"शून्य से टकरा कर सुकुमार -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर

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<poem>शून्य से टकरा कर सुकुमार
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शून्य से टकरा कर सुकुमार
करेगी पीड़ा हाहाकार,
करेगी पीड़ा हाहाकार,
बिखर कर कन कन में हो व्याप्त
बिखर कर कन कन में हो व्याप्त
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पिघलते होंगे यह नक्षत्र
पिघलते होंगे यह नक्षत्र
अनिल की जब छू कर निश्वास
अनिल की जब छू कर नि:श्वास
निशा के आँसू में प्रतिबिम्ब
निशा के आँसू में प्रतिबिम्ब
देख निज काँपेगा आकाश!
देख निज काँपेगा आकाश!
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मिलेंगे सीमा और अनंत
मिलेंगे सीमा और अनंत
उपासक ही होगा आराध्य
उपासक ही होगा आराध्य
एक होंगे पतझार वसंत!
एक होंगे पतझर वसंत!


बुझेगा जल कर आशा-दीप
बुझेगा जल कर आशा-दीप
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उड़ेंगे जब सौरभ के साथ,
उड़ेंगे जब सौरभ के साथ,
हृदय होगा नीरव आह्वान
हृदय होगा नीरव आह्वान
मिलोगे क्या तब हे अज्ञात? </poem>
मिलोगे क्या तब हे अज्ञात?  
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10:06, 20 अगस्त 2011 का अवतरण

शून्य से टकरा कर सुकुमार -महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'मेरा परिवार', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी', 'शृंखला की कड़ियाँ', 'अतीत के चलचित्र', नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

शून्य से टकरा कर सुकुमार
करेगी पीड़ा हाहाकार,
बिखर कर कन कन में हो व्याप्त
मेघ बन छा लेगी संसार!

पिघलते होंगे यह नक्षत्र
अनिल की जब छू कर नि:श्वास
निशा के आँसू में प्रतिबिम्ब
देख निज काँपेगा आकाश!

विश्व होगा पीड़ा का राग
निराशा जब होगी वरदान
साथ ले कर मुरझाई साध
बिखर जायेंगे प्यासे प्राण!

उदधि नभ को कर लेगा प्यार
मिलेंगे सीमा और अनंत
उपासक ही होगा आराध्य
एक होंगे पतझर वसंत!

बुझेगा जल कर आशा-दीप
सुला देगा आकर उन्माद,
कहाँ कब देखा था वह देश?
अतल में डूबेगी यह याद!

प्रतीक्षा में मतवाले नयन
उड़ेंगे जब सौरभ के साथ,
हृदय होगा नीरव आह्वान
मिलोगे क्या तब हे अज्ञात?

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