"उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Bihari-Lal.jpg |...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
<poem>
<poem>
उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान।
उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान।
चौरी चारु निकुंजनमें ब्याह फाग सुखदान॥
चौरी चारु निकुंजन में ब्याह फाग सुखदान॥
फूलनके सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस।
 
भाँवरहीमें दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥
फूलन के सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस।
भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥
 
भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत।
भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत।
डालै चाँचा चौकमें गहि बहियाँ दोउ मीत॥
डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥
रच्यौ रँगीली रैनमें, होरीके बिच ब्याह।
 
रच्यौ रँगीली रैन में, होरी के बिच ब्याह।
बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥
बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥



07:37, 8 सितम्बर 2011 का अवतरण

उड़ि गुलाल घूँघर भई -बिहारी लाल
बिहारी लाल
बिहारी लाल
कवि बिहारी लाल
जन्म 1595
जन्म स्थान ग्वालियर
मृत्यु 1663
मुख्य रचनाएँ बिहारी सतसई
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
बिहारी लाल की रचनाएँ

उड़ि गुलाल घूँघर भई तनि रह्यो लाल बितान।
चौरी चारु निकुंजन में ब्याह फाग सुखदान॥

फूलन के सिर सेहरा, फाग रंग रँगे बेस।
भाँवर ही में दौड़ते, लै गति सुलभ सुदेस॥

भीण्यो केसर रंगसूँ लगे अरुन पट पीत।
डालै चाँचा चौक में गहि बहियाँ दोउ मीत॥

रच्यौ रँगीली रैन में, होरी के बिच ब्याह।
बनी बिहारन रसमयी रसिक बिहारी नाह॥













संबंधित लेख