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-दसमार | -दसमार | ||
{[[छत्तीसगढ़]] | {'मामा-भांजा मन्दिर' [[छत्तीसगढ़]] में कहाँ स्थित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[ | -रतनपुर में | ||
- | +[[बरसुर]] में | ||
-[[ | -रामगढ़ में | ||
-[[चांपा]] में | |||
|| | ||[[चित्र:Ganesh-Temple-Barsur.jpg|right|100px|गणेश मन्दिर, बरसुर]][[बरसुर]] [[छत्तीसगढ़]] राज्य के दन्तेवाड़ा ज़िले में स्थित है। मन्दिरों और तालाबों के लिए प्रसिद्ध बरसुर गीदम की उत्तरी दिशा में 24 किलोमीटर की दूरी पर [[इन्द्रावती नदी]] के किनारे पर स्थित है। बरसुर में 'मामा-भांजा', 'चन्द्रादित्य', 'बत्तीसा' और 'भगवान [[गणेश]]' के भी मन्दिर आकर्षण का केंद्र हैं। यह माना जाता है कि प्राचीन समय में बरसुर में लगभग 147 मन्दिर और लगभग इतने ही तालाब थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बरसुर]] | ||
{'कुरहा' किस जनजाति का प्रमुख व्यक्ति है? | {'कुरहा' किस जनजाति का प्रमुख व्यक्ति है? | ||
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-[[कवर्धा ज़िला|कवर्धा]] | -[[कवर्धा ज़िला|कवर्धा]] | ||
-[[सरगुजा ज़िला|सरगुजा]] | -[[सरगुजा ज़िला|सरगुजा]] | ||
||[[छत्तीसगढ़]] राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं। यहाँ गोंडों की संख्या अधिक है। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ [[गोदावरी नदी]] एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। [[बालाघाट ज़िला|बालाघाट]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]], [[दुर्ग ज़िला|दुर्ग]], [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]], [[रायसेन ज़िला|रायसेन]] और [[खरगोन]] ज़िलों में भी यह जाति उपस्थित हैं। [[उड़ीसा]] के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]] | ||[[चित्र:Bastar-District-Map.jpg|right|140px|बस्तर ज़िले का मानचित्र]][[छत्तीसगढ़]] राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं। यहाँ गोंडों की संख्या अधिक है। इसके अतिरिक्त इनकी बिखरी हुई बस्तियाँ [[गोदावरी नदी]] एवं बैनगंगा नदियों तथा पूर्वी घाट के बीच के पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। [[बालाघाट ज़िला|बालाघाट]], [[बिलासपुर छत्तीसगढ़|बिलासपुर]], [[दुर्ग ज़िला|दुर्ग]], [[रायगढ़ ज़िला|रायगढ़]], [[रायसेन ज़िला|रायसेन]] और [[खरगोन]] ज़िलों में भी यह जाति उपस्थित हैं। [[उड़ीसा]] के दक्षिण-पश्चिमी भाग तथा [[आन्ध्र प्रदेश]] के पठारी भागों में भी यह जनजाति रहती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]] | ||
{[[छत्तीसगढ़]] में सर्वप्रथम किसके नाम पर शासकीय पुरस्कार की घोषणा की गई थी? | {[[छत्तीसगढ़]] में सर्वप्रथम किसके नाम पर शासकीय पुरस्कार की घोषणा की गई थी? | ||
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-[[कोरबा ज़िला|कोरबा]] | -[[कोरबा ज़िला|कोरबा]] | ||
-[[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा]] | -[[दन्तेवाड़ा ज़िला|दन्तेवाड़ा]] | ||
{[[छत्तीसगढ़]] की कौन-सी जनजाति 'मेघनाथ पर्व' मनाती है? | |||
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+[[गोंड]] | |||
-बैगा | |||
-[[रिजले]] | |||
-कमार | |||
||गोंड जनजाति की लगभग 60 प्रतिशत आबादी [[मध्य प्रदेश]] में निवास करती है। शेष आबादी का अधिकांश भाग संकलन, [[आन्ध्र प्रदेश]] एवं [[उड़ीसा]] में बसा हुआ है। [[गोंड]] जनजाति के वर्तमान निवास स्थान मध्य प्रदेश एवं [[छत्तीसगढ़]] राज्यों के पठारी भाग, जिसमें [[छिंदवाड़ा ज़िला|छिंदवाड़ा]], बेतूल, सिवानी और माडंला के ज़िले सम्मिलित हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के दक्षिणी दुर्गम क्षेत्र, जिसमें [[बस्तर ज़िला]] सम्मिलित है, आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गोंड]] | |||
{विश्व का सबसे विशाल [[शिवलिंग]] [[छत्तीसगढ़]] की किस तहसील में है? | {विश्व का सबसे विशाल [[शिवलिंग]] [[छत्तीसगढ़]] की किस तहसील में है? | ||
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-नलवंश काल में | -नलवंश काल में | ||
+फणिनागवंश काल में | +फणिनागवंश काल में | ||
-[[कलचुरी वंश | -[[कलचुरी वंश]] काल में | ||
-[[नंद वंश]] काल में | -[[नंद वंश]] काल में | ||
{किस [[वेद]] में [[छत्तीसगढ़]] का वर्णन नहीं है? | {किस [[वेद]] में [[छत्तीसगढ़]] का वर्णन नहीं है? | ||
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12:22, 14 फ़रवरी 2012 का अवतरण
छत्तीसगढ़ का सामान्य ज्ञान
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