"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर
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{[[राम]] और [[हनुमान]] का मिलन किस [[पर्वत]] के पास हुआ था? | {[[राम]] और [[हनुमान]] का मिलन किस [[पर्वत]] के पास हुआ था? | ||
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-[[मेघनाद]] | -[[मेघनाद]] | ||
||जब राहू ने देखा कि [[हनुमान]] [[सूर्य]] को निगलने जा रहा है, तब वह [[इन्द्र]] के पास गया और बोला- 'मैं सूर्य को ग्रसने गया था, किंतु वहाँ तो कोई और ही जा रहा है।' इन्द्र क्रुद्ध होकर [[ऐरावत]] पर बैठकर चल पड़े। राहु उनसे भी पहले घटनास्थल पर आ पहुँचा। हनुमान ने उसे भी [[फल]] समझा तथा उसकी ओर झपटे। उसने इन्द्र को आवाज़ दी। हनुमान ने ऐरावत को देखा और उसे भी बड़ा फल जानकर वे पकड़ने के लिए बढ़े। इन्द्र ने क्रुद्ध होकर अपने [[वज्र अस्त्र|वज्र]] से प्रहार किया, जिससे हनुमान की बायीं ठोड़ी टूट गयी और वे नीचे गिरे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हनुमान]] | ||जब राहू ने देखा कि [[हनुमान]] [[सूर्य]] को निगलने जा रहा है, तब वह [[इन्द्र]] के पास गया और बोला- 'मैं सूर्य को ग्रसने गया था, किंतु वहाँ तो कोई और ही जा रहा है।' इन्द्र क्रुद्ध होकर [[ऐरावत]] पर बैठकर चल पड़े। राहु उनसे भी पहले घटनास्थल पर आ पहुँचा। हनुमान ने उसे भी [[फल]] समझा तथा उसकी ओर झपटे। उसने इन्द्र को आवाज़ दी। हनुमान ने ऐरावत को देखा और उसे भी बड़ा फल जानकर वे पकड़ने के लिए बढ़े। इन्द्र ने क्रुद्ध होकर अपने [[वज्र अस्त्र|वज्र]] से प्रहार किया, जिससे हनुमान की बायीं ठोड़ी टूट गयी और वे नीचे गिरे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हनुमान]] | ||
{निम्नलिखित में से [[शत्रुघ्न]] के पुत्र कौन थे? | |||
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-[[अंगद |अंगद]] | |||
+[[सुबाहु (शत्रुघ्न पुत्र)|सुबाहु]] | |||
-[[अंशुमान]] | |||
-[[कुश]] | |||
{किस [[ऋषि]] ने श्री [[राम]] के सामने ही योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर लिया? | |||
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-[[जैमिनि]] | |||
-[[त्रिजट मुनि|त्रिजट]] | |||
-[[गौतम ऋषि|गौतम]] | |||
+[[शरभंग ऋषि|शरभंग]] | |||
{[[सम्पाती]] और [[जटायु]] के [[पिता]] का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
+[[अरुण देवता|अरुण]] | |||
-[[अश्विनीकुमार]] | |||
-[[वरुण देवता|वरुण]] | |||
-[[उत्तानपाद]] | |||
||[[चित्र:Surya-arun.jpg|right|100px|सारथि अरुण]]प्रजापति [[कश्यप]] की पत्नी विनता के दो पुत्र थे- [[गरुड़]] और [[अरुण देवता|अरुण]]। अरुण [[सूर्य]] के सारथी हुए। [[सम्पाती]] और [[जटायु]] इन्हीं अरुण के पुत्र थे। बचपन में सम्पाती और जटायु ने सूर्य-मण्डल को स्पर्श करने के उद्देश्य से लम्बी उड़ान भरी। सूर्य के असहनीय तेज़ से व्याकुल होकर जटायु तो बीच रास्ते से ही लौट आये, किन्तु सम्पाती उड़ते ही गये। सूर्य के सन्निकट पहुँचने पर सूर्य के प्रखर [[ताप]] से सम्पाती के पंख जल गये और वे [[समुद्र]] के तट पर गिरकर चेतना शून्य हो गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरुण देवता]] | |||
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08:14, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण
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