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यहाँ मुख्यतः छोटे पैमाने पर निर्माण कार्य होता है, जिसमें बुनाई, बढ़ईगिरि, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कई कुटीर उद्योग शामिल हैं। छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ाने में राज्य सरकार सक्रिय है। बांस व बेंत हस्तशिल्प में कक्ष विभाजक, फ़र्नीचर भित्तिपट्टिका, टेबल मैट और फ़र्श पर बिछाने वाली चटाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। औद्योगिक इकाइयाँ चाय, चीनी डिब्बाबंद फल कृषि औज़ार ईंट और जूते-चप्पल बनाती हैं। अपेक्षाकृत बड़े उपक्रमों में कताई मिल, जूट मिल, इस्पात मिल, प्लाईवुड फ़ैक्टी और औषधि संयंत्र शामिल हैं। [[अगरतला]] अंबासा खोवाई, धर्मनगर, कैलाशहर, [[उदयपुर]] और बगाफा में स्थित डीज़ल चालित ताप संयंत्रों से बिजली मिलती है। इसके अलावा गुमटी पनबिजली परियोजना ([[1976]] में पूरी हुई) से भी बिजली मिलती है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 6,935 मेगावाट है। राज्य में हाल ही में प्राकृतिक गैस के व्यापक संसाधनों की खोज हुई है।  
यहाँ मुख्यतः छोटे पैमाने पर निर्माण कार्य होता है, जिसमें बुनाई, बढ़ईगिरि, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कई कुटीर उद्योग शामिल हैं। छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ाने में राज्य सरकार सक्रिय है। बांस व बेंत हस्तशिल्प में कक्ष विभाजक, फ़र्नीचर भित्तिपट्टिका, टेबल मैट और फ़र्श पर बिछाने वाली चटाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। औद्योगिक इकाइयाँ चाय, चीनी डिब्बाबंद फल कृषि औज़ार ईंट और जूते-चप्पल बनाती हैं। अपेक्षाकृत बड़े उपक्रमों में कताई मिल, जूट मिल, इस्पात मिल, प्लाईवुड फ़ैक्टी और औषधि संयंत्र शामिल हैं। [[अगरतला]] अंबासा खोवाई, धर्मनगर, कैलाशहर, [[उदयपुर]] और बगाफा में स्थित डीज़ल चालित ताप संयंत्रों से बिजली मिलती है। इसके अलावा गुमटी पनबिजली परियोजना ([[1976]] में पूरी हुई) से भी बिजली मिलती है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 6,935 मेगावाट है। राज्य में हाल ही में प्राकृतिक गैस के व्यापक संसाधनों की खोज हुई है।  
====संचार====
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पहाड़ी स्थलाकृति के कारण यहाँ संचार में कठिनाई आती है। तीन ओर से (839 किलोमीटर) [[बांग्लादेश]] से घिरे होने के कारण त्रिपुरा शेष [[भारत]] से लगभग कटा हुआ है। अगरतला-करीमगंज ([[असम]]) सड़क (3,666 किलोमीटर) एकमात्र भू-मार्ग है और धर्मनगर से [[असम]] के कलकली घाट तक मीटर गेज़ रेलवे लाइन (45किलोमीटर) है। यहाँ की अधिकांश नदियों में नावें चलती हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थानीय परिवहन के लिए ही होता है। अगरतला कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और असम के विभिन्न नगरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य के भीतर भी [[वायुसेना]] उपलब्ध है।  
पहाड़ी स्थलाकृति के कारण यहाँ संचार में कठिनाई आती है। तीन ओर से (839 किलोमीटर) [[बांग्लादेश]] से घिरे होने के कारण त्रिपुरा शेष [[भारत]] से लगभग कटा हुआ है। अगरतला-करीमगंज ([[असम]]) सड़क (3,666 किलोमीटर) एकमात्र भू-मार्ग है और धर्मनगर से [[असम]] के कलकली घाट तक मीटर गेज़ रेलवे लाइन (45 किलोमीटर) है। यहाँ की अधिकांश नदियों में नावें चलती हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थानीय परिवहन के लिए ही होता है। अगरतला कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और असम के विभिन्न नगरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य के भीतर भी [[वायुसेना]] उपलब्ध है।  


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त्रिपुरा की अर्थव्यवस्था प्राथमिक रूप से कृषि पर आधारित है। मुख्य फ़सल चावल है। (कृषि उत्पादन का 46.16 प्रतिशत) और पूरे राज्य में इसकी खेती होती है। नक़दी फ़सलों मे जूट (जिसका इस्तेमाल बोरी, टाट और सुतली बनाने में होता है), कपास चाय, गन्ना, मेस्ता और फल शामिल हैं। राज्य की कृषि में पशुपालन की सहायक भूमिका है। वनोपज आधारित उद्योग इमारती लकड़ी ईंधन और लकड़ी के कोयले का उत्पादन करते है। 1994 में चाय का उत्पादन 35,55,593 किलोग्राम था।

उद्योग

यहाँ मुख्यतः छोटे पैमाने पर निर्माण कार्य होता है, जिसमें बुनाई, बढ़ईगिरि, टोकरी व मिट्टी के बर्तन बनाने जैसे कई कुटीर उद्योग शामिल हैं। छोटे पैमाने के उद्योगों के विकास को बढ़ाने में राज्य सरकार सक्रिय है। बांस व बेंत हस्तशिल्प में कक्ष विभाजक, फ़र्नीचर भित्तिपट्टिका, टेबल मैट और फ़र्श पर बिछाने वाली चटाइयाँ शामिल हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर बनाया जाता है। औद्योगिक इकाइयाँ चाय, चीनी डिब्बाबंद फल कृषि औज़ार ईंट और जूते-चप्पल बनाती हैं। अपेक्षाकृत बड़े उपक्रमों में कताई मिल, जूट मिल, इस्पात मिल, प्लाईवुड फ़ैक्टी और औषधि संयंत्र शामिल हैं। अगरतला अंबासा खोवाई, धर्मनगर, कैलाशहर, उदयपुर और बगाफा में स्थित डीज़ल चालित ताप संयंत्रों से बिजली मिलती है। इसके अलावा गुमटी पनबिजली परियोजना (1976 में पूरी हुई) से भी बिजली मिलती है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 6,935 मेगावाट है। राज्य में हाल ही में प्राकृतिक गैस के व्यापक संसाधनों की खोज हुई है।

संचार

पहाड़ी स्थलाकृति के कारण यहाँ संचार में कठिनाई आती है। तीन ओर से (839 किलोमीटर) बांग्लादेश से घिरे होने के कारण त्रिपुरा शेष भारत से लगभग कटा हुआ है। अगरतला-करीमगंज (असम) सड़क (3,666 किलोमीटर) एकमात्र भू-मार्ग है और धर्मनगर से असम के कलकली घाट तक मीटर गेज़ रेलवे लाइन (45 किलोमीटर) है। यहाँ की अधिकांश नदियों में नावें चलती हैं, लेकिन इनका उपयोग स्थानीय परिवहन के लिए ही होता है। अगरतला कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और असम के विभिन्न नगरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा है। राज्य के भीतर भी वायुसेना उपलब्ध है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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