमा करना | +[[अश्वत्थामा]] को क्षमा करना | ||
||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। [[महाभारत]] युद्ध में ये [[कौरव]]-पक्ष के एक सेनापति थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]] | ||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। [[महाभारत]] युद्ध में ये [[कौरव]]-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]] | ||
{[[कृष्ण]] के वंश का नाश होने का कारण क्या था? | {[[कृष्ण]] के वंश का नाश होने का कारण क्या था? | ||
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-[[दुर्वासा]] का श्राप | -[[दुर्वासा]] का श्राप | ||
-[[विश्वामित्र]] का श्राप | -[[विश्वामित्र]] का श्राप | ||
||[[गांधारी|गान्धारी]] [[गांधार|गान्धार]] देश के सुबल नामक राजा की कन्या थी। इसीलिए इसका नाम गान्धारी पड़ा। गान्धारी [[धृतराष्ट्र]] की पत्नी और [[दुर्योधन]] आदि की माता थीं। [[शिव]] के वरदान से गांधारी के 100 पुत्र हुए, जो [[कौरव]] कहलाये। गान्धारी पतिव्रता के रूप में आदर्श थीं। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधारी]] | ||[[गांधारी|गान्धारी]] [[गांधार|गान्धार]] देश के सुबल नामक राजा की कन्या थी। इसीलिए इसका नाम गान्धारी पड़ा। गान्धारी [[धृतराष्ट्र]] की पत्नी और [[दुर्योधन]] आदि की माता थीं। [[शिव]] के वरदान से गांधारी के 100 पुत्र हुए, जो [[कौरव]] कहलाये। गान्धारी पतिव्रता के रूप में आदर्श थीं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधारी]] | ||
{[[युधिष्ठिर]] के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था? | {[[युधिष्ठिर]] के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था? | ||
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-[[अम्बिका]] | -[[अम्बिका]] | ||
+[[सत्यवती]] | +[[सत्यवती]] | ||
||सत्यवती एक निषाद कन्या थी। ऋषि [[पराशर]] से इनके एक पुत्र थे जिनका नाम [[व्यास]] था। ये साँवले रंग के थे तथा यमुना के बीच स्थित एक द्वीप में उत्पन्न हुए थे। अतएव ये साँवले रंग के कारण 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाये। सत्यवती ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सत्यवती]] | ||सत्यवती एक निषाद कन्या थी। ऋषि [[पराशर]] से इनके एक पुत्र थे जिनका नाम [[व्यास]] था। ये साँवले रंग के थे तथा यमुना के बीच स्थित एक द्वीप में उत्पन्न हुए थे। अतएव ये साँवले रंग के कारण 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाये। सत्यवती ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सत्यवती]] | ||
{[[महाभारत]] युद्ध का सेनापतित्त्व किसने किया? | {[[महाभारत]] युद्ध का सेनापतित्त्व किसने किया? | ||
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-[[अश्वत्थामा]] | -[[अश्वत्थामा]] | ||
-[[कृपाचार्य]] | -[[कृपाचार्य]] | ||
||शल्य, मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शल्य]] | ||शल्य, मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शल्य]] | ||
|| अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]] | || अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]] | ||
{[[बल्लव]] किसका दूसरा नाम था? | {[[बल्लव]] किसका दूसरा नाम था? | ||
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-[[कर्ण]] | -[[कर्ण]] | ||
-[[नकुल]] | -[[नकुल]] | ||
||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम भीम अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह गदा युद्ध में पारंगत था । [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री[[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। भीम बलशाली होने के साथ साथ बहुत अच्छा रसोइया भी था । [[विराट नगर]] में जब अज्ञातवास के समय जब द्रौपदी सैरंध्री बनकर रह रही थी, द्रौपदी के शील की रक्षा करते हुए उसने [[कीचक]] को भी मारा था।{{point}} | ||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम भीम अथवा भीमसेन था। भीम में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह गदा युद्ध में पारंगत था । [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री[[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। भीम बलशाली होने के साथ साथ बहुत अच्छा रसोइया भी था । [[विराट नगर]] में जब अज्ञातवास के समय जब द्रौपदी सैरंध्री बनकर रह रही थी, द्रौपदी के शील की रक्षा करते हुए उसने [[कीचक]] को भी मारा था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीम]] | ||
{बभ्रु वाहन किसका पुत्र था? | {बभ्रु वाहन किसका पुत्र था? | ||
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-[[अभिमन्यु]] | -[[अभिमन्यु]] | ||
-[[कर्ण]] | -[[कर्ण]] | ||
||[[चित्र:krishna-arjun1.jpg|right|100px|अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]], [[वायु देव|वायु]] एवं [[इन्द्र]] देवता का आवाहन किया। अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इन्द्र से हुए। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अर्जुन]] | ||[[चित्र:krishna-arjun1.jpg|right|100px|अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। पाण्डु एवं कुन्ती ने इस वरदान का प्रयोग किया एवं [[धर्मराज (यमराज)|धर्मराज]], [[वायु देव|वायु]] एवं [[इन्द्र]] देवता का आवाहन किया। अर्जुन तीसरे पुत्र थे जो देवताओं के राजा इन्द्र से हुए।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अर्जुन]] | ||
{[[अर्जुन]] के [[धनुष]] का नाम क्या था? | {[[अर्जुन]] के [[धनुष]] का नाम क्या था? | ||
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-[[कर्ण]] | -[[कर्ण]] | ||
-[[दुशासन|दुःशासन]] | -[[दुशासन|दुःशासन]] | ||
||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|100px|[[कृष्ण]]]]सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार माने जाते हैं । श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में [[भारत]] को एक प्रतिभासम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका [[गीता]]- ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।{{point}} | ||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|100px|[[कृष्ण]]]]सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार माने जाते हैं । श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में [[भारत]] को एक प्रतिभासम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका [[गीता]]- ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कृष्ण]] | ||
{पार्थ किसका दूसरा नाम है? | {पार्थ किसका दूसरा नाम है? | ||
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-[[अश्वत्थामा]] | -[[अश्वत्थामा]] | ||
||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|100px|अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था [[द्रौपदी]] को स्वयंम्वर में जीतने वाला वो ही था। पांडु की ज्येष्ठ पत्नी वासुदेव [[कृष्ण]] की बुआ कुंती थी जिसने इन्द्र के संसर्ग से अर्जुन को जन्म दिया। कुंती का एक नाम पृथा था, इसलिए अर्जुन 'पार्थ' भी कहलाए। वाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए। {{point}} | ||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|100px|अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था [[द्रौपदी]] को स्वयंम्वर में जीतने वाला वो ही था। पांडु की ज्येष्ठ पत्नी वासुदेव [[कृष्ण]] की बुआ कुंती थी जिसने इन्द्र के संसर्ग से अर्जुन को जन्म दिया। कुंती का एक नाम पृथा था, इसलिए अर्जुन 'पार्थ' भी कहलाए। वाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अर्जुन]] | ||
{भगवान [[कार्तिकेय]] का वाहन क्या है? | {भगवान [[कार्तिकेय]] का वाहन क्या है? | ||
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+[[मोर]] | +[[मोर]] | ||
||[[चित्र:Peacock-2.jpg|right|100px|[[मोर]]]]मोर भगवान कार्तिकेय का प्रिय वाहन है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही [[भारत]] सरकार ने [[26 जनवरी]], [[1963]] को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। भारतीय जनमानस के मन में बसा और आस्थाओं से रचाबसा पक्षी मोर, पावों क्रिस्तातुस, [[भारत]] का राष्ट्रीय पक्षी है। इसकी दो प्रजातियाँ हैं- नीला या भारतीय मोर (पैवो क्रिस्टेटस), जो [[भारत]] और [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व सीलोन) में पाया जाता है। हरा या जावा का मोर (पि. म्यूटिकस), जो [[म्यांमार]] (भूरपूर्व बर्मा) से जावा तक पाया जाता है।{{point}} | ||[[चित्र:Peacock-2.jpg|right|100px|[[मोर]]]]मोर भगवान कार्तिकेय का प्रिय वाहन है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही [[भारत]] सरकार ने [[26 जनवरी]], [[1963]] को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। भारतीय जनमानस के मन में बसा और आस्थाओं से रचाबसा पक्षी मोर, पावों क्रिस्तातुस, [[भारत]] का राष्ट्रीय पक्षी है। इसकी दो प्रजातियाँ हैं- नीला या भारतीय मोर (पैवो क्रिस्टेटस), जो [[भारत]] और [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व सीलोन) में पाया जाता है। हरा या जावा का मोर (पि. म्यूटिकस), जो [[म्यांमार]] (भूरपूर्व बर्मा) से जावा तक पाया जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मोर]] | ||
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12:17, 26 मई 2011 का अवतरण
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