"महापात्र नरहरि बंदीजन": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (श्रेणी:नया पन्ना; Adding category Category:भक्ति काल (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*महापात्र नरहरि बंदीजन का जन्म संवत् 1562 में और मृत्यु संवत् 1667 में कही जाती है।  
*महापात्र नरहरि बंदीजन का जन्म संवत् 1562 में और मृत्यु संवत् 1667 में कही जाती है।  
*महापात्र की उपाधि इन्हें [[अकबर]] के दरबार से मिली थी।  
*महापात्र की उपाधि इन्हें [[अकबर]] के दरबार से मिली थी।  
*ये 'असनी फतेहपुर' के रहने वाले थे और अकबर के दरबार में इनका बहुत मान था।  
*ये '[[असनी]], [[फतेहपुर ज़िला|फतेहपुर]]' के रहने वाले थे और अकबर के दरबार में इनका बहुत मान था।  
*इन्होंने छप्पय और कवित्त कहे हैं।  
*इन्होंने छप्पय और कवित्त कहे हैं।  
*इनके बनाए दो ग्रंथ परंपरा से प्रसिद्ध हैं - 'रुक्मिणीमंगल' और 'छप्पय नीति'  
*इनके बनाए दो ग्रंथ परंपरा से प्रसिद्ध हैं - 'रुक्मिणीमंगल' और 'छप्पय नीति'  

08:46, 6 सितम्बर 2011 का अवतरण

  • महापात्र नरहरि बंदीजन का जन्म संवत् 1562 में और मृत्यु संवत् 1667 में कही जाती है।
  • महापात्र की उपाधि इन्हें अकबर के दरबार से मिली थी।
  • ये 'असनी, फतेहपुर' के रहने वाले थे और अकबर के दरबार में इनका बहुत मान था।
  • इन्होंने छप्पय और कवित्त कहे हैं।
  • इनके बनाए दो ग्रंथ परंपरा से प्रसिद्ध हैं - 'रुक्मिणीमंगल' और 'छप्पय नीति'
  • एक तीसरा ग्रंथ 'कवित्तसंग्रह' भी खोज में मिला है।
  • निम्न इनका वह प्रसिद्ध छप्पय है जिस पर कहा जाता है कि अकबर ने 'गो वध' बंद करा दिया था -

अरिहु दंत तिन धारै ताहि नहिं मारि सकतकोइ।
हम संतत तिनु चरहिं वचन उच्चरहिं दीन होइ
अमृत पय नित स्रवहिं बच्छ महि थंभन जावहिं।
हिंदुहि मधुर न देहिं कटुक तुरकहि न पियावहिं
कह कवि नरहरि अकबर सुनौ बिनवति गउ जोरे करन।
अपराध कौन मोहिं मारियत मुएहु चाम सेवइ चरन



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख