"अब तेरी सरन आयो राम -मलूकदास": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " सन " to " सन् ") |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - " गुलाम" to " ग़ुलाम") |
||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥ | जबै सुनियो साधके मुख, पतित पावन नाम॥2॥ | ||
यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥ | यही जान पुकार कीन्ही अति सतायो काम॥3॥ | ||
बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक | बिषयसेती भयो आजिज कह मलूक ग़ुलाम॥4॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
09:21, 3 जून 2012 का अवतरण
इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
| ||||||||||||||||
|
अब तेरी सरन आयो राम॥1॥ |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |