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ख़्वाज़ा महमूद गवाँ एक ईरानी सरदार था, जिसे ग्यारहवें बहमनी सुल्तान [[हुमायूँ]] (1457-61 ई॰) ने नौकर रख लिया। उसने धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त कर लिया। हुमायूँ नाबालिग लड़के निज़ाम (1461-63 ई॰) के राज्यकाल में उसने और पदोन्नति की। निज़ाम की | ख़्वाज़ा महमूद गवाँ एक ईरानी सरदार था, जिसे ग्यारहवें बहमनी सुल्तान [[हुमायूँ]] (1457-61 ई॰) ने नौकर रख लिया। उसने धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त कर लिया। हुमायूँ के नाबालिग लड़के निज़ाम (1461-63 ई॰) के राज्यकाल में उसने और पदोन्नति की। निज़ाम की ओर से उसकी माँ शासन चला रही थी। शासन-कार्य के लिए उसने दो मुख्य सलाहकार नियुक्त किये, जिनमें से एक महमूद गवाँ था। 1413 ई॰ में अचानक निज़ाम की मृत्यु हो गयी और उसका भाई मुहम्मद गद्दी का वारिस बना। [[मुहम्मद शाह]] ने1436 से 1482 ई॰ तक राज्य किया। उसके राज्यकाल में महमूद गवाँ को बड़ा वज़ीर बना दिया गया। उसने सुयोग्य सिपहसालार और राजनेता के रूप में बहमनी राज्य के विस्तार में सबसे अधिक योगदान किया। | ||
वह विद्वानों का बहुत आदर करता था और कला तथा वास्तुकला का प्रेम था। उस समय [[बीदर]] बहमनी राज्य की राजधानी थी। उसने वहाँ एक विद्यालय तथा पुस्तकालय की स्थापना की। | |||
वह विद्वानों का बहुत आदर करता था और कला तथा वास्तुकला का प्रेम था। उस समय [[बीदर]] बहमनी राज्य की राजधानी थी। उसने वहाँ एक विद्यालय तथा पुस्तकालय की स्थापना की। दक्खिनी मुसलमान अमीर उससे दुश्मनी रखते थे। अंत में वे उसके खिलाफ षड्यंत्र रचने में सफल हो गये। उन्होंने उसके नाम की जाली चिट्ठियाँ बना कर सुल्तान मुहम्मद शाह को विश्वास दिला दिया कि वह विश्वास घात करके [[विजय नगर साम्राज्य|विजय नगर]] के राजा से मिल गया है। सुल्तान के हुक्म से 1481 ई॰ में उसका बध कर दिया गया। इस अन्यायपूर्ण कृत्य से बहमनी के सुल्तानों की राज्य-सत्ता को भारी क्षति पहुँची और शीघ्र बहमनी राज्य कई टुकड़ों में बँट गया। |
10:15, 6 मई 2010 का अवतरण
महमूद गवाँ, ख़्वाज़ा
ख़्वाज़ा महमूद गवाँ एक ईरानी सरदार था, जिसे ग्यारहवें बहमनी सुल्तान हुमायूँ (1457-61 ई॰) ने नौकर रख लिया। उसने धीरे-धीरे उच्च पद प्राप्त कर लिया। हुमायूँ के नाबालिग लड़के निज़ाम (1461-63 ई॰) के राज्यकाल में उसने और पदोन्नति की। निज़ाम की ओर से उसकी माँ शासन चला रही थी। शासन-कार्य के लिए उसने दो मुख्य सलाहकार नियुक्त किये, जिनमें से एक महमूद गवाँ था। 1413 ई॰ में अचानक निज़ाम की मृत्यु हो गयी और उसका भाई मुहम्मद गद्दी का वारिस बना। मुहम्मद शाह ने1436 से 1482 ई॰ तक राज्य किया। उसके राज्यकाल में महमूद गवाँ को बड़ा वज़ीर बना दिया गया। उसने सुयोग्य सिपहसालार और राजनेता के रूप में बहमनी राज्य के विस्तार में सबसे अधिक योगदान किया।
वह विद्वानों का बहुत आदर करता था और कला तथा वास्तुकला का प्रेम था। उस समय बीदर बहमनी राज्य की राजधानी थी। उसने वहाँ एक विद्यालय तथा पुस्तकालय की स्थापना की। दक्खिनी मुसलमान अमीर उससे दुश्मनी रखते थे। अंत में वे उसके खिलाफ षड्यंत्र रचने में सफल हो गये। उन्होंने उसके नाम की जाली चिट्ठियाँ बना कर सुल्तान मुहम्मद शाह को विश्वास दिला दिया कि वह विश्वास घात करके विजय नगर के राजा से मिल गया है। सुल्तान के हुक्म से 1481 ई॰ में उसका बध कर दिया गया। इस अन्यायपूर्ण कृत्य से बहमनी के सुल्तानों की राज्य-सत्ता को भारी क्षति पहुँची और शीघ्र बहमनी राज्य कई टुकड़ों में बँट गया।