"नागालैंड": अवतरणों में अंतर
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10:51, 2 जून 2011 का अवतरण
नागालैंड
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राजधानी | कोहिमा |
स्थापना | 1 दिसंबर, 1963 |
जनसंख्या | 19,88,636 [1] |
· घनत्व | 120[1] /वर्ग किमी |
क्षेत्रफल | 16,579 वर्ग किमी [1] |
भौगोलिक निर्देशांक | 69.4°N 99.08°E |
तापमान | 4 °C - 31 °C |
· ग्रीष्म | 16 - 31 °C |
· शरद | 4 - 24 °C |
ज़िले | 11[1] |
सबसे बड़ा नगर | दीमापुर |
साक्षरता | 67.11 [1]% |
राज्यपाल | निखिल कुमार[1] |
मुख्यमंत्री | नेफ्यू रियो[1] |
बाहरी कड़ियाँ | अधिकारिक वेबसाइट |
इतिहास और भूगोल
नागालैंड 1 दिसंबर, 1963 को भारतीय संघ का 16 वां राज्य बना। इस राज्य के पूर्व में म्यांमार, उत्तर में अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम में असम और दक्षिण में मणिपुर से घिरा हुआ है। इसकी राजधानी कोहिमा है और इसे 'पूरब का स्विजरलैंड' भी कहा जाता है।
नागालैंड राज्य का क्षेत्रफल 16,579 वर्ग कि.मी. है। 2001 का जनगणना के अनुसार इस राज्य की आबादी 19,88,636 है। असम घाटी की सीमा से लगे क्षेत्र के अलावा इस राज्य का क्षेत्र अधिकांशत: पहाड़ी है। इसकी सबसे ऊंची पहाड़ी का नाम सरमती है जिसकी ऊंचाई 3,840 मीटर है। यह पर्वत श्रृंखला नागालैंड और म्यांमार के मध्य एक प्राकृतिक सीमा रेखा का निर्माण देती है।
बारहवीं - तेरहवीं शताब्दी में यहाँ के निवासियों का असम के 'अहोम' लोगों से धीरे-धीरे संपर्क हुआ, लेकिन इससे इन लोगों के रहन-सहन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। उन्नीसवीं शताब्दी में अंग्रेज़ों के आगमन पर यह राज्य ब्रिटिश प्रशासन के अधीन आ गया। स्वंतत्रता के पश्चात 1957 में यह क्षेत्र केंद्रशासित प्रदेश बन गया और असम के राज्यपाल द्वारा इसका प्रशासन देखा जाने लगा। यह 'नगा हिल्स तुएनसांग' क्षेत्र कहलाया। यह प्रशासन नागरिकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा और यहाँ असंतोष पनपने लगा। अत: 1961 में इसका नाम बदलकर ‘नगालैंड’ रखा गया और इसे 'भारतीय संघ' के राज्य का दर्जा दिया गया, जिसका विधिवत उद्घाटन 1 दिसंबर, 1963 को हुआ।
जनजातियाँ
'नगा' लोग भारतीय-मंगोल वर्ग के लोगों में से है, जो भारत की उत्तर-पूर्वी पहाडियों के क्षेत्र और पश्चिमी म्यांमार के ऊपरी भाग में निवास करते हैं। नगालैंड की प्रमुख जनजातियां है- अंगामी, आओ, चाखेसांग, चांग, खिआमनीउंगन, कुकी, कोन्याक, लोथा, फौम, पोचुरी, रेंग्मा, संगताम, सुमी, यिमसचुंगरू और ज़ेलिआंग आदि।
भाषा
नगा भाषा एक जनजाति से दूसरी जनजाति और कभी-कभी तो एक गांव से दूसरे गांव में भी अलग हो जाती है। तथापि इन्हें तिब्बत, बर्मा भाषा परिवार में वर्गीकृत किया गया है। यहाँ के नागरिक हिन्दी भाषा समझ लेते हैं, थोडी बहुत बोल भी लेते हैं।
कृषि
नगालैंड मूलत: कृषि प्रधान राज्य है। लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि पर निर्भर है। राज्य में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। चावल यहाँ का मुख्य भोजन है। कुल कृषि योग्य क्षेत्र के 70 प्रतिशत में धान की खेती होती है और राज्य के कुल खाद्यान्न उत्पादन का 75 प्रतिशत चावल है। यहाँ मुख्यत: ‘स्लेश और 'बर्न' खेती प्रचलित है, जिसे स्थानीय तौर पर 'झूम' के नाम से जाना जाता है। क़्ररीब 1,01,400 हेक्टेयर क्षेत्र में झूम खेती और शेष में सीढ़ीदार खेती होती है। इस वर्ष राज्य का खाद्य उत्पादन 3,86,300 मीट्रिक टन था। 16,57,587 हेक्टेयर के कुल भूमि क्षेत्र में से क़्ररीब 8,35,436 हेक्टेयर क्षेत्र में वन है।
- कोहिमा ज़िले में 'इंतंकी' और 'पुलीबादजे',
- तुएनसांग में फाकिम और
- दीमापुर में रंगापहाड नामक वन्यजीव अभयारण्य तथा राष्ट्रीय उद्यान हैं।
उद्योग
राज्य में औद्योगिकरण की प्रक्रिया शैशवावस्था में है। दीमापुर में एक लाख ईंटें प्रतिदिन उत्पादित करने की क्षमता वाली 'नागालैंड मैकेनाइज्ड ब्रिक्स कंपनी लि.' प्रारम्भ कर दी गई है। हथकरघा और हस्तशिल्प महत्वपूर्ण कुटीर उद्योग है, जो अधिकतर सहकारी समितियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। दीमापुर स्थित नागालैंड हथकरघा और हस्तशिल्प विकास निगम लि. सरकार के स्वामित्व वाला निगम है, जो राज्य में हथकरघा और हस्तशिल्प के उत्पादों को बढावा देने और उनके विपणन का काम करता है। दीमापुर के निकट गणेश में एक औद्योगिक विकास केंद्र बनकर तैयार हो गया है।
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नागालैंड औद्योगिक विकास निगम उद्यमियों का मार्गदर्शन करता है और वित्तीय मदद करने वाली सबसे बड़ी संस्था है। दीमापुर के फल और सब्जी प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज संयंत्र की स्थापित क्षमता क्रमश: 5 मीट्रिक टन फल और सब्जी के प्रसंस्करण और 3000 मीट्रिक टन प्रतिदिन के कोल्ड स्टोरेज की है।
बिजली
1981 में नागालैंड के सभी गांवों में बिजली दी गई थी। नागालैंड में अब तक शत प्रतिशत गांवों को बिजली दी गई है, जिसमें दूरस्थ गांव भी हैं।
सिंचाई
राज्य में कोई भी सिंचाई परियोजना नहीं है। छोटी सिंचाई परियोजनाओं से मुख्यत: पहाड़ी झरनों की धारा मोडी जाती है, जो घाटी में धान की खेती में सिंचाई के काम आती है। कुल सिंचित क्षेत्र 93,231.43 हेक्टेयर है।
पेयजल समस्या
पेयजल की बहुत समस्या रहती है। पीने का पानी की व्यवस्था सरकार करती है, किन्तु फिर भी कमी ही है। यहाँ के निवासी बरसात में छत से टपकने वाले पानी को एकत्र कर के रखते हैं।
परिवहन
सड़कें- राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 9,860 किलोमीटर है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय राजमार्ग, ज़िला और ग्रामीण सड़कें शामिल हैं। कुल 900 से अधिक गांवों को सड़कों से जोड़ा गया है।
रेलवे और उड्डयन- नागालैंड में दीमापुर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रेल और विमान सेवाएं उपलब्ध हैं। कोलकाता से दीमापुर को जोड़ने के लिए सप्ताह में तीन दिन इंडियन एयरलाइंस की उड़ान सेवाएं उपलब्ध हैं।
त्योहार
संगीत और नृत्य 'नगा' जनजीवन के मूलभूत अंग हैं। वीरता, सुंदरता, प्रेम और उदारता का गुणगान करने वाले लोकगीत और लोकगाथाएं पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली जा रही हैं। इसी तरह नृत्य हर उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है। हर त्योहार पर दावत, नाच-गाना और उल्लास होता है। राज्य के कुछ महत्वपूर्ण त्योहार हैं - सेकरेन्यी, मोआत्सु, तोक्कू एमोंगा और तुलनी।
पर्यटन स्थल
प्रतिबंधित क्षेत्र परमिट (आर.ए.पी.) में ढील देने से राज्य में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आना-जाना शुरू हो गया है, यहाँ देशी विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष बडी संख्या में आते हैं।
पर्यटन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह में ‘हॉर्नबिल’ उत्सव आयोजित किया जाता है, जिसमें नागालैंड की सभी जनजातियां एक स्थान पर आकर उत्सव मनाती हैं और अपनी पांरपरिक वस्तुओं, खाद्य पदार्थों और शिल्पगत चीजों का प्रदर्शन करती तथा बेचती हैं। तीन पारंपरिक उत्सवों-
- कोहिमा ज़िले के तोउफेमा में सेकरेन्यी (26-27 फ़रवरी);
- लोंगलेंग उपमंडल के पोगो में मोन्यू (1-3 अप्रैल) तथा
- मोकोकचुंग ज़िले के चुचुयिमलांग में मोआत्सु (1-3 मई) को मनाये जाते हैं।
पर्यटन स्थल निम्न हैं-
- दीमापुर
- किफिरे
- कोहिमा
- लोंग्लेंग
- मोकोकचुंग
- मों
- परें
- फेक
- तुएंसंग
- वोखा
- जुन्हेबोतो
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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