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11:46, 16 अक्टूबर 2011 का अवतरण

  • माधवराव प्रथम की मृत्यु के बाद नारायणराव को पेशवा का पद दिया गया था।
  • वह इस पद पर केवत एक वर्ष (1772 - 1773 ई.) तक ही रह सका।
  • एक वर्ष के अन्तराल के बाद उसकी हत्या उसके चाचा रघुनाथराव के द्वारा कर दी गई।
  • रघुनाथराव ने अंग्रेजों की सहायता से पेशवा बनने का प्रयत्न किया।
  • रघुनाथराव का यह प्रयास सम्भवतः अंग्रेजों का मराठों की राजनीति में एक प्रत्यक्ष हस्तक्षेप था, जिसने बाद में आंग्ल-मराठा युद्ध के लिए एक आधार का काम किया।
  • नाना फड़नवीस नारायणराव का समर्थक और रघुनाथराव का कट्टर विरोधी था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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