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-[[युधिष्ठिर]] की प्रतिज्ञा
-[[युधिष्ठिर]] की प्रतिज्ञा
+[[द्रौपदी]] के केश
+[[द्रौपदी]] के केश
||[[दुशासन]] ने [[द्रौपदी]] को केश पकड़कर खींचा था। उसके बाद द्रौपदी ने अपने केश सदैव खुले रखे, और उसके केश ही [[महाभारत]] का कारण बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रौपदी]]
||[[दुशासन]] ने [[द्रौपदी]] को केश पकड़कर खींचा था। उसके बाद द्रौपदी ने दुशासन की मृत्यु होने तक अपने केश खुले रखने की प्रतिज्ञा की थी, और उसके केश ही [[महाभारत]] का कारण बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[द्रौपदी]]


{[[महाभारत]] युद्ध में [[भीष्म]] ने कितने दिन युद्ध किया?
{[[महाभारत]] युद्ध में [[भीष्म]] ने कितने दिन युद्ध किया?
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-12  दिन
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-18 दिन
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||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|[[महाभारत]] युद्ध में [[भीष्म]] [[कृष्ण]] की प्रतिज्ञा भंग करवाते हुए]][[महाभारत]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्मग्रन्थों का समूह है जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। दसवें दिन [[अर्जुन]] ने वीरवर [[भीष्म]] पर बाणों की बड़ी भारी वृष्टि की। इधर [[द्रुपद]] की प्रेरणा से [[शिखण्डी]] ने भी पानी बरसाने वाले मेघ की भाँति भीष्म पर बाणों की झड़ी लगा दी। दोनों ओर के हाथीसवार, घुड़सवार, रथी और पैदल एक-दूसरे के बाणों से मारे गये। भीष्म की मृत्यु उनकी इच्छा के अधीन थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महाभारत]]
||[[चित्र:Bhishma1.jpg|right|100px|[[महाभारत]] युद्ध में [[भीष्म]] [[कृष्ण]] की प्रतिज्ञा भंग करवाते हुए]][[महाभारत]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो [[हिन्दू धर्म]] के उन धर्मग्रन्थों का समूह है जिनकी मान्यता श्रुति से नीची श्रेणी की हैं और जो मानवों द्वारा उत्पन्न थे। दसवें दिन [[अर्जुन]] ने वीरवर [[भीष्म]] पर बाणों की बड़ी भारी वृष्टि की। इधर [[द्रुपद]] की प्रेरणा से [[शिखण्डी]] ने भी पानी बरसाने वाले मेघ की भाँति भीष्म पर बाणों की झड़ी लगा दी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महाभारत]]


{[[द्रौपदी]] का महान कार्य क्या था?
{[[द्रौपदी]] का महान कार्य क्या था?
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-[[दुर्वासा]] के हज़ारों शिष्यों को भोजन कराना
-[[दुर्वासा]] के हज़ारों शिष्यों को भोजन कराना।
-अज्ञातवास का जीवन गुजारना
-अज्ञातवास का जीवन गुजारना।
-[[अभिमन्यु]] को शिक्षा देना
-[[अभिमन्यु]] को शिक्षा देना।
+[[अश्वत्थामा]] को क्षमा करना
+[[अश्वत्थामा]] को क्षमा करना।
||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। [[महाभारत]] युद्ध में ये [[कौरव]]-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]]
||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से 'अश्वत्थामा' नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम 'कृपा' था, जो 'शरद्वान' की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई, जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। [[महाभारत]] युद्ध में ये [[कौरव]]-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]]


{[[कृष्ण]] के वंश का नाश होने का कारण क्या था?
{[[कृष्ण]] के वंश का नाश होने का कारण क्या था?
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-[[महाभारत]] युद्ध
-[[महाभारत]] युद्ध
+[[गांधारी]] का श्राप
+[[गान्धारी]] का श्राप
-[[दुर्वासा]] का श्राप
-[[दुर्वासा]] का श्राप
-[[विश्वामित्र]] का श्राप
-[[विश्वामित्र]] का श्राप
||[[गांधारी|गान्धारी]] [[गांधार|गान्धार]] देश के सुबल नामक राजा की कन्या थी। इसीलिए इसका नाम गान्धारी पड़ा। गान्धारी [[धृतराष्ट्र]] की पत्नी और [[दुर्योधन]] आदि की माता थीं। [[शिव]] के वरदान से गांधारी के 100 पुत्र हुए, जो [[कौरव]] कहलाये। गान्धारी पतिव्रता के रूप में आदर्श थीं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गांधारी]]
||[[गांधारी|गान्धारी]] [[गांधार|गान्धार]] देश के सुबल नामक राजा की कन्या थी। इसीलिए इसका नाम 'गान्धारी' पड़ा। गान्धारी [[धृतराष्ट्र]] की पत्नी और [[दुर्योधन]] आदि की माता थीं। [[शिव]] के वरदान से गान्धारी के 100 पुत्र हुए, जो [[कौरव]] कहलाये। [[महाभारत]] का युद्ध समाप्त होने पर गान्धारी ने [[श्रीकृष्ण]] को यह कहते हुए श्राप दिया कि यदि तुम चाहते तो इस युद्ध को रोक सकते थे। इसीलिए गान्धारी ने श्रीकृष्ण को उनका वंश नाश होने का श्राप दिया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गांधारी]]


{[[युधिष्ठिर]] के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था?
{[[युधिष्ठिर]] के [[स्वर्ग]] जाने पर कौन उनके साथ गया था?
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-[[द्रौपदी]]
-[[द्रौपदी]]
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+एक कुत्ता
+एक कुत्ता


 
{[[अज्ञात वास]] के समय राजा [[विराट]] के महल में [[अर्जुन]] का नाम क्या था?
{[[भीष्म]] ने किसका अपहरण नहीं किया था?
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+अम्बे
-सुभद्रा
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{[[कंक]] किसका दूसरा नाम था?
{[[विराट]] के महल में ही [[कंक]] किसका नाम था?
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-[[सहदेव]]
-[[सहदेव]]
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-[[अर्जुन]]
-[[अर्जुन]]
-[[नकुल]]
-[[नकुल]]
||[[महाभारत]] में [[पांडव|पांडवों]] के वनवास में एक वर्ष का [[अज्ञात वास]] भी था जो उन्होंने [[विराट नगर]] में बिताया। विराट नगर में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा विराट के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया। [[युधिष्ठिर]] [[विराट|राजा विराट]] का मनोरंजन करने वाले कंक बने। जिसका अर्थ होता है [[यमराज]] का वाचक। यमराज का ही दूसरा नाम धर्म है और वे ही युधिष्ठिर रूप में अवतीर्ण हुए थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कंक]]
||[[महाभारत]] में [[पांडव|पांडवों]] के वनवास में एक वर्ष का [[अज्ञात वास]] भी था, जो उन्होंने [[विराट नगर]] में बिताया। [[विराट नगर]] में पांडव अपना नाम और पहचान छुपाकर रहे। इन्होंने राजा [[विराट]] के यहाँ सेवक बनकर एक वर्ष बिताया। [[युधिष्ठिर]] राजा विराट का मनोरंजन करने वाले कंक बने। जिसका अर्थ होता है- [[यमराज]] का वाचक। [[यमराज]] का ही दूसरा नाम धर्म है और वे ही युधिष्ठिर रूप में अवतीर्ण हुए थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कंक]]


{[[महाभारत]] किस वर्ग में आता है?
{[[महाभारत]] किस वर्ग में आता है?
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-[[श्रुतियां-उपवेद और वेदांग|श्रुति]]
-[[श्रुतियाँ-उपवेद और वेदांग|श्रुति]]
-[[पुराण]]
-[[पुराण]]
+[[स्मृतियाँ|स्मृति]]
+[[स्मृतियाँ|स्मृति]]
-[[उपनिषद]]
-[[उपनिषद]]
||स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह वेदवाङ्मय से इतर ग्रन्थों, यथा [[पाणिनि]] के [[व्याकरण]], [[श्रौतसूत्र|श्रौत]], [[गृह्यसूत्र]] एवं [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]], [[महाभारत]], [[मनु]], [[याज्ञवल्क्य]] एवं अन्य ग्रन्थों से सम्बन्धित है। किन्तु संकीर्ण अर्थ में स्मृति एवं धर्मशास्त्र का अर्थ एक ही है, जैसा कि मनु का कहना है। [[तैत्तिरीय आरण्यक]] में भी 'स्मृति' शब्द आया है [[गौतम]] तथा [[वसिष्ठ]] ने स्मृति को धर्म का उपादान माना है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[स्मृतियाँ]]
||स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह वेदवाङ्मय से इतर ग्रन्थों, यथा [[पाणिनि]] के [[व्याकरण]], [[श्रौतसूत्र|श्रौत]], [[गृह्यसूत्र]] एवं [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]], [[महाभारत]], [[मनु]], [[याज्ञवल्क्य]] एवं अन्य ग्रन्थों से सम्बन्धित है। किन्तु संकीर्ण अर्थ में स्मृति एवं धर्मशास्त्र का अर्थ एक ही है, जैसा कि मनु का कहना है। [[तैत्तिरीय आरण्यक]] में भी 'स्मृति' शब्द आया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्मृतियाँ]]


{[[घटोत्कच]] को किसने मारा था?
{[[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] को किसने मारा था?
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-[[दुर्योधन]]
-[[दुर्योधन]]
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+[[कर्ण]]
+[[कर्ण]]
-[[जयद्रथ]]
-[[जयद्रथ]]
||[[चित्र:karn1.jpg|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति|right|100px]]यदुवंशी राजा शूरसेन की पोषित कन्या [[कुन्ती]] जब सयानी हुई तो पिता ने उसे घर आये हुये महात्माओं के सेवा में लगा दिया। पिता के अतिथिगृह में जितने भी साधु-महात्मा, ऋषि-मुनि आदि आते, कुन्ती उनकी सेवा मन लगा कर किया करती थी। एक बार वहाँ [[दुर्वासा]] ऋषि आ पहुँचे। कुन्ती ने उनकी भी मन लगा कर सेवा की। कुन्ती की सेवा से प्रसन्न हो कर दुर्वासा ऋषि ने कहा, 'पुत्री! मैं तुम्हारी सेवा से अत्यन्त प्रसन्न हुआ हूँ अतः तुझे एक ऐसा मन्त्र देता हूँ जिसके प्रयोग से तू जिस [[देवता]] का स्मरण करेगी वह तत्काल तेरे समक्ष प्रकट हो कर तेरी मनोकामना पूर्ण करेगा।' इस प्रकार दुर्वासा ऋषि कुन्ती को मन्त्र प्रदान कर के चले गये। ऐसा माना जाता है कि [[कर्णदा नदी]] का नाम कर्ण के नाम पर रखा गया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कर्ण]]
||[[चित्र:karn1.jpg|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति|right|100px]][[कर्ण]] ने अपने [[पिता]] [[सूर्य]] के द्वारा [[इन्द्र]] की प्रवंचना का रहस्य जानते हुए भी उनको कुण्डल और कवच दे दिये। इन्द्र ने उसके बदले में एक बार प्रयोग के लिए अपनी अमोघ शक्ति दे दी थी। उससे किसी का वध अवश्यम्भावी था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग [[अर्जुन]] पर करना चाहते थे, किन्तु [[दुर्योधन]] के निर्देश पर उन्होंने उसका प्रयोग [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] पर किया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कर्ण]]


{[[हिडिम्बा]] के पति कौन था?  
{[[हिडिम्बा]] के पति कौन थे?  
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-[[हिडिम्ब]]
-[[हिडिम्ब]]
+[[भीम]]
+[[भीम]]
-[[घटोत्कच]]
-[[घटोत्कच]]
-वाणासुर
-[[बाणासुर]]
||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम भीम अथवा भीमसेन था। [[भीम]] में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था और वह गदा युद्ध में पारंगत था । [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री[[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। [[महाभारत]] में भीम ने ही दुर्योधन और [[दुशासन|दुःशासन]] सहित [[गांधारी]] के सौ पुत्रों को मारा था। [[द्रौपदी]] के अलावा भीम की पत्नी का नाम [[हिडिंबा]] था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीम]]
||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। [[भीम]] में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था, और वह गदा युद्ध में पारंगत था। [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री [[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। [[महाभारत]] में भीम ने ही दुर्योधन और [[दुशासन|दुःशासन]] सहित [[गांधारी]] के सौ पुत्रों को मारा था। [[द्रौपदी]] के अलावा भीम की पत्नी का नाम [[हिडिंबा]] था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]]


{[[व्यास]] की [[माता]] का क्या नाम था?
{[[व्यास]] की [[माता]] का क्या नाम था?
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-[[अम्बिका]]
-[[अम्बिका]]
+[[सत्यवती]]
+[[सत्यवती]]
||सत्यवती एक निषाद कन्या थी। ऋषि [[पराशर]] से इनके एक पुत्र थे जिनका नाम [[व्यास]] था। ये साँवले रंग के थे तथा यमुना के बीच स्थित एक द्वीप में उत्पन्न हुए थे। अतएव ये साँवले रंग के कारण 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाये। सत्यवती ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सत्यवती]]
||सत्यवती एक निषाद कन्या थी। [[ऋषि]] [[पराशर]] से इनके एक पुत्र थे, जिनका नाम [[व्यास]] था। ये साँवले [[रंग]] के थे, तथा [[यमुना नदी]] के बीच स्थित एक द्वीप में उत्पन्न हुए थे। अतएव ये साँवले रंग के कारण 'कृष्ण' तथा जन्मस्थान के कारण 'द्वैपायन' कहलाये। [[सत्यवती]] ने बाद में [[शान्तनु]] से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सत्यवती]]


{[[महाभारत]] युद्ध का सेनापतित्त्व किसने किया?
{[[महाभारत]] युद्ध का सेनापतित्त्व किसने किया?
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-[[अश्वत्थामा]]
-[[अश्वत्थामा]]
-[[कृपाचार्य]]
-[[कृपाचार्य]]
||शल्य, मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शल्य]]
||[[शल्य]], मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शल्य]]
|| अश्वत्थामा द्रोणाचार्य के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने शिव को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]]
||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]]


{[[बल्लव]] किसका दूसरा नाम था?
{[[बल्लव]] किसका दूसरा नाम था?

14:39, 26 मई 2011 का अवतरण

महाभारत

1 महाभारत के युद्ध का मुख्य कारण क्या था?

दुर्योधन द्वारा कृष्ण का अपमान
भीम की प्रतिज्ञा
युधिष्ठिर की प्रतिज्ञा
द्रौपदी के केश

2 महाभारत युद्ध में भीष्म ने कितने दिन युद्ध किया?

8 दिन
10 दिन
12 दिन
18 दिन

3 द्रौपदी का महान कार्य क्या था?

दुर्वासा के हज़ारों शिष्यों को भोजन कराना।
अज्ञातवास का जीवन गुजारना।
अभिमन्यु को शिक्षा देना।
अश्वत्थामा को क्षमा करना।

4 कृष्ण के वंश का नाश होने का कारण क्या था?

महाभारत युद्ध
गान्धारी का श्राप
दुर्वासा का श्राप
विश्वामित्र का श्राप

5 युधिष्ठिर के स्वर्ग जाने पर कौन उनके साथ गया था?

द्रौपदी
अर्जुन
भीम
एक कुत्ता

6 अज्ञात वास के समय राजा विराट के महल में अर्जुन का नाम क्या था?

वृहन्नला
बल्लभ
सुभद्रा
कीचक

7 विराट के महल में ही कंक किसका नाम था?

सहदेव
युधिष्ठिर
अर्जुन
नकुल

9 भीम के पुत्र घटोत्कच को किसने मारा था?

दुर्योधन
शकुनि
कर्ण
जयद्रथ

11 व्यास की माता का क्या नाम था?

गार्गी
मैत्रेयी
अम्बिका
सत्यवती

12 महाभारत युद्ध का सेनापतित्त्व किसने किया?

शल्य और अश्वत्थामा
शल्य
अश्वत्थामा
कृपाचार्य

13 बल्लव किसका दूसरा नाम था?

अश्वत्थामा
भीम
कर्ण
नकुल

14 बभ्रु वाहन किसका पुत्र था?

अर्जुन
कृष्ण
अभिमन्यु
कर्ण

15 अर्जुन के धनुष का नाम क्या था?

गांडीव
अमोघ
आयुध
सुदर्शन

16 अगस्त्य मुनि की पत्नी का नाम क्या था?

लोपामुद्रा
उलूपी
अहल्या
मैत्रेयी

17 शिशुपाल का वध किसने किया था?

कृष्ण
भीम
कर्ण
दुःशासन

18 पार्थ किसका दूसरा नाम है?

कर्ण
कृष्ण
अर्जुन
अश्वत्थामा

19 भगवान कार्तिकेय का वाहन क्या है?

शेर
चूहा
बैल
मोर