वीरभद्र सिंह
वीरभद्र सिंह
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पूरा नाम | वीरभद्र सिंह |
जन्म | 23 जून, 1934 |
जन्म भूमि | शिमला, हिमाचल प्रदेश |
मृत्यु | 8 जुलाई, 2021 |
मृत्यु स्थान | शिमला, हिमाचल प्रदेश |
अभिभावक | पिता- राजा पदम सिंह, माता- श्रीमति शांति देवी |
पति/पत्नी | श्रीमति प्रतिभा सिंह |
संतान | 1 पुत्र और 4 पुत्रियाँ |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | पूर्व केंद्रीय मंत्री, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री |
कार्य काल | मुख्यमंत्री-8 अप्रैल 1983 से 5 मार्च 1990 तक; 3 दिसम्बर 1993 – 24 मार्च 1998 तक; 6 मार्च 2003 से 30 दिसम्बर 2007 तक; 25 दिसम्बर 2012 से 27 दिसम्बर 2017 तक |
शिक्षा | स्नातकोत्तर |
चुनाव क्षेत्र | मंडी, हिमाचल प्रदेश |
अन्य जानकारी | वीरभद्र सिंह आठ बार विधायक, पाँच बार मुख्यमंत्री और पांच बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं। |
अद्यतन | 14:25, 7 जनवरी 2014 (IST)
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वीरभद्र सिंह (अंग्रेज़ी: Virbhadra Singh, जन्म: 23 जून, 1934; मृत्यु- 8 जुलाई, 2021) हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वीरभद्र सिंह तीसरी, चौथी, पाँचवी, सातवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 28 मई, 2009 को इस्पात मंत्री बनाए गये थे। राजनीति के अलावा वीरभद्र सिंह ने विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक निकायों के साथ भागीदारी की है। वह संस्कृत साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और सोवियत संघ के मित्र की हिमाचल प्रदेश शाखा के अध्यक्ष रहे हैं।
जीवन परिचय
वीरभद्र सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य हैं। वे आठ बार विधायक, पाँच बार प्रदेश के मुख्यमंत्री और पांचवीं बार लोकसभा में बतौर सांसद रह चुके हैं और पिछले आधे दशक में वे कोई चुनाव नहीं हारे। वीरभद्र सिंह 1962, 1967, 1972, 1980, और 2009 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके अलावा वे 1983, 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2007 तथा 2012 में विधायक रहे। अपने 47 वर्षों के राजनैतिक सफ़र के दौरान उन्होंने 13 चुनाव लड़े और सभी जीते । वह हिमाचल कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वरिष्ठता के क्रम और हिमाचल प्रदेश के अकेले सांसद होने के कारण 28 मई, 2009 को मनमोहन सिंह के नेतृत्व में बनने वाली केंद्र सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। ये इस्पाल मंत्री बनाए गये थे। इससे पहले भी वीरभद्र सिंह 1976 से 1977 तक केंद्र में नागरिक उड्डयन तथा पर्यटन राज्यमंत्री और 1982 से 1983 तक केंद्र में उद्योग राज्यमंत्री रहे हैं।
राजनीतिक सफर
- 1962 में तीसरी लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1967 में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1972 में पाँचवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- 1976 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य।
- दिसम्बर 1976 से मार्च 1977 तक भारत सरकार में पर्यटन और नागरिक उड्डयन के उप मंत्री बने।
- 1977, 1979 और 1980 में प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने रहे।
- 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए।
- सितम्बर, 1982 से अप्रैल 1983 तक भारत सरकार में उद्योग मंत्री बने।
- अक्टूबर 1983 और 1985 में जुब्बल - कोटखाई विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में रोहड़ू निर्वाचन क्षेत्र से राज्य विधानसभा के लिए चुने गए।
- 8 अप्रैल, 1983 से 5 मार्च, 1990 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
- दिसंबर, 1993 से 23 मार्च, 1998 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री।
- मार्च 1998 से मार्च 2003 तक राज्य विधान सभा में हिमाचल प्रदेश के विपक्ष के नेता।
- 6 मार्च 2003 से 29 दिसंबर 2007 तक हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री।
- 2009 में मंडी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित।
- मई 2009 से जनवरी 2011 तक भारत सरकार में इस्पात मंत्री।
- 19 जनवरी 2011 से जून 2012 तक भारत सरकार में लघु और मझौले उद्यम मंत्री।
- 26 अगस्त 2012 से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने।
- शिमला ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र से 20 दिसम्बर 2012 को राज्य विधान सभा के सदस्य चुने गए।
- 25वें दिसम्बर, 2012 को हिमाचल प्रदेश के पाँचवें मुख्य मंत्री बने।
- सदस्यता
- केन्द्रीय कैबिनेट मंत्री
- मुख्य मंत्री 8 अप्रैल 1983- 5 मार्च 1990 और 3 दिसंबर 1993- 24 मार्च 1998
- केन्द्रीय उप मंत्री पर्यटन और नागरिक उड्डयन 31 दिसंबर 1976- 24 मार्च 1977
- केन्द्रीय उद्योग राज्य मंत्री 11 सितंबर 1982- 8 अप्रैल 1983
मृत्यु
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह का 8 जुलाई, 2021 (दिन गुरुवार) को तड़के निधन हो गया। उन्होंने 87 साल की उम्र में शिमला के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में सुबह 3.40 बजे अंतिम सांस ली। वीरभद्र सिंह 13 अप्रैल, 2021 को कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे, जिसके बाद उन्हें मोहाली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालांकि कोरोना से ठीक होने के बाद 23 अप्रैल को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी और वे शिमला आ गए थे। इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी, जिसके बाद आईजीएमसी में भर्ती कराया गया, जहां 11 जून को फिर कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई, हालांकि वह दूसरी बार भी कोविड-19 से ठीक हो चुके थे।
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