"मैं प्रिय पहचानी नहीं -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर

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<poem>पथ देख बिता दी रैन
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पथ देख बिता दी रैन
मैं प्रिय पहचानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !


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सूने आँगन में दीप
सूने आँगन में दीप
जला दिये झिल-मिल से;
जला दिये झिल-मिल से;
आ प्रात बुझा गया कौन
आ प्रात: बुझा गया कौन
अपरिचित, जानी नहीं !
अपरिचित, जानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !
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कर बालारूण का कलश
कर बालारूण का कलश
विहग-रव मंगल सा,
विहग-रव मंगल सा,
आया प्रिय-पथ से प्रात-
आया प्रिय-पथ से प्रात:-
सुनायी कहानी नहीं !
सुनायी कहानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !
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अलि कुहरा सा नभ विश्व
अलि कुहरा सा नभ विश्व
मिटे बुद्‌बुद्‌‌‍-जल सा;
मिटे बुद्‌बुद-जल सा;
यह दुख का राज्य अनन्त
यह दुख का राज्य अनन्त
रहेगा निश्चल सा;
रहेगा निश्चल सा;

08:55, 22 अगस्त 2011 का अवतरण

मैं प्रिय पहचानी नहीं -महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
महादेवी वर्मा
कवि महादेवी वर्मा
जन्म 26 मार्च, 1907
जन्म स्थान फ़र्रुख़ाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 22 सितम्बर, 1987
मृत्यु स्थान प्रयाग, उत्तर प्रदेश
मुख्य रचनाएँ 'मेरा परिवार', 'स्मृति की रेखाएँ', 'पथ के साथी', 'शृंखला की कड़ियाँ', 'अतीत के चलचित्र', नीरजा, नीहार
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
महादेवी वर्मा की रचनाएँ

पथ देख बिता दी रैन
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

तम ने धोया नभ-पंथ
सुवासित हिमजल से;
सूने आँगन में दीप
जला दिये झिल-मिल से;
आ प्रात: बुझा गया कौन
अपरिचित, जानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

धर कनक-थाल में मेघ
सुनहला पाटल सा,
कर बालारूण का कलश
विहग-रव मंगल सा,
आया प्रिय-पथ से प्रात:-
सुनायी कहानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

नव इन्द्रधनुष सा चीर
महावर अंजन ले,
अलि-गुंजित मीलित पंकज-
-नूपुर रूनझुन ले,
फिर आयी मनाने साँझ
मैं बेसुध मानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

इन श्वासों का इतिहास
आँकते युग बीते;
रोमों में भर भर पुलक
लौटते पल रीते;
यह ढुलक रही है याद
नयन से पानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

अलि कुहरा सा नभ विश्व
मिटे बुद्‌बुद-जल सा;
यह दुख का राज्य अनन्त
रहेगा निश्चल सा;
हूँ प्रिय की अमर सुहागिनि
पथ की निशानी नहीं !
मैं प्रिय पहचानी नहीं !

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