"मानुस हौं तो वही -रसखान": अवतरणों में अंतर
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या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। | या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं। | ||
आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥ | आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥ | ||
रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन | रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग़ तड़ाग निहारौं। | ||
कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥ | कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥ | ||
12:45, 16 फ़रवरी 2012 का अवतरण
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मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |