"रामचंद्र जी की आरती": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
पंक्ति 37: पंक्ति 37:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
{{आरती स्तुति स्त्रोत}}
[[Category:आरती स्तुति स्त्रोत]]
[[Category:आरती स्तुति स्तोत्र]]




__INDEX__
__INDEX__
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]
[[Category:हिन्दू_धर्म_कोश]]

12:38, 12 जुलाई 2011 का अवतरण

श्री राम, लक्ष्मण और सीता
Shri Ram, Laxman And Sita

आरती

आरती कीजै रामचन्द्र जी की।
हरि-हरि दुष्टदलन सीतापति जी की॥
पहली आरती पुष्पन की माला।
काली नाग नाथ लाये गोपाला॥
दूसरी आरती देवकी नन्दन।
भक्त उबारन कंस निकन्दन॥
तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे।
रत्‍‌न सिंहासन सीता रामजी सोहे॥
चौथी आरती चहुं युग पूजा।
देव निरंजन स्वामी और न दूजा॥
पांचवीं आरती राम को भावे।
रामजी का यश नामदेव जी गावें॥

श्री रामाष्टकः

हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशव ।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा ।।
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम् ।।
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम् ।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम् ।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि रामायणम् ।।

आरती श्री रामचन्द्र जी की

अन्य सम्बंधित लेख


जगमग जगमग जोत जली है । राम आरती होन लगी है ।।
भक्ति का दीपक प्रेम की बाती । आरति संत करें दिन राती ।।
आनन्द की सरिता उभरी है । जगमग जगमग जोत जली है ।।
कनक सिंघासन सिया समेता । बैठहिं राम होइ चित चेता ।।
वाम भाग में जनक लली है । जगमग जगमग जोत जली है ।।
आरति हनुमत के मन भावै । राम कथा नित शंकर गावै ।।
सन्तों की ये भीड़ लगी है । जगमग जगमग जोत जली है ।।


संबंधित लेख