"महाभारत सामान्य ज्ञान 7": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Puran-1.png|right|120px|पुराण]]सम्पूर्ण [[महाभारत]] 18 पर्वों में विभक्त है। कई पर्व बहुत बड़े हैं और कई पर्व बहुत छोटे। अध्यायों में भी श्लोकों की संख्या अनियत है। किन्हीं अध्यायों में 50 से भी कम [[श्लोक]] हैं और किन्हीं-किन्हीं में संख्या 200 से भी अधिक है। लक्षश्लोकात्मक महाभारत की सम्पूर्ति के लिए इन 18 पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में 3 पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 श्लोक हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] | ||[[चित्र:Puran-1.png|right|120px|पुराण]]सम्पूर्ण [[महाभारत]] 18 पर्वों में विभक्त है। कई पर्व बहुत बड़े हैं और कई पर्व बहुत छोटे। अध्यायों में भी श्लोकों की संख्या अनियत है। किन्हीं अध्यायों में 50 से भी कम [[श्लोक]] हैं और किन्हीं-किन्हीं में संख्या 200 से भी अधिक है। लक्षश्लोकात्मक महाभारत की सम्पूर्ति के लिए इन 18 पर्वों के पश्चात 'खिलपर्व' के रूप में '[[हरिवंश पुराण]]' की योजना की गयी है। हरिवंश पुराण में 3 पर्व हैं- 'हरिवंश पर्व', 'विष्णु पर्व' और 'भविष्य पर्व'। इन तीनों पर्वों में कुल मिलाकर 318 अध्याय और 12,000 श्लोक हैं। महाभारत का पूरक तो यह है ही, स्वतन्त्र रूप से भी इसका विशिष्ट महत्त्व है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महाभारत]] |
07:02, 6 फ़रवरी 2012 का अवतरण
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