"जाग तुझको दूर जाना -महादेवी वर्मा": अवतरणों में अंतर
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<poem>चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! | <poem> | ||
चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! | |||
जाग तुझको दूर जाना! | जाग तुझको दूर जाना! | ||
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वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया, | वज्र का उर एक छोटे अश्रु कण में धो गलाया, | ||
दे किसे जीवन-सुधा दो | दे किसे जीवन-सुधा दो घूँट मदिरा माँग लाया! | ||
सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या? | सो गई आँधी मलय की बात का उपधान ले क्या? | ||
विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? | विश्व का अभिशाप क्या अब नींद बनकर पास आया? | ||
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राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी! | राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी! | ||
है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना! | है तुझे अंगार-शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना! | ||
जाग तुझको दूर जाना! </poem> | जाग तुझको दूर जाना! | ||
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13:53, 25 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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चिर सजग आँखें उनींदी आज कैसा व्यस्त बाना! |
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