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रानी कर्णावती मेवाड़ की रानी थी। जिस समय हुमायूँ अपने राज्य विस्तार का प्रयत्न कर रहा था, गुजरात का शासक बहादुर शाह भी अपनी शक्ति बढ़ाने में लगा हुआ था।
- बहादुर शाह ने 1533 ई. में चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया।
- उसने राजनीतिक दूरदर्शिता का परिचय देते हुए हुमायूँ के सामने प्रस्ताव रखा कि हम परस्पर संधि करके अपने समान शत्रु बहादुर शाह का मिलकर सामना करें।
- हुमायूं ने रानी का यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। पूरी शक्ति लगाकर भी रानी कर्णावती चित्तौड़ की रक्षा नहीं कर पाई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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