"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर

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-[[सुग्रीव]]
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-[[जामवन्त]]
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+[[केसरी]]
+[[केसरी वानर राज|केसरी]]
-इनमें से कोई नहीं
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||[[चित्र:Surya-arun.jpg|right|100px|सारथि अरुण]]प्रजापति [[कश्यप]] की पत्नी विनता के दो पुत्र थे- [[गरुड़]] और [[अरुण देवता|अरुण]]। अरुण [[सूर्य]] के सारथी हुए। [[सम्पाती]] और [[जटायु]] इन्हीं अरुण के पुत्र थे। बचपन में सम्पाती और जटायु ने सूर्य-मण्डल को स्पर्श करने के उद्देश्य से लम्बी उड़ान भरी। सूर्य के असहनीय तेज़ से व्याकुल होकर जटायु तो बीच रास्ते से ही लौट आये, किन्तु सम्पाती उड़ते ही गये। सूर्य के सन्निकट पहुँचने पर सूर्य के प्रखर [[ताप]] से सम्पाती के पंख जल गये और वे [[समुद्र]] के तट पर गिरकर चेतना शून्य हो गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरुण देवता]]
||[[चित्र:Surya-arun.jpg|right|100px|सारथि अरुण]]प्रजापति [[कश्यप]] की पत्नी विनता के दो पुत्र थे- [[गरुड़]] और [[अरुण देवता|अरुण]]। अरुण [[सूर्य]] के सारथी हुए। [[सम्पाती]] और [[जटायु]] इन्हीं अरुण के पुत्र थे। बचपन में सम्पाती और जटायु ने सूर्य-मण्डल को स्पर्श करने के उद्देश्य से लम्बी उड़ान भरी। सूर्य के असहनीय तेज़ से व्याकुल होकर जटायु तो बीच रास्ते से ही लौट आये, किन्तु सम्पाती उड़ते ही गये। सूर्य के सन्निकट पहुँचने पर सूर्य के प्रखर [[ताप]] से सम्पाती के पंख जल गये और वे [[समुद्र]] के तट पर गिरकर चेतना शून्य हो गये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अरुण देवता]]


{[[राम]] को वानर राज [[सुग्रीव]] से मित्रता की सलाह किसने दी थी?
|type="()"}
-[[अहल्या|अहिल्या]]
-[[कैकसी]]
+[[शबरी]]
-इनमें से कोई नहीं
||'शबरी' का वास्तविक नाम 'श्रमणा' था और वह [[भील]] समुदाय की 'शबरी' जाति से संबंध रखती थी। [[शबरी]] के [[पिता]] भीलों के राजा थे। [[सीता]] की खोज में जब [[राम]] और [[लक्ष्मण]] उसकी कुटिया में पधारे, तब उसने राम का सत्कार किया और उन्हें सीता की खोज के लिये [[सुग्रीव]] से मित्रता करने की सलाह दी। भगवान श्री राम के दर्शन करने के बाद वह स्वयं को योगाग्नि में भस्म करके सदा के लिये श्री राम के चरणों में लीन हो गई और मोक्ष को प्राप्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शबरी]]
{निम्न में से किस स्त्री को मतंग ऋषि ने आश्रय प्रदान किया?
|type="()"}
-[[सीता]]
+[[शबरी]]
-[[उर्मिला]]
-[[देवयानी]]
||[[विवाह]] की रात शबरी घर से भागकर जंगल में आ गयी, किंतु निम्न जाति की होने के कारण उसे कहीं आश्रय नहीं मिला। वह रात्रि में जल्दी उठकर, जिधर से [[ऋषि]] निकलते, उस रास्ते को नदी तक साफ करती। कँकरीली ज़मीन में बालू बिछा आती। जंगल में जाकर लकड़ी काटकर डाल आती। इन सब कामों को वह इतनी तत्परता से छिपकर करती कि कोई ऋषि देख न ले। यह कार्य वह कई वर्षों तक करती रही। अन्त में 'मतंग' ऋषि ने उस पर कृपा की। महर्षि मतंग ने सामाजिक बहिष्कार स्वीकार किया, किन्तु शरणागत शबरी का त्याग नहीं किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शबरी]]


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09:23, 11 अप्रैल 2012 का अवतरण

1 राम और हनुमान का मिलन किस पर्वत के पास हुआ था?

ऋष्यमूक
गंधमादन
कैलास
पारसनाथ

2 हनुमान के पिता का नाम क्या था?

सुग्रीव
जामवन्त
केसरी
इनमें से कोई नहीं

3 निम्न में से किसने हनुमान की ठोड़ी पर वज्र से प्रहार किया था?

इन्द्र
परशुराम
रावण
मेघनाद

4 निम्नलिखित में से शत्रुघ्न के पुत्र कौन थे?

अंगद
सुबाहु
अंशुमान
कुश

5 किस ऋषि ने श्री राम के सामने ही योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर लिया?

जैमिनि
त्रिजट
गौतम
शरभंग

7 राम को वानर राज सुग्रीव से मित्रता की सलाह किसने दी थी?

अहिल्या
कैकसी
शबरी
इनमें से कोई नहीं

8 निम्न में से किस स्त्री को मतंग ऋषि ने आश्रय प्रदान किया?

सीता
शबरी
उर्मिला
देवयानी