"कांग्रेस अधिवेशन": अवतरणों में अंतर
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*[[1937]] ई. में फ़ैजपुर में प्रान्तीय स्वशासन के प्रस्ताव के साथ जवाहर लाल नेहरु ने अध्यक्षता की। | *[[1937]] ई. में फ़ैजपुर में प्रान्तीय स्वशासन के प्रस्ताव के साथ जवाहर लाल नेहरु ने अध्यक्षता की। | ||
*[[1938]] ई. में हरिपुरा गांव में नेताजी [[सुभाष चन्द्र बोस]] की अध्यक्षता में गाँधी जी के विरोध के बाद भी स्वराज्य का प्रस्ताव पास हुआ। | *[[1938]] ई. में हरिपुरा गांव में नेताजी [[सुभाष चन्द्र बोस]] की अध्यक्षता में गाँधी जी के विरोध के बाद भी स्वराज्य का प्रस्ताव पास हुआ। | ||
==स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अधिवेशन== | |||
स्वाधीनता पाने के बाद [[1948]] ई. में कांग्रेस का अधिवेशन [[जयपुर]] में पट्टाभि सीतारमैया की अध्यक्षता में हुआ। [[1950]] ई. में [[नासिक]] में [[पुरुषोत्तम दास टंडन]] की अध्यक्षता में, [[1951]] ई. में [[नई दिल्ली]] में [[पंडित जवाहरलाल नेहरू]] की अध्यक्षता में, जिन्होंने [[हैदराबाद]] ([[1953]]) तथा [[कल्याणी कर्नाटक|कल्याणी]] अधिवेशनों की भी अध्यक्षता की। [[1955]] ई. में अवाड़ी में उच्छंगराय नवलराय ढेबर की अध्यक्षता में, जिन्होंने [[अमृतसर]] ([[1956]] ई.) तथा [[गोहाटी]] (1958 ई.) अधिवेशनों की भी अध्यक्षता की। 1955 में [[नागपुर]] में श्रीमती [[इंदिरा गाँधी]] की अध्यक्षता में, [[1960]] ई. में [[बंगलोर]] में तथा [[1961]] ई. में [[गुजरात]] में [[नीलम संजीव रेड्डी]] की अध्यक्षता में, [[1962]] ई. में [[भुवनेश्वर]] में तथा [[1963]] ई. में [[पटना]] में दामोदरन संजीवैया की अध्यक्षता में तथा [[1964]] ई. में भुवनेश्वर में तथा [[1965]] ई. में दुर्गापुर में के. कामराज की अध्यक्षता में हुआ। अवाड़ी अधिवेशन (1955 ई.) में [[कांग्रेस]] ने देश में लोक तांत्रिक आधार पर समाजवादी राज्य की स्थापना की नीति स्वीकार की, जिसे उसने भुवनेश्वर अधिवेशन (1965 ई.) में दोहराया। | |||
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09:55, 10 जून 2012 का अवतरण
कांग्रेस अधिवेशन भारतीयों के सबसे बड़े राजनीतिक दल 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' द्वारा समय-समय पर आयोजित किये गए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसम्बर, 1885 में की गई थी। इसका पहला अधिवेशन बम्बई (वर्तमान मुम्बई) में 'कलकत्ता हाईकोर्ट' के बैरिस्टर व्योमेशचन्द्र बनर्जी की अध्यक्षता में हुआ था। कहा जाता है कि वाइसरॉय लॉर्ड डफ़रिन (1884-1888) ने कांग्रेस की स्थापना का अप्रत्यक्ष रीति से समर्थन किया था। यह सही है कि एक अवकाश प्राप्त अंग्रेज़ अधिकारी एलन ऑक्टेवियन ह्यूम कांग्रेस का जन्मदाता था और 1912 में उसकी मृत्यु हो जाने पर कांग्रेस ने उसे अपना जन्मदाता और संस्थापक घोषित किया था। गोपालकृष्ण गोखले के अनुसार 1885 में ह्यूम के सिवा और कोई व्यक्ति कांग्रेस की स्थापना नहीं कर सकता था। परंतु वस्तु स्थिति यह प्रतीत होती है कि जैसा कि सी.वाई. चिंतामणि का मत है, राजनीतिक उद्देश्यों से राष्ट्रीय सम्मेलन का विचार कई व्यक्तियों के मन में उठा था और वह 1885 में चरितार्थ हुआ।
अधिवेशन
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1885 से प्रारम्भ होने वाले और 1947 तक के अधिवेशन इस प्रकार हैं, जिससे उसका राष्ट्रीय एवं अखिल भारतीय रूप प्रकट होता है।
अधिवेशन | वर्ष | स्थान | अध्यक्ष |
---|---|---|---|
पहला | 1885 ई. | बम्बई (वर्तमान मुम्बई) | व्योमेश चन्द्र बनर्जी |
दूसरा | 1886 ई. | कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) | दादाभाई नौरोजी |
तीसरा | 1887 ई. | मद्रास (वर्तमान चेन्नई) | बदरुद्दीन तैयब जी |
चौथा | 1888 ई. | इलाहाबाद | जॉर्ज यूल |
पाँचवा | 1889 | बम्बई | सर विलियम वेडरबर्न |
छठा | 1890 ई. | कलकत्ता | फ़िरोजशाह मेहता |
सातवाँ | 1891 ई. | नागपुर | पी. आनंद चारलू |
आठवाँ | 1892 ई. | इलाहाबाद | व्योमेश चन्द्र बनर्जी |
नौवाँ | 1893 ई. | लाहौर | दादाभाई नौरोजी |
दसवाँ | 1894 ई. | मद्रास | अल्फ़ेड वेब |
ग्यारहवाँ | 1895 ई. | पूना | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
बारहवाँ | 1896 ई. | कलकत्ता | रहीमतुल्ला सयानी |
तेरहवाँ | 1897 ई. | अमरावती | सी. शंकरन नायर |
चैदहवाँ | 1898 ई. | मद्रास | आनंद मोहन दास |
पन्द्रहवाँ | 1899 ई. | लखनऊ | रमेश चन्द्र दत्त |
सोलहवाँ | 1900 ई. | लाहौर | एन.जी. चंद्रावरकर |
सत्रहवाँ | 1901 ई. | कलकत्ता | दिनशा इदुलजी वाचा |
अठारहवाँ | 1902 ई. | अहमदाबाद | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी |
उन्नीसवाँ | 1903 ई. | मद्रास | लाल मोहन घोष |
बीसवाँ | 1904 ई. | बम्बई | सर हेनरी काटन |
इक्कीसवाँ | 1905 ई. | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले |
बाईसवाँ | 1906 ई. | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी |
तेईसवाँ | 1907 ई. | सूरत | डॉ. रास बिहारी घोष |
चौबीसवाँ | 1908 ई. | मद्रास | डॉ. रास बिहारी घोष |
पच्चीसवाँ | 1909 ई. | लाहौर | मदन मोहन मालवीय |
छब्बीसवाँ | 1910 ई. | इलाहाबाद | विलियम वेडरबर्न |
सत्ताईसवाँ | 1911 ई. | कलकत्ता | पंडित बिशननारायण धर |
अट्ठाईसवाँ | 1912 ई. | बांकीपुर | आर.एन. माधोलकर |
उन्नतीसवाँ | 1913 ई. | कराची | नवाब सैयद मोहम्मद बहादुर |
तीसवाँ | 1914 ई. | मद्रास | भूपेन्द्र नाथ बसु |
इकतीसवाँ | 1915 ई. | बम्बई | सर सत्येन्द्र प्रसन्न सिन्हा |
बत्तीसवाँ | 1916 ई. | लखनऊ | अंबिकाचरण मजूमदार |
तैतीसवाँ | 1917 ई. | कलकत्ता | श्रीमती एनी बेसेन्ट |
चौतीसवाँ | 1918 ई. | बम्बई | सैयद हसन इमाम |
पैतीसवाँ | 1918 ई. | दिल्ली | मदन मोहन मालवीय |
छत्तीसवाँ | 1919 ई. | अमृतसर | पं. मोतीलाल नेहरू |
विशेष अधिवेशन | 1920 ई. | कलकत्ता | लाला लाजपत राय |
सैतीसवाँ | 1921 ई. | अहमदाबाद | हकीम अजमल ख़ाँ |
अड़तीसवाँ | 1922 ई. | गया | देशबंधु चितरंजन दास |
उनतालीसवाँ | 1923 ई. | काकीनाडा | मौलाना मोहम्द अली |
विशेष अधिवेशन | 1923 ई. | दिल्ली | मौलाना अबुल कलाम आज़ाद |
चालीसवाँ | 1924 ई. | बेलगांव | महात्मा गाँधी |
एकतालीसवाँ | 1925 ई. | कानपुर | श्रीमती सरोजनी नायडू |
बयालीसवाँ | 1926 ई. | गुवाहाटी | एस. श्रीनिवास आयंगर |
तैंतालिसवाँ | 1927 ई. | मद्रास | डॉ.एम.ए. अंसारी |
चौवालिसवाँ | 1928 ई. | कलकत्ता | जवाहर लाल नेहरु |
पैंतालिसवाँ | 1929 ई. | लाहौर | जवाहर लाल नेहरु |
छियालिसवाँ | 1931 ई. | कराची | सरदार वल्लभ भाई पटेल |
सैंतालिसवाँ | 1932 ई. | दिल्ली | अमृत रणछोड़दास सेठ |
अड़तालिसवाँ | 1933 ई. | कलकत्ता | श्रीमती नलिनी सेनगुप्ता |
उन्चासवाँ | 1934 ई. | बम्बई | बाबू राजेन्द्र प्रसाद |
पचासवाँ | 1936 ई. | लखनऊ | जवाहर लाल नेहरु |
इक्यावनवाँ | 1937 ई. | फ़ैजपुर | जवाहर लाल नेहरु |
बावनवाँ | 1938 ई. | हरिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस |
तिरपनवाँ | 1939 ई. | त्रिपुरी | सुभाष चन्द्र बोस |
चौवनवाँ | 1940 ई. | रामगढ़ | मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद |
पचपनवाँ | 1946 ई. | मेरठ | आचार्य जे.बी. कृपलानी |
छप्पनवाँ | 1947 ई. | दिल्ली | राजेन्द्र प्रसाद |
- नोट-
1932 के 'दिल्ली अधिवेशन' में मदन मोहन मालवीय को अध्यक्ष चुना गया था, परन्तु उनके कारावास में होने के कारण अमृत रणछोड़दास सेठ को कार्यकारी अध्यक्षता सौंपी गई। साथ ही एम.ए. अंसारी, एस.एस. कार्वाशर, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू तथा अबुल कलाम आज़ाद भी कार्यकारी अध्यक्ष चुने गये। इसी प्रकार 1933 के अधिवेशन के अध्यक्ष भी मदन मोहन मालवीय चुने गये, परन्तु अब भी कारावास में उनके निरुद्ध होने के कारण श्रीमती नलिनी सेनगुप्ता को कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया।
कुछ महत्त्वपूर्ण अधिवेशन
- 1888 ई. में इलाहबाद में जॉर्ज यूल के नेतृत्व में मुख्य मांगे थी- 'नमक कर' में कमी एवं शिक्षा पर व्यय में वृद्धि। इस अधिवेशन में संविधान निर्माण पर बल दिया गया। कुल सदस्य संख्या 1,248 थी।
- 1889 ई. में बम्बई में विलियम वेडरबर्न के नेतृत्व में मताधिकार की आयु सीमा 21 वर्ष निर्धारित की गई। सदस्यो की संख्या 1,889 थी।
- 1891 ई. में नागपुर में पी. आनन्द चारलू के नेतृत्व में कांग्रेस का एक और नाम 'राष्ट्रीयता' रखा गया।
- 1895 ई. में पूना में सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के नेतृत्व में संविधान पर दुबारा विचार-विमर्श प्रारम्भ हुआ।
- 1896 ई. में कलकत्ता में रहीमतुल्ला सयानी के नेतृत्व में पहली बार बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा 'वंदेमातरम' गाया गया।
- 1916 ई. में अम्बिकाचरण मजूमदार के नेतृत्व में 'लखनऊ अधिवेशन' में कांग्रेस और मुस्लिम लीग का पुनर्मिलन हुआ।
- 1918 ई. में दिल्ली में पंडित मदनमोहन मालवीय के नेतृत्व में अधिवेशन सम्पन्न हुआ। इसमे 'गरम दल' के सदस्य अधिक थे, इसलिए बाल गंगाधर तिलक अध्यक्ष चुने गये। उन्हे 'शिरोल केस' के तहत इंग्लैड जाना पड़ा। अन्ततः मालवीय जी अध्यक्ष हुए। अधिवेशन में आत्म निर्णय के अधिकार की मांग की गई।
- 1920 ई. में नागपुर में विजय राघवाचार्य के नेतृत्व में अधिवेशन हुआ। इसमें भाषा के आधार पर देश को प्रान्तों में विभाजित किया गया। कांग्रेस की सदस्यता हेतु वार्षिक चन्दा चार आना किया गया। लोकमान्य तिलक के नाम 'लोकमान्य तिलक स्वराज्य फण्ड' की स्थापना की गयी।
- 1921 ई. में अहमदाबाद में अध्यक्षता पद हेतु चितरंजन दास का चुनाव किया गया, मगर उनके जेल में होने के कारण अध्यक्षता हकीम अजमल ख़ाँ ने की।
- 1924 ई. में बेलगांव में 'कांग्रेस अधिवेशन' की अध्यक्षता राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने की।
- 1926 ई. में गुवाहाटी में श्रीनिवास आयंगर की अध्यक्षता में सम्पन्न अधिवेशन में खद्दर पहनना अनिवार्य घोषित कर किया गया।
- 1927 ई. में मद्रास में एम.ए. अंसारी के नेतृत्व में अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पास किया गया।
- 1929 ई. में लाहौर के इस ऐतिहासिक अधिवेशन में अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरु थे। इस अधिवेशन में भारत की पूर्ण स्वाधीनता का लक्ष्य पारित हुआ। 1936 में लखनऊ में इन्हीं के नेतृत्व में 'कांग्रेस पार्लियामेंटरी बोर्ड' की स्थापना हुई।
- 1937 ई. में फ़ैजपुर में प्रान्तीय स्वशासन के प्रस्ताव के साथ जवाहर लाल नेहरु ने अध्यक्षता की।
- 1938 ई. में हरिपुरा गांव में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की अध्यक्षता में गाँधी जी के विरोध के बाद भी स्वराज्य का प्रस्ताव पास हुआ।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अधिवेशन
स्वाधीनता पाने के बाद 1948 ई. में कांग्रेस का अधिवेशन जयपुर में पट्टाभि सीतारमैया की अध्यक्षता में हुआ। 1950 ई. में नासिक में पुरुषोत्तम दास टंडन की अध्यक्षता में, 1951 ई. में नई दिल्ली में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में, जिन्होंने हैदराबाद (1953) तथा कल्याणी अधिवेशनों की भी अध्यक्षता की। 1955 ई. में अवाड़ी में उच्छंगराय नवलराय ढेबर की अध्यक्षता में, जिन्होंने अमृतसर (1956 ई.) तथा गोहाटी (1958 ई.) अधिवेशनों की भी अध्यक्षता की। 1955 में नागपुर में श्रीमती इंदिरा गाँधी की अध्यक्षता में, 1960 ई. में बंगलोर में तथा 1961 ई. में गुजरात में नीलम संजीव रेड्डी की अध्यक्षता में, 1962 ई. में भुवनेश्वर में तथा 1963 ई. में पटना में दामोदरन संजीवैया की अध्यक्षता में तथा 1964 ई. में भुवनेश्वर में तथा 1965 ई. में दुर्गापुर में के. कामराज की अध्यक्षता में हुआ। अवाड़ी अधिवेशन (1955 ई.) में कांग्रेस ने देश में लोक तांत्रिक आधार पर समाजवादी राज्य की स्थापना की नीति स्वीकार की, जिसे उसने भुवनेश्वर अधिवेशन (1965 ई.) में दोहराया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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