"गुणगान -मैथिलीशरण गुप्त": अवतरणों में अंतर
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कैसे भीतर जाऊं मैं? | कैसे भीतर जाऊं मैं? | ||
द्वारपाल भय दिखलाते हैं, | |||
कुछ ही जन जाने पाते हैं, | कुछ ही जन जाने पाते हैं, | ||
शेष सभी धक्के खाते हैं, | शेष सभी धक्के खाते हैं, | ||
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किसमें हो कर आऊं मैं? | किसमें हो कर आऊं मैं? | ||
कुटी खोल भीतर जाता हूँ | कुटी खोल भीतर जाता हूँ, | ||
तो वैसा ही रह जाता हूँ | तो वैसा ही रह जाता हूँ, | ||
तुझको यह कहते पाता हूँ- | तुझको यह कहते पाता हूँ- | ||
'अतिथि, कहो क्या | 'अतिथि, कहो क्या लाऊं मैं?' | ||
तेरे घर के द्वार बहुत हैं, | तेरे घर के द्वार बहुत हैं, | ||
किसमें हो कर आऊं मैं? | किसमें हो कर आऊं मैं? |
15:16, 23 सितम्बर 2011 का अवतरण
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तेरे घर के द्वार बहुत हैं, |
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