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||स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह | ||स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह वेद-वेदांग से इतर ग्रन्थों, यथा [[पाणिनि]] के [[व्याकरण]], [[श्रौतसूत्र|श्रौत]], [[गृह्यसूत्र]] एवं [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]], [[महाभारत]], [[मनु]], [[याज्ञवल्क्य]] एवं अन्य ग्रन्थों से सम्बन्धित है। किन्तु संकीर्ण अर्थ में स्मृति एवं धर्मशास्त्र का अर्थ एक ही है, जैसा कि मनु का कहना है। [[तैत्तिरीय आरण्यक]] में भी 'स्मृति' शब्द आया है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्मृतियाँ]] | ||
{[[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] को किसने मारा था? | {[[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] को किसने मारा था? | ||
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||[[चित्र:karn1.jpg|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति|right|100px]][[कर्ण]] ने अपने [[पिता]] [[सूर्य]] के द्वारा [[इन्द्र]] की प्रवंचना का रहस्य जानते हुए भी उनको कुण्डल और कवच दे दिये। इन्द्र ने उसके बदले में एक बार प्रयोग के लिए अपनी अमोघ शक्ति दे दी थी। उससे किसी का वध अवश्यम्भावी था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग [[अर्जुन]] पर करना चाहते थे, किन्तु [[दुर्योधन]] के निर्देश पर उन्होंने उसका प्रयोग [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] पर किया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कर्ण]] | ||[[चित्र:karn1.jpg|महाभारत युद्ध में कर्ण की वीरगति|right|100px]][[कर्ण]] ने अपने [[पिता]] [[सूर्य]] के द्वारा [[इन्द्र]] की प्रवंचना का रहस्य जानते हुए भी उनको कुण्डल और कवच दे दिये। इन्द्र ने उसके बदले में एक बार प्रयोग के लिए अपनी अमोघ शक्ति दे दी थी। उससे किसी का वध अवश्यम्भावी था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग [[अर्जुन]] पर करना चाहते थे, किन्तु [[दुर्योधन]] के निर्देश पर उन्होंने उसका प्रयोग [[भीम]] के पुत्र [[घटोत्कच]] पर किया था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कर्ण]] | ||
{[[हिडिम्बा]] के पति कौन थे? | {[[हिडिम्बा]] के पति कौन थे? | ||
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-[[हिडिम्ब]] | -[[हिडिम्ब]] | ||
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-[[घटोत्कच]] | -[[घटोत्कच]] | ||
-[[बाणासुर]] | -[[बाणासुर]] | ||
||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। [[भीम]] में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था, और वह गदा युद्ध में पारंगत था। [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री [[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। [[महाभारत]] में भीम ने ही दुर्योधन और [[दुशासन|दुःशासन]] सहित [[गांधारी]] के सौ पुत्रों को मारा था। [[द्रौपदी]] के अलावा भीम की पत्नी का नाम [[ | ||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[पांडु]] के पाँच में से दूसरी संख्या के पुत्र का नाम [[भीम]] अथवा भीमसेन था। [[भीम]] में दस हज़ार [[हाथी|हाथियों]] का बल था, और वह गदा युद्ध में पारंगत था। [[दुर्योधन]] की ही तरह भीम ने भी गदा युद्ध की शिक्षा श्री [[कृष्ण]] के बड़े भाई [[बलराम]] से ली थी। [[महाभारत]] में भीम ने ही दुर्योधन और [[दुशासन|दुःशासन]] सहित [[गांधारी]] के सौ पुत्रों को मारा था। [[द्रौपदी]] के अलावा भीम की पत्नी का नाम [[हिडिम्बा]] था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]] | ||
{[[व्यास]] की [[माता]] का क्या नाम था? | {[[व्यास]] की [[माता]] का क्या नाम था? | ||
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-[[अश्वत्थामा]] | -[[अश्वत्थामा]] | ||
-[[कृपाचार्य]] | -[[कृपाचार्य]] | ||
||[[शल्य]], मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शल्य]] | ||[[शल्य]], मद्रराज महारथी था। [[पांडव|पांडवों]] ने [[माद्री]] के भाई, मामा शल्य को युद्ध में सहायतार्थ आमन्त्रित किया। शल्य अपनी विशाल सेना के साथ पांडवों की ओर जा रहा था। मार्ग में [[दुर्योधन]] ने उन सबका अतिथि-सत्कार कर उन्हें प्रसन्न किया। शल्य ने [[महाभारत]]-युद्ध में सक्रिय भाग लिया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शल्य]] | ||
||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]] | ||[[अश्वत्थामा]] [[द्रोणाचार्य]] के पुत्र थे। द्रोणाचार्य ने [[शिव]] को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके उन्हीं के अंश से अश्वत्थामा नामक पुत्र को प्राप्त किया। इनकी माता का नाम कृपा था जो शरद्वान की लड़की थी। जन्म ग्रहण करते ही इनके कण्ठ से हिनहिनाने की सी ध्वनि हुई जिससे इनका नाम अश्वत्थामा पड़ा। महाभारत युद्ध में ये कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अश्वत्थामा]] | ||
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-[[कर्ण]] | -[[कर्ण]] | ||
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||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[ | ||[[चित्र:Bhim.jpg|right|100px|[[भीम]]]][[महाभारत]] के चौदहवें दिन की रात्रि में भी युद्ध होता रहा। उस रात [[पांडव|पांडवों]] ने [[द्रोण]] पर आक्रमण किया था। युद्ध में भीम ने घूंसों तथा थप्पड़ों से ही [[कलिंग]] राजकुमार, जयरात तथा धृतराष्ट्र-पुत्र दुष्कर्ण और दुर्मद का वध कर दिया। इसके अतिरिक्त भी बाह्लीक, [[दुर्योधन]] के दस भाइयों, शकुनी के पांच भाइयों तथा सात रथियों को भी उसने सहज ही मार डाला।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]] | ||
{बभ्रु वाहन किसका पुत्र था? | {'बभ्रु वाहन' किसका पुत्र था? | ||
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+[[अर्जुन]] | +[[अर्जुन]] | ||
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-[[अभिमन्यु]] | -[[अभिमन्यु]] | ||
-[[कर्ण]] | -[[कर्ण]] | ||
||[[चित्र:krishna-arjun1.jpg|right|100px|अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था जिसमें कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी। | ||[[चित्र:krishna-arjun1.jpg|right|100px|अर्जुन]][[अर्जुन]] [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। जब पाण्डु संतान उत्पन्न करने में असफल रहे, तो कुन्ती ने उनको एक वरदान के बारे में याद दिलाया। कुन्ती को कुंआरेपन में महर्षि [[दुर्वासा]] ने एक वरदान दिया था, जिसमें कुंती किसी भी [[देवता]] का आवाहन कर सकती थीं और उन देवताओं से संतान प्राप्त कर सकती थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अर्जुन]] | ||
{[[अर्जुन]] के [[धनुष]] का नाम क्या था? | {[[अर्जुन]] के [[धनुष]] का नाम क्या था? | ||
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-मैत्रेयी | -मैत्रेयी | ||
||विदर्भराज की कन्या जिसका विवाह [[अगस्त्य]] मुनि के साथ हुआ था। [[महाभारत]] की कथा के अनुसार अगस्त्य मुनि को अपने पितरों की मुक्ति के लिए विवाह करने की इच्छा हुई। अपने योग्य कोई कन्या न मिलने पर उन्होंने विभिन्न जंतुओं का उत्तमांश लेकर एक कन्या की रचना की और उसे संतान के लिए आतुर विदर्भराज को दे दिया। यही लोपामुद्रा थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लोपामुद्रा]] | ||विदर्भराज की कन्या, जिसका विवाह [[अगस्त्य]] मुनि के साथ हुआ था। [[महाभारत]] की कथा के अनुसार [[अगस्त्य]] मुनि को अपने पितरों की मुक्ति के लिए विवाह करने की इच्छा हुई। अपने योग्य कोई कन्या न मिलने पर उन्होंने विभिन्न जंतुओं का उत्तमांश लेकर एक कन्या की रचना की और उसे संतान के लिए आतुर विदर्भराज को दे दिया। यही लोपामुद्रा थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोपामुद्रा]] | ||
{[[शिशुपाल]] का वध किसने किया था? | {[[शिशुपाल]] का वध किसने किया था? | ||
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-[[कर्ण]] | -[[कर्ण]] | ||
-[[दुशासन|दुःशासन]] | -[[दुशासन|दुःशासन]] | ||
||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|100px|[[कृष्ण]]]]सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार माने जाते | ||[[चित्र:Radha-Krishna-1.jpg|right|100px|[[कृष्ण]]]]सनातन धर्म के अनुसार भगवान [[विष्णु]] सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। कृष्ण [[हिन्दू धर्म]] में विष्णु के [[अवतार]] माने जाते हैं। श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में [[भारत]] को एक प्रतिभासम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका [[गीता]]-ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण]] | ||
{पार्थ किसका दूसरा नाम | {'पार्थ' किसका दूसरा नाम था? | ||
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||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|100px|अर्जुन]] अर्जुन [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया | ||[[चित्र:Gita-Krishna-1.jpg|right|100px|अर्जुन]][[अर्जुन]] [[महाभारत]] के मुख्य पात्र हैं। महाराज [[पाण्डु]] एवं रानी [[कुन्ती]] के वह तीसरे पुत्र थे। अर्जुन सबसे अच्छा तीरंदाज था। वो [[द्रोणाचार्य]] का शिष्य था, जीवन में अनेक अवसरों पर उसने इसका परिचय दिया था। [[द्रौपदी]] को स्वयंम्वर में जीतने वाला वो ही था। पांडु की ज्येष्ठ पत्नी वासुदेव [[कृष्ण]] की बुआ कुंती थी, जिसने [[इन्द्र]] के संसर्ग से अर्जुन को जन्म दिया। कुंती का एक नाम 'पृथा' था, इसलिए अर्जुन 'पार्थ' भी कहलाए। बाएं हाथ से भी धनुष चलाने के कारण 'सव्यसाची' और उत्तरी प्रदेशों को जीतकर अतुल संपत्ति प्राप्त करने के कारण 'धनंजय' के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अर्जुन]] | ||
{भगवान [[कार्तिकेय]] का वाहन क्या है? | {भगवान [[कार्तिकेय]] का वाहन क्या है? | ||
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+[[मोर]] | +[[मोर]] | ||
||[[चित्र:Peacock-2.jpg|right|100px|[[मोर]]]]मोर भगवान कार्तिकेय का प्रिय वाहन है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही [[भारत]] सरकार ने [[26 जनवरी]], [[1963]] को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। भारतीय जनमानस के मन में बसा और आस्थाओं से रचाबसा पक्षी मोर, पावों क्रिस्तातुस, [[भारत]] का राष्ट्रीय पक्षी है। इसकी दो प्रजातियाँ हैं- नीला या भारतीय मोर (पैवो क्रिस्टेटस), जो [[भारत]] और [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व सीलोन) में पाया जाता | ||[[चित्र:Peacock-2.jpg|right|100px|[[मोर]]]]मोर भगवान [[कार्तिकेय]] का प्रिय वाहन है। मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही [[भारत]] सरकार ने [[26 जनवरी]], [[1963]] को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। भारतीय जनमानस के मन में बसा और आस्थाओं से रचाबसा पक्षी मोर, पावों क्रिस्तातुस, [[भारत]] का राष्ट्रीय पक्षी है। इसकी दो प्रजातियाँ हैं- [[नीला रंग|नीला]] या भारतीय मोर (पैवो क्रिस्टेटस), जो [[भारत]] और [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व सीलोन) में पाया जाता है, तथा [[हरा रंग|हरा]] या जावा का मोर (पि. म्यूटिकस), जो [[म्यांमार]] (भूरपूर्व बर्मा) से जावा तक पाया जाता है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोर]] | ||
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06:03, 27 मई 2011 का अवतरण
महाभारत
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