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||[[रामायण]], [[महाभारत]], [[अशोक के शिलालेख]], [[कालिदास]] के '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]' [[महाकाव्य]] एवं 'संगम साहित्य' से चेरों के बारे में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। [[चेर वंश|चेर]] शासकों ने [[मुजरिस]] को अपने प्रमुख बन्दरगाह के रूप में चुना था, जहाँ से उनके राज्य का अधिकांश मात्रा में विदेशों से व्यापार होता था। चेरों का राजकीय चिह्न '[[धनुष]]' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चेर वंश|चेर]] | ||[[रामायण]], [[महाभारत]], [[अशोक के शिलालेख]], [[कालिदास]] के '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]' [[महाकाव्य]] एवं 'संगम साहित्य' से चेरों के बारे में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। [[चेर वंश|चेर]] शासकों ने [[मुजरिस]] को अपने प्रमुख बन्दरगाह के रूप में चुना था, जहाँ से उनके राज्य का अधिकांश मात्रा में विदेशों से व्यापार होता था। चेरों का राजकीय चिह्न '[[धनुष]]' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चेर वंश|चेर]] | ||
{[[ | {[[नालन्दा विश्वविद्यालय]] की स्थापना का युग कौन-सा था? | ||
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-[[मौर्य काल|मौर्य]] | -[[मौर्य काल|मौर्य]] | ||
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+[[गुप्त काल|गुप्त]] | +[[गुप्त काल|गुप्त]] | ||
-[[पाल साम्राज्य|पाल]] | -[[पाल साम्राज्य|पाल]] | ||
||विदेशी यात्रियों के विवरण में [[फ़ाह्यान]], जो [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के काल में [[भारत]] आया था, उसने मध्य देश की जनता का वर्णन किया है। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] के विवरण से भी [[गुप्त]] इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उसने [[बुद्धगुप्त]], [[कुमारगुप्त प्रथम]], शकादित्य तथा बालदित्य आदि गुप्त शासकों का उल्लेख किया है। उसके विवरण से यह ज्ञात होता है कि कुमारगुप्त ने ही नालन्दा विहार की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||[[चित्र:Nalanda-University-Bihar.jpg|right|120px|नालन्दा विश्वविद्यालय]]विदेशी यात्रियों के विवरण में [[फ़ाह्यान]], जो [[चन्द्रगुप्त द्वितीय]] के काल में [[भारत]] आया था, उसने मध्य देश की जनता का वर्णन किया है। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री [[ह्वेनसांग]] के विवरण से भी [[गुप्त]] इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। उसने [[बुद्धगुप्त]], [[कुमारगुप्त प्रथम]], शकादित्य तथा बालदित्य आदि गुप्त शासकों का उल्लेख किया है। उसके विवरण से यह ज्ञात होता है कि कुमारगुप्त ने ही 'नालन्दा विहार' की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुप्त साम्राज्य|गुप्त]] | ||
{[[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] पुस्तक 'नवनीतकम्' का संबंध किससे है? | {[[गुप्तकाल|गुप्तकालीन]] पुस्तक 'नवनीतकम्' का संबंध किससे है? | ||
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-[[मुहम्मद अली जिन्ना]] | -[[मुहम्मद अली जिन्ना]] | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|सर सैयद अहमद ख़ाँ|100px|right]]सैयद अहमद ख़ाँ | ||[[चित्र:Sir-Syed-Ahmed-Khan.jpg|सर सैयद अहमद ख़ाँ|100px|right]]सैयद अहमद ख़ाँ ने यूरोपीय शिक्षा-पद्धति का ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से 'इंगलिस्तान' की यात्रा की थी। वहाँ से लौटकर आए, तो कुछ वर्षों के भीतर ही मई 1875 ई. में [[अलीगढ़]] में 'मदरसतुलउलूम' एक [[मुस्लिम]] स्कूल स्थापित किया, और 1876 ई. में सेवानिवृत्ति के बाद सैयद जी ने इसे कॉलेज में बदलने की बुनियाद रखी। उनकी परियोजनाओं तहत कॉलेज ने तेज़ी से प्रगति की और 1920 ई. में इसे विश्वविद्यालय के रूप में प्रतिष्ठित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सर सैयद अहमद ख़ाँ]] | ||
{पूर्व मध्यकाल में [[विजयालय]] ने [[चोल वंश|चोल]] राज्य की स्थापना कब की? | {पूर्व मध्यकाल में [[विजयालय]] ने [[चोल वंश|चोल]] राज्य की स्थापना कब की? |
05:12, 27 नवम्बर 2011 का अवतरण
इतिहास
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