"कंस मेला": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
*इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं । वहां [[कंस]] के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को परम्परागत रूप से साकार करते हैं।  
*इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं । वहां [[कंस]] के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को परम्परागत रूप से साकार करते हैं।  
*इस मेले में मथुरावासी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं ।
*इस मेले में मथुरावासी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं ।
{{प्रचार}}
 
==वीथिका==
==वीथिका==
<gallery>
<gallery>
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
</gallery>
</gallery>


<br />
 
{{पर्व और त्योहार}}
==संबंधित लेख==
{{व्रत और उत्सव}}
{{उत्सव और मेले}}
[[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:उत्सव और मेले]]
[[Category:पर्व और त्योहार]]
[[Category:उत्तर_प्रदेश]][[Category:उत्तर_प्रदेश की संस्कृति]] [[Category:संस्कृति कोश]]
[[Category:व्रत और उत्सव]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

13:48, 16 मार्च 2012 के समय का अवतरण

कृष्ण और बलराम, कंस मेला, मथुरा
Kans Mela, Mathura
  • कंस टीले पर आयोजित होने वाला यह मेला ब्रज का विशेष आकर्षण हैं ।
  • भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कंस को मारने के उपलक्ष्य में मथुरा में यह मेला आयोजित होता है ।
  • इस दिन चतुर्वेदी युवक अपनी–अपनी लाठियों से सुसज्जित होकर कंस टीले तक जाते हैं । वहां कंस के पुतले को नष्ट करके उसके मस्तक को लाकर कंसखार पर नष्ट करते हैं, तदुपरांत विश्राम घाट पर प्रभु को विश्राम देकर पूजन आरती का कार्य सम्पादन करके, कंस वध के दिन की स्मृति को परम्परागत रूप से साकार करते हैं।
  • इस मेले में मथुरावासी उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं ।

वीथिका


संबंधित लेख