"चक्षु नदी": अवतरणों में अंतर
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*चक्षु को केतुमाल-वर्ष की नदी बताया गया है।<ref>'चक्षुश्च पश्चिमगिरीनतीय सकलांस्तथा पश्चिकेतुमालारूयं वर्ष गत्वैति सागरम् कोलब्रुक' (सिद्धांत शिरोमणि की टीका) </ref>तथा विलसन<ref>संस्कृतकोश</ref> के अनुसार चक्षु, ऑक्सम नदी का एक प्राचीन [[संस्कृत]] नाम है। किंतु पाठक ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि चक्षु का शुद्ध शब्द वक्षु है और वक्षु का चक्षु संस्कृत साहित्य के परवर्ती काल में प्रतिलिपिकार की भूल से बन गया है। | *चक्षु को केतुमाल-वर्ष की नदी बताया गया है।<ref>'चक्षुश्च पश्चिमगिरीनतीय सकलांस्तथा पश्चिकेतुमालारूयं वर्ष गत्वैति सागरम् कोलब्रुक' (सिद्धांत शिरोमणि की टीका) </ref>तथा विलसन<ref>संस्कृतकोश</ref> के अनुसार चक्षु, ऑक्सम नदी का एक प्राचीन [[संस्कृत]] नाम है। किंतु पाठक ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि चक्षु का शुद्ध शब्द वक्षु है और वक्षु का चक्षु संस्कृत साहित्य के परवर्ती काल में प्रतिलिपिकार की भूल से बन गया है। | ||
*वक्षु संस्कृत के प्राचीन [[साहित्य]] में सर्वत्र ऑक्सम नदी के लिए व्यह्रत हुआ है।<ref>वंक्षु | *वक्षु संस्कृत के प्राचीन [[साहित्य]] में सर्वत्र ऑक्सम नदी के लिए व्यह्रत हुआ है।<ref>वंक्षु </ref> | ||
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*सीता तरिम नदी है जो वक्षु में पश्चिम की ओर से आकर मिलती है। | |||
*चक्षु को सीता के साथ गंगा की एक धारा माना गया है।<ref>[[विष्णु पुराण]] 2,2,36 </ref> | |||
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11:34, 23 अगस्त 2011 के समय का अवतरण
- चक्षु को केतुमाल-वर्ष की नदी बताया गया है।[1]तथा विलसन[2] के अनुसार चक्षु, ऑक्सम नदी का एक प्राचीन संस्कृत नाम है। किंतु पाठक ने यह सिद्ध करने का प्रयत्न किया है कि चक्षु का शुद्ध शब्द वक्षु है और वक्षु का चक्षु संस्कृत साहित्य के परवर्ती काल में प्रतिलिपिकार की भूल से बन गया है।
- वक्षु संस्कृत के प्राचीन साहित्य में सर्वत्र ऑक्सम नदी के लिए व्यह्रत हुआ है।[3]
- वाल्मीकि रामायण[4] में जिस सुचक्षु नदी का वर्णन गंगा की पश्चिमी धारा के रूप में है वह यही चक्षु या वक्षु जान पड़ती है।[5]
- सीता तरिम नदी है जो वक्षु में पश्चिम की ओर से आकर मिलती है।
- चक्षु को सीता के साथ गंगा की एक धारा माना गया है।[6]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'चक्षुश्च पश्चिमगिरीनतीय सकलांस्तथा पश्चिकेतुमालारूयं वर्ष गत्वैति सागरम् कोलब्रुक' (सिद्धांत शिरोमणि की टीका)
- ↑ संस्कृतकोश
- ↑ वंक्षु
- ↑ बाल काण्ड वा. रा. 43,13
- ↑ 'सुचक्षुश्चेव सीता च सिंधुश्चैव महानदी, तिस्त्रश्चैतादिश जग्मु: प्रतीची तु दिशं शुभा:'
- ↑ विष्णु पुराण 2,2,36
बाहरी कड़ियाँ
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