"पाइरोप रत्न": अवतरणों में अंतर

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पाइरोप गहरे [[लाल रंग]] का होता है। इसका सर्वाधिक प्रचलन 18वी-19वीं शताब्दी में हुआ। प्रमुख रूप से पाइरोप [[मणीक्य]], [[स्पाइनेल रत्न|स्पाइनेल]] और एलमनडाइन जैसा दिखाई देता है। इसके अलावा रोडोलाइट पाइरोप भी पाया जाता है। यह [[गुलाबी रंग|गुलाबी]], लाल, [[पीला रंग|पीले]] और [[बैंगनी रंग|बैंगनी रंगों]] से मिलते हैं। लाल रंग के रत्न अधिक मूल्यवान होते हैं। यह [[श्रीलंका]], ब्राज़ील, जाम्बिया और तंजानिया में पाए जाते हैं।
पाइरोप गहरे [[लाल रंग]] का होता है। इसका सर्वाधिक प्रचलन 18वी-19वीं शताब्दी में हुआ। प्रमुख रूप से पाइरोप [[माणिक्य]], [[स्पाइनेल रत्न|स्पाइनेल]] और एलमनडाइन जैसा दिखाई देता है। इसके अलावा रोडोलाइट पाइरोप भी पाया जाता है। यह [[गुलाबी रंग|गुलाबी]], लाल, [[पीला रंग|पीले]] और [[बैंगनी रंग|बैंगनी रंगों]] से मिलते हैं। लाल रंग के रत्न अधिक मूल्यवान होते हैं। यह [[श्रीलंका]], ब्राज़ील, जाम्बिया और तंजानिया में पाए जाते हैं।
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06:20, 5 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

पाइरोप गहरे लाल रंग का होता है। इसका सर्वाधिक प्रचलन 18वी-19वीं शताब्दी में हुआ। प्रमुख रूप से पाइरोप माणिक्य, स्पाइनेल और एलमनडाइन जैसा दिखाई देता है। इसके अलावा रोडोलाइट पाइरोप भी पाया जाता है। यह गुलाबी, लाल, पीले और बैंगनी रंगों से मिलते हैं। लाल रंग के रत्न अधिक मूल्यवान होते हैं। यह श्रीलंका, ब्राज़ील, जाम्बिया और तंजानिया में पाए जाते हैं।

रत्न
  • क़ीमती पत्थर को रत्न कहा जाता है अपनी सुंदरता की वजह से यह क़ीमती होते हैं।
  • रत्न आकर्षक खनिज का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। बहुत से रत्न ठोस खनिज के होते हैं, लेकिन कुछ नरम खनिज के भी होते हैं।
  • रत्न अपनी चमक और अन्य भौतिक गुणों के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
  • ग्रेडिंग, काटने और पॉलिश से रत्नों को एक नया रूप और रंग दिया जाता है और इसी रूप और रंग की वजह से यह रत्न गहनों को और भी आकर्षक बनाते हैं।
  • रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।

प्राचीन ग्रन्थों के अनुसार उच्च कोटि में 84 प्रकार के रत्न आते हैं। इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है। रत्नों में मुख्यतः नौ ही रत्न ज़्यादा पहने जाते हैं। वर्तमान समय में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित रत्नों की सूचियाँ प्रामाणिक नहीं रह गई हैं।


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