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-15 अगस्त, 1975 ई. | -15 अगस्त, 1975 ई. | ||
{निम्नलिखित में | {निम्नलिखित व्यक्तियों में से किन्हें 'सरोद' का सर्वश्रेष्ठ वादक माना जाता है? | ||
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+[[अमजद अली ख़ाँ]] | +[[अमजद अली ख़ाँ]] | ||
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||[[सिक्ख|सिक्खों]] के चौथे गुरु रामदास अत्यन्त [[साधु]] प्रकृति के व्यक्ति थे, इसलिए बादशाह [[अकबर]] भी उनका आदर करता था। अकबर ने [[अमृतसर]] में एक जलाशय से युक्त भू-भाग उन्हें दान दिया, जिस पर आगे चलकर सिक्ख [[स्वर्ण मंदिर अमृतसर|स्वर्णमन्दिर]] का निर्माण हुआ। पाँचवें गुरु अर्जुन ने सिक्खों के आदि ग्रन्थ नामक धर्म ग्रन्थ का संकलन किया, जिसमें उनके पूर्व के चारों गुरुओं तथा कुछ [[हिन्दू]] और [[मुसलमान]] [[संत|संतों]] की वाणी संकलित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिक्ख]] | ||[[सिक्ख|सिक्खों]] के चौथे गुरु रामदास अत्यन्त [[साधु]] प्रकृति के व्यक्ति थे, इसलिए बादशाह [[अकबर]] भी उनका आदर करता था। अकबर ने [[अमृतसर]] में एक जलाशय से युक्त भू-भाग उन्हें दान दिया, जिस पर आगे चलकर सिक्ख [[स्वर्ण मंदिर अमृतसर|स्वर्णमन्दिर]] का निर्माण हुआ। पाँचवें गुरु अर्जुन ने सिक्खों के आदि ग्रन्थ नामक धर्म [[ग्रन्थ]] का संकलन किया, जिसमें उनके पूर्व के चारों गुरुओं तथा कुछ [[हिन्दू]] और [[मुसलमान]] [[संत|संतों]] की वाणी संकलित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिक्ख]] | ||
{सर्वप्रथम [[शूद्र]] की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है? | {सर्वप्रथम [[शूद्र]] की चर्चा किस धार्मिक ग्रंथ में मिली है? | ||
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-[[दिव्यावदान]] | -[[दिव्यावदान]] | ||
+[[अंगुत्तरनिकाय]] | +[[अंगुत्तरनिकाय]] | ||
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|100px|right|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] ग्रंथ है। इसके लेखक 'महंत आनंद कौसलायन' हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में दी जाने वाली बातों का वर्णन है। इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख मिलता हैं|{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगुत्तरनिकाय]] | ||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|100px|right|बौद्ध धर्म का प्रतीक]]अंगुत्तरनिकाय महत्त्वपूर्ण [[बौद्ध]] [[ग्रंथ]] है। इसके लेखक 'महंत आनंद कौसलायन' हैं। महाबोधि सभा, [[कलकत्ता]] द्वारा इसको वर्तमान समय में प्रकाशित किया गया है। 11 निपातों से युक्त इस निकाय में [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] द्वारा भिक्षुओं को उपदेश में दी जाने वाली बातों का वर्णन है। इस निकाय में छठी शताब्दी ई.पू. के [[सोलह महाजनपद|सोलह महाजनपदों]] का उल्लेख मिलता हैं|{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अंगुत्तरनिकाय]] | ||
{[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस ग्रंथ में संकलित हैं? | {[[पैगम्बर मुहम्मद]] की कही गई बातें तथा उनकी स्मृतियाँ किस [[ग्रंथ]] में संकलित हैं? | ||
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+[[हदीस]] | +[[हदीस]] | ||
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-[[विवेकानन्द]] | -[[विवेकानन्द]] | ||
-[[कबीर]] | -[[कबीर]] | ||
||स्वामी रामानन्द का केन्द्र मठ [[काशी]] के 'पंच गंगाघाट' पर स्थित था। एक किंवदन्ती के अनुसार छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने उन्हें नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। दूसरा वर्ग एक प्राचीन रामावत सम्प्रदाय की कल्पना करता है और [[रामानन्द]] को उसका एक प्रमुख आचार्य मानता है। डॉ. फर्कुहर के अनुसार यह रामावत सम्प्रदाय दक्षिण [[भारत]] में था और उसके प्रमुख ग्रन्थ '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा 'अध्यात्म रामायण' थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]] | ||स्वामी रामानन्द का केन्द्र मठ [[काशी]] के 'पंच गंगाघाट' पर स्थित था। एक किंवदन्ती के अनुसार छुआ-छूत मतभेद के कारण गुरु राघवानन्द ने उन्हें नया सम्प्रदाय चलाने की अनुमति दी थी। दूसरा वर्ग एक प्राचीन रामावत सम्प्रदाय की कल्पना करता है और [[रामानन्द]] को उसका एक प्रमुख आचार्य मानता है। डॉ. फर्कुहर के अनुसार यह रामावत सम्प्रदाय दक्षिण [[भारत]] में था और उसके प्रमुख [[ग्रन्थ]] '[[वाल्मीकि रामायण]]' तथा 'अध्यात्म रामायण' थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रामानन्द]] | ||
{[[भारत]] में [[ब्रह्मा]] का एकमात्र मन्दिर कहाँ पर अवस्थित है? | {[[भारत]] में [[ब्रह्मा]] का एकमात्र मन्दिर कहाँ पर अवस्थित है? |
04:58, 31 अक्टूबर 2011 का अवतरण
कला और संस्कृति
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