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यह देश की एक प्रमुख एवं प्रतिष्ठित दीर्घा है। [[जयपुर]] के तत्कालीन महाराजा के निवास स्थान जयपुर हाउस में 1954 में शुरू हुई इस दीर्घा में 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की लगभग 15,000 दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यहाँ का मुख्य आकर्षण है [[नंदलाल बोस]], [[राजा रवि वर्मा]], अमृता सहगल एवं जैमिनी राय द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कलाकृतियाँ। भारत के कुछ प्रसिद्ध मूर्तिकारों के कार्य को भी इस दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है। यहीं पर एक पुस्तकालय एवं विक्रय केन्द्र भी है, जहाँ से पोस्टर, चित्रमय पोस्टकार्ड, कैटलाग आदि ख़रीदे जा सकते हैं। बच्चों में कला के प्रति अभिरूचि पैदा करने के लिए यहाँ समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए विशेष भ्रमण, सभा, फ़िल्म प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं। | यह देश की एक प्रमुख एवं प्रतिष्ठित दीर्घा है। [[जयपुर]] के तत्कालीन महाराजा के निवास स्थान जयपुर हाउस में 1954 में शुरू हुई इस दीर्घा में 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की लगभग 15,000 दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यहाँ का मुख्य आकर्षण है [[नंदलाल बोस]], [[राजा रवि वर्मा]], अमृता सहगल एवं जैमिनी राय द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कलाकृतियाँ। भारत के कुछ प्रसिद्ध मूर्तिकारों के कार्य को भी इस दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है। यहीं पर एक पुस्तकालय एवं विक्रय केन्द्र भी है, जहाँ से पोस्टर, चित्रमय पोस्टकार्ड, कैटलाग आदि ख़रीदे जा सकते हैं। बच्चों में कला के प्रति अभिरूचि पैदा करने के लिए यहाँ समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए विशेष भ्रमण, सभा, फ़िल्म प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं। | ||
==ललित कला अकादमी== | |||
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==गढ़ी स्टूडियो== | |||
ललित कला अकादमी द्वारा [[दिल्ली]] विकास प्राधिकरण की सहायता से कला कुटीर में स्थापित यह स्टूडियो कलाकारों के लिए स्वर्ग है। यह फ़्राँस की राजधानी पेरिस से प्रेरित है, जहाँ कलाकारों को स्टूडियो और लॉजिंग की सुविधा दी जाती है। यहाँ विश्व के ख्यातिप्राप्त कलाकारों के व्याख्यान व प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं। | ललित कला अकादमी द्वारा [[दिल्ली]] विकास प्राधिकरण की सहायता से कला कुटीर में स्थापित यह स्टूडियो कलाकारों के लिए स्वर्ग है। यह फ़्राँस की राजधानी पेरिस से प्रेरित है, जहाँ कलाकारों को स्टूडियो और लॉजिंग की सुविधा दी जाती है। यहाँ विश्व के ख्यातिप्राप्त कलाकारों के व्याख्यान व प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं। | ||
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तानसेन मार्ग पर स्थित इस सांस्कृतिक केन्द्र में चार गैलेरियाँ आई हुई हैं। ज़मीन तल में स्थापित वीथिका में पुरानी दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं, जबकि सबसे बड़ी वीथिका है श्रीराधारानी वीथिका, जहाँ स्थापित एवं नए कलाकारों के शो आयोजित किए जाते हैं। त्रिवेणी वीथिका में कलाकारों के लघु कार्य प्रदर्शित किए जाते हैं। | तानसेन मार्ग पर स्थित इस सांस्कृतिक केन्द्र में चार गैलेरियाँ आई हुई हैं। ज़मीन तल में स्थापित वीथिका में पुरानी दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं, जबकि सबसे बड़ी वीथिका है श्रीराधारानी वीथिका, जहाँ स्थापित एवं नए कलाकारों के शो आयोजित किए जाते हैं। त्रिवेणी वीथिका में कलाकारों के लघु कार्य प्रदर्शित किए जाते हैं। | ||
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11:33, 31 मई 2012 का अवतरण
भारत की राजधानी दिल्ली में कई कला दीर्घाएँ हैं-
राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा
यह देश की एक प्रमुख एवं प्रतिष्ठित दीर्घा है। जयपुर के तत्कालीन महाराजा के निवास स्थान जयपुर हाउस में 1954 में शुरू हुई इस दीर्घा में 19वीं एवं 20वीं शताब्दी की लगभग 15,000 दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। यहाँ का मुख्य आकर्षण है नंदलाल बोस, राजा रवि वर्मा, अमृता सहगल एवं जैमिनी राय द्वारा तैयार की गई उत्कृष्ट कलाकृतियाँ। भारत के कुछ प्रसिद्ध मूर्तिकारों के कार्य को भी इस दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है। यहीं पर एक पुस्तकालय एवं विक्रय केन्द्र भी है, जहाँ से पोस्टर, चित्रमय पोस्टकार्ड, कैटलाग आदि ख़रीदे जा सकते हैं। बच्चों में कला के प्रति अभिरूचि पैदा करने के लिए यहाँ समय-समय पर स्कूली बच्चों के लिए विशेष भ्रमण, सभा, फ़िल्म प्रदर्शन इत्यादि भी आयोजित किए जाते हैं।
ललित कला अकादमी
यह अलाभकर संस्था देश की प्रतिभाओं को तराशने का कार्य करती है। यहाँ एक विशेष वीथिका (गैलेरी) फ़िरोजशाह रोड पर रवीन्द्र भवन में स्थित है।
गढ़ी स्टूडियो
ललित कला अकादमी द्वारा दिल्ली विकास प्राधिकरण की सहायता से कला कुटीर में स्थापित यह स्टूडियो कलाकारों के लिए स्वर्ग है। यह फ़्राँस की राजधानी पेरिस से प्रेरित है, जहाँ कलाकारों को स्टूडियो और लॉजिंग की सुविधा दी जाती है। यहाँ विश्व के ख्यातिप्राप्त कलाकारों के व्याख्यान व प्रदर्शन इत्यादि आयोजित किए जाते हैं।
त्रिवेणी कला संगम
तानसेन मार्ग पर स्थित इस सांस्कृतिक केन्द्र में चार गैलेरियाँ आई हुई हैं। ज़मीन तल में स्थापित वीथिका में पुरानी दुर्लभ कलाकृतियाँ हैं, जबकि सबसे बड़ी वीथिका है श्रीराधारानी वीथिका, जहाँ स्थापित एवं नए कलाकारों के शो आयोजित किए जाते हैं। त्रिवेणी वीथिका में कलाकारों के लघु कार्य प्रदर्शित किए जाते हैं।
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