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*[[महाभारत]] काल में मत्स्य देश में स्थित नगर जो [[विराट]] या बैराट (ज़िला जयपुर, [[राजस्थान]]) के निकट ही था। | |||
[[महाभारत]] काल में मत्स्य देश में स्थित नगर जो [[विराट]] या बैराट (ज़िला जयपुर, [[राजस्थान]]) के निकट ही था। | <blockquote><poem>:'उपप्लव्यं सगत्वा तु स्कंधावारं प्रविश्य प्रविश्य च, पांडवानथतान् सर्वान् शल्यस्तत्रददर्श ह'।<ref>[[उद्योग पर्व महाभारत]] 8,25</ref></poem></blockquote> | ||
:'उपप्लव्यं सगत्वा तु स्कंधावारं प्रविश्य प्रविश्य च, पांडवानथतान् सर्वान् शल्यस्तत्रददर्श ह'।<ref>[[उद्योग पर्व महाभारत]] 8,25</ref> | |||
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:'ततस्त्रयो-दशे वर्षे निवृत्ते पंचापांडवा:, उपप्लव्यं विरष्टस्य समपद्यन्त सर्वश:'।<ref>[[विराट पर्व महाभारत]] 72, 14</ref> | <blockquote><poem>:'ततस्त्रयो-दशे वर्षे निवृत्ते पंचापांडवा:, उपप्लव्यं विरष्टस्य समपद्यन्त सर्वश:'।<ref>[[विराट पर्व महाभारत]] 72, 14</ref></poem></blockquote> | ||
[[पांडव]] इस नगर में अपने वनवासकाल के बारह वर्ष और अज्ञातवास के तेरह वर्ष समाप्त होने पर आकर रहने लगे थे। यहीं उन्होंने युद्ध की तैयारिया की थीं। | *[[पांडव]] इस नगर में अपने वनवासकाल के बारह वर्ष और अज्ञातवास के तेरह वर्ष समाप्त होने पर आकर रहने लगे थे। | ||
*यहीं उन्होंने युद्ध की तैयारिया की थीं। | |||
*महाभारत के प्रसिद्ध टीकाकार नीलकंठ ने विराट 72, 14 की टीका करते हुए उपप्लव्य के लिए लिखा है- '''विराटनगरसमीपस्थनगरान्तरम्''' अर्थात् यह नगर मत्स्य की राजधानी [[विराटनगर]] के पास ही दूसरा नगर था। | |||
*इसका ठीक-ठीक अभिज्ञान अनिश्चित है। किन्तु यह वर्तमान [[जयपुर]] के निकट ही कहीं होगा। | |||
*विराटनगर की स्थिति वर्तमान वैराट के पास थी। | |||
*पार्जिटर के अनुसार [[मत्स्य]] की राजधानी उपप्लव्य में ही थी। | |||
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10:13, 21 अगस्त 2011 का अवतरण
'उपप्लव्यं सगत्वा तु स्कंधावारं प्रविश्य प्रविश्य च, पांडवानथतान् सर्वान् शल्यस्तत्रददर्श ह'।[1]
तथा
'ततस्त्रयो-दशे वर्षे निवृत्ते पंचापांडवा:, उपप्लव्यं विरष्टस्य समपद्यन्त सर्वश:'।[2]
- पांडव इस नगर में अपने वनवासकाल के बारह वर्ष और अज्ञातवास के तेरह वर्ष समाप्त होने पर आकर रहने लगे थे।
- यहीं उन्होंने युद्ध की तैयारिया की थीं।
- महाभारत के प्रसिद्ध टीकाकार नीलकंठ ने विराट 72, 14 की टीका करते हुए उपप्लव्य के लिए लिखा है- विराटनगरसमीपस्थनगरान्तरम् अर्थात् यह नगर मत्स्य की राजधानी विराटनगर के पास ही दूसरा नगर था।
- इसका ठीक-ठीक अभिज्ञान अनिश्चित है। किन्तु यह वर्तमान जयपुर के निकट ही कहीं होगा।
- विराटनगर की स्थिति वर्तमान वैराट के पास थी।
- पार्जिटर के अनुसार मत्स्य की राजधानी उपप्लव्य में ही थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ उद्योग पर्व महाभारत 8,25
- ↑ विराट पर्व महाभारत 72, 14