"पारसनाथ पहाड़ी": अवतरणों में अंतर

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*[[झारखंड]] के शहर [[बोकारो]] में कई [[बोकारो पर्यटन|पर्यटन स्थल]] है जिनमें से ये एक है।
'''पारसनाथ पहाड़ी''' [[झारखंड]] राज्य के [[बोकारो]] शहर में स्थित है। बोकारो में कई [[बोकारो पर्यटन|पर्यटन स्थल]] हैं, जिनमें से पारसनाथ पहाड़ी भी एक है। झारखंड राज्य की यह सबसे ऊँची पहाड़ी है। [[गिरिडीह ज़िला|गिरिडीह]] स्थित इस पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 4,440 फीट है। ये पूरी पहाड़ी जंगल से घिरी हुई है।
*झारखड का यह सबसे ऊँचा पहाड़ है।
 
*गिरिडीह स्थित इस पहाड़ की ऊँचाई लगभग 4,440 फीट है।  
*पारसनाथ पहाड़ी की प्राकृतिक छटा बहुत ही अद्भुत है।
*ये पूरा पहाड़ जंगल से घिरा हुआ है।
*इस पहाड़ पर [[जैन धर्म]] का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है।
*यहाँ की प्राकृतिक छटा अद्भुत है।
*[[दामोदर नदी]] और गरगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित बोकारो प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है।  
*इस पहाड़ पर जैनियों का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है।  
*[[दामोदर नदी]] और [[गरगा नदी]] के दक्षिणी किनारे पर स्थित बोकारो प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है।  
*प्रकृति ने इसे अपनी अनमोल देन नदियों और पहाड़ियों से सजाया है।  
*प्रकृति ने इसे अपनी अनमोल देन नदियों और पहाड़ियों से सजाया है।  
*पहाड़ के शिखर पर बीसों तीर्थंकारों के चरण चिन्ह अंकित हैं।  
*पहाड़ के शिखर पर जैन धर्म के 20 [[तीर्थंकर|तीर्थंकारों]] के चरण चिह्न अंकित हैं।
*इसे सम्मेद शिखर कहते हैं।
*इस पहाड़ी को [[सम्मेद शिखर]] कहा जाता है।
*तीर्थंकरों के चरण चिन्ह को 'टीक' कहा जाता है।
*तीर्थंकरों के चरण चिह्नों को 'टोंक' कहा जाता है।
*कहा जाता है कि यहाँ जैनियों के 20वें से 24वें तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया।
*कहा जाता है कि यहाँ जैनियों के 20वें से 24वें तीर्थंकरों ने [[निर्वाण]] प्राप्त किया था।
*यहाँ जैनियों के श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही पन्थों के मन्दिर बने हुए हैं।
*यहाँ जैनियों के श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही पन्थों के मन्दिर बने हुए हैं।
*यह स्थान मधुवन के नाम से विख्यात है।
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10:45, 27 फ़रवरी 2012 का अवतरण

पारसनाथ पहाड़ी झारखंड राज्य के बोकारो शहर में स्थित है। बोकारो में कई पर्यटन स्थल हैं, जिनमें से पारसनाथ पहाड़ी भी एक है। झारखंड राज्य की यह सबसे ऊँची पहाड़ी है। गिरिडीह स्थित इस पहाड़ी की ऊँचाई लगभग 4,440 फीट है। ये पूरी पहाड़ी जंगल से घिरी हुई है।

  • पारसनाथ पहाड़ी की प्राकृतिक छटा बहुत ही अद्भुत है।
  • इस पहाड़ पर जैन धर्म का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है।
  • दामोदर नदी और गरगा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित बोकारो प्राकृतिक रूप से बहुत ख़ूबसूरत है।
  • प्रकृति ने इसे अपनी अनमोल देन नदियों और पहाड़ियों से सजाया है।
  • पहाड़ के शिखर पर जैन धर्म के 20 तीर्थंकारों के चरण चिह्न अंकित हैं।
  • इस पहाड़ी को सम्मेद शिखर कहा जाता है।
  • तीर्थंकरों के चरण चिह्नों को 'टोंक' कहा जाता है।
  • कहा जाता है कि यहाँ जैनियों के 20वें से 24वें तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया था।
  • यहाँ जैनियों के श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही पन्थों के मन्दिर बने हुए हैं।
  • यह स्थान मधुबन के नाम से भी विख्यात है।

इन्हें भी देखें: सम्मेद शिखर एवं तीर्थंकर


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