"एस. के. पाटिल": अवतरणों में अंतर
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एस. के. पाटिल ने असहयोग आंदोलन के समय [[1920]] में सेंट जेवियर कॉलेज छोड़ दिया था। [[महात्मा गाँधी]] द्वारा आंदोलन वापस लेने पर वे लंदन गए और [[अर्थशास्त्र]] और पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त की। [[भारत]] आने पर पाटिल ने [[1927]] से 1933 तक ‘बाम्बे क्रानिकल’ पत्र में काम किया। साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम और मुंबई नगर निगम के कामों में भी भाग लेते रहे। तीन वर्ष तक वे मुंबई के मेयर भी रहे। अपनी संगठन क्षमता से उन्होंने मुंबई को कांग्रेस का गढ़ बना दिया था। वे स्वतंत्रता संग्राम में 8 बार गिरफ्तार हुए और कुल 10 वर्षों तक जेलों में रहे। | एस. के. पाटिल ने असहयोग आंदोलन के समय [[1920]] में सेंट जेवियर कॉलेज छोड़ दिया था। [[महात्मा गाँधी]] द्वारा आंदोलन वापस लेने पर वे लंदन गए और [[अर्थशास्त्र]] और पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त की। [[भारत]] आने पर पाटिल ने [[1927]] से 1933 तक ‘बाम्बे क्रानिकल’ पत्र में काम किया। साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम और मुंबई नगर निगम के कामों में भी भाग लेते रहे। तीन वर्ष तक वे मुंबई के मेयर भी रहे। अपनी संगठन क्षमता से उन्होंने मुंबई को कांग्रेस का गढ़ बना दिया था। वे स्वतंत्रता संग्राम में 8 बार गिरफ्तार हुए और कुल 10 वर्षों तक जेलों में रहे। | ||
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एस. के. पाटिल कांग्रेस कार्य समिति के प्रमुख सदस्य थे। [[1937]] और [[1946]] में वे मुंबई विधानसभा के सदस्य बने। वे संविधान सभा के भी सदस्य थे। [[1952]] और [[1967]] में वे [[लोक सभा]] के सदस्य चुने गए और सरकार में सिंचाई, यातायात, विद्युत, खाद्य और [[कृषि]] और रेल विभागों के मंत्री रहे। [[1969]] में कांग्रेस के विभाजन के समय पाटिल ने [[इंदिरा गांधी]] के साथ न जाकर पुरानी कांग्रेस (सिंडिकेट) में ही रहना उचित समझा। इस प्रकार देश के राजनीतिक परिदृश्य से वे लगभग ओझल हो गए। पाटिल अच्छे वक्ता थे। वे बड़े उद्योगों का समर्थन करते थे। उनका कहना था कि यदि निजी उद्योगों को सरकार के हाथों में सौंप दिया गया तो उनकी स्थिति बिगड़ जाएगी। | एस. के. पाटिल कांग्रेस कार्य समिति के प्रमुख सदस्य थे। [[1937]] और [[1946]] में वे मुंबई विधानसभा के सदस्य बने। वे संविधान सभा के भी सदस्य थे। [[1952]] और [[1967]] में वे [[लोक सभा]] के सदस्य चुने गए और सरकार में सिंचाई, यातायात, विद्युत, खाद्य और [[कृषि]] और रेल विभागों के मंत्री रहे। [[1969]] में कांग्रेस के विभाजन के समय पाटिल ने [[इंदिरा गांधी]] के साथ न जाकर पुरानी कांग्रेस (सिंडिकेट) में ही रहना उचित समझा। इस प्रकार देश के राजनीतिक परिदृश्य से वे लगभग ओझल हो गए। पाटिल अच्छे वक्ता थे। वे बड़े उद्योगों का समर्थन करते थे। उनका कहना था कि यदि निजी उद्योगों को सरकार के हाथों में सौंप दिया गया तो उनकी स्थिति बिगड़ जाएगी। | ||
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06:12, 4 जून 2011 का अवतरण
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सदाशिव कानोजी पाटिल
एस. के. पाटिल (जन्म- 14 अगस्त, 1900 ई.) मुंबई के प्रमुख नेता और केंद्र सरकार में अनेक विभागों में मंत्री रहे।
जन्म
एस. के. पाटिल का जन्म 14 अगस्त, 1900 ई. में रत्नागिरि ज़िले में हुआ था।
राजनीति
एस. के. पाटिल ने असहयोग आंदोलन के समय 1920 में सेंट जेवियर कॉलेज छोड़ दिया था। महात्मा गाँधी द्वारा आंदोलन वापस लेने पर वे लंदन गए और अर्थशास्त्र और पत्रकारिता की शिक्षा प्राप्त की। भारत आने पर पाटिल ने 1927 से 1933 तक ‘बाम्बे क्रानिकल’ पत्र में काम किया। साथ ही वे स्वतंत्रता संग्राम और मुंबई नगर निगम के कामों में भी भाग लेते रहे। तीन वर्ष तक वे मुंबई के मेयर भी रहे। अपनी संगठन क्षमता से उन्होंने मुंबई को कांग्रेस का गढ़ बना दिया था। वे स्वतंत्रता संग्राम में 8 बार गिरफ्तार हुए और कुल 10 वर्षों तक जेलों में रहे।
सदस्यता
एस. के. पाटिल कांग्रेस कार्य समिति के प्रमुख सदस्य थे। 1937 और 1946 में वे मुंबई विधानसभा के सदस्य बने। वे संविधान सभा के भी सदस्य थे। 1952 और 1967 में वे लोक सभा के सदस्य चुने गए और सरकार में सिंचाई, यातायात, विद्युत, खाद्य और कृषि और रेल विभागों के मंत्री रहे। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के समय पाटिल ने इंदिरा गांधी के साथ न जाकर पुरानी कांग्रेस (सिंडिकेट) में ही रहना उचित समझा। इस प्रकार देश के राजनीतिक परिदृश्य से वे लगभग ओझल हो गए। पाटिल अच्छे वक्ता थे। वे बड़े उद्योगों का समर्थन करते थे। उनका कहना था कि यदि निजी उद्योगों को सरकार के हाथों में सौंप दिया गया तो उनकी स्थिति बिगड़ जाएगी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 118 से 119।