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||[[बुद्ध]] के समकालीन [[मगध]] नरेश [[बिंबिसार]] ने शिशुनाग अथवा [[हर्यक वंश]] के नरेशों की पुरानी राजधानी [[गिरिव्रज]] को छोड़कर नई राजधानी उसके निकट ही बसाई थी। पहले गिरिव्रज के पुराने नगर से बाहर उसने अपने प्रासाद बनवाए थे, जो राजगृह के नाम से प्रसिद्ध हुए। पीछे अनेक धनिक नागरिकों के बस जाने से [[राजगृह]] के नाम से एक नवीन नगर ही बस गया। गिरिव्रज [[महाभारत]] के समय में [[जरासंध]] की राजधानी भी रह चुकी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गिरिव्रज]] | ||[[बुद्ध]] के समकालीन [[मगध]] नरेश [[बिंबिसार]] ने शिशुनाग अथवा [[हर्यक वंश]] के नरेशों की पुरानी राजधानी [[गिरिव्रज]] को छोड़कर नई राजधानी उसके निकट ही बसाई थी। पहले गिरिव्रज के पुराने नगर से बाहर उसने अपने प्रासाद बनवाए थे, जो राजगृह के नाम से प्रसिद्ध हुए। पीछे अनेक धनिक नागरिकों के बस जाने से [[राजगृह]] के नाम से एक नवीन नगर ही बस गया। गिरिव्रज [[महाभारत]] के समय में [[जरासंध]] की राजधानी भी रह चुकी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गिरिव्रज]] | ||
{[[ | {[[गुप्तकाल]] में निगम के प्रधान को क्या कहा जाता था? | ||
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+ | +श्रेष्ठि | ||
-सेठ | -सेठ | ||
-जेट्ठल | -जेट्ठल | ||
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-[[चोल]] | -[[चोल]] | ||
-[[पांड्य]] | -[[पांड्य]] | ||
-[[कदम्ब]] | -[[[[कदम्ब वंश|कदम्ब]]]] | ||
||[[रामायण]], [[महाभारत]], [[अशोक के शिलालेख]], [[कालिदास]] के '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]' [[महाकाव्य]] एवं 'संगम साहित्य' से चेरों के बारे में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। [[चेर वंश|चेर]] शासकों ने [[मुजरिस]] को अपने प्रमुख बन्दरगाह के रूप में चुना था, जहाँ से उनके राज्य का अधिकांश मात्रा में विदेशों से व्यापार होता था। चेरों का राजकीय चिह्न '[[धनुष]]' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चेर वंश|चेर]] | ||[[रामायण]], [[महाभारत]], [[अशोक के शिलालेख]], [[कालिदास]] के '[[रघुवंश महाकाव्य|रघुवंश]]' [[महाकाव्य]] एवं 'संगम साहित्य' से चेरों के बारे में काफ़ी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिलती है। [[चेर वंश|चेर]] शासकों ने [[मुजरिस]] को अपने प्रमुख बन्दरगाह के रूप में चुना था, जहाँ से उनके राज्य का अधिकांश मात्रा में विदेशों से व्यापार होता था। चेरों का राजकीय चिह्न '[[धनुष]]' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चेर वंश|चेर]] | ||
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+[[अशोक]] | +[[अशोक]] | ||
-[[चन्द्रगुप्त]] | -[[चन्द्रगुप्त]] | ||
-[[ | -[[स्कन्दगुप्त]] | ||
||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|अशोक|100px|right]][[अशोक]] के [[सारनाथ]] तथा [[सांची]] के लघु स्तंभ लेख में संघभेद के विरुद्ध यह आदेश जारी किया गया है कि, जो भिक्षु या भिक्षुणी संघ में फूट डालने का प्रयास करें, उन्हें संघ से बहिष्कृत किया जाए। यह आदेश [[कौशाम्बी]] और [[पाटलिपुत्र]] के महापात्रों को दिया गया है। इससे पता चलता है कि [[बौद्ध धर्म]] का संरक्षक होने के नाते संघ में एकता बनाए रखने के लिए अशोक ने राजसत्ता का उपयोग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]] | ||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|अशोक|100px|right]][[अशोक]] के [[सारनाथ]] तथा [[सांची]] के लघु स्तंभ लेख में संघभेद के विरुद्ध यह आदेश जारी किया गया है कि, जो भिक्षु या भिक्षुणी संघ में फूट डालने का प्रयास करें, उन्हें संघ से बहिष्कृत किया जाए। यह आदेश [[कौशाम्बी]] और [[पाटलिपुत्र]] के महापात्रों को दिया गया है। इससे पता चलता है कि [[बौद्ध धर्म]] का संरक्षक होने के नाते संघ में एकता बनाए रखने के लिए अशोक ने राजसत्ता का उपयोग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]] | ||
09:13, 27 नवम्बर 2011 का अवतरण
इतिहास
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