"सालुव नरसिंह": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*'''सालुव नरसिंह''' (1485-1491 ई.) ने [[विजयनगर साम्राज्य]] में दूसरे राजवंश [[सालुव वंश]] की स्थापना की थी।
*'''सालुव नरसिंह''' (1485-1491 ई.) ने [[विजयनगर साम्राज्य]] में दूसरे राजवंश [[सालुव वंश]] की स्थापना की थी।
*अपने 6 वर्षीय शासन काल में सालुव ने राज्य में व्याप्त आन्तरिक विद्रोह को समाप्त करने का प्रयत्न किया।
*अपने 6 वर्षीय शासन काल में सालुव ने राज्य में व्याप्त आन्तरिक विद्रोह को समाप्त करने का प्रयत्न किया।
*पर [[उड़ीसा]] के गजपति शासक पुरुषोत्तम ने सालुव को पराजित कर बन्दी बना लिया तथा साथ ही [[उदयगिरि उड़ीसा|उदयगिरी]] के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया।
*पर [[उड़ीसा]] के गजपति शासक पुरुषोत्तम ने सालुव को पराजित कर बन्दी बना लिया तथा साथ ही उदयगिरी के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया।
*कालान्तर में बन्दी जीवन से मुक्त होने के बाद सालुव ने [[कर्नाटक]] के तुलुव प्रदेशों को जीता।
*कालान्तर में बन्दी जीवन से मुक्त होने के बाद सालुव ने [[कर्नाटक]] के तुलुव प्रदेशों को जीता।
*उसने [[अरब]] से होने वाले घोड़ों के व्यापार को पुनः प्रारम्भ किया।
*उसने [[अरब]] से होने वाले घोड़ों के व्यापार को पुनः प्रारम्भ किया।

07:24, 15 जून 2012 के समय का अवतरण

  • सालुव नरसिंह (1485-1491 ई.) ने विजयनगर साम्राज्य में दूसरे राजवंश सालुव वंश की स्थापना की थी।
  • अपने 6 वर्षीय शासन काल में सालुव ने राज्य में व्याप्त आन्तरिक विद्रोह को समाप्त करने का प्रयत्न किया।
  • पर उड़ीसा के गजपति शासक पुरुषोत्तम ने सालुव को पराजित कर बन्दी बना लिया तथा साथ ही उदयगिरी के क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया।
  • कालान्तर में बन्दी जीवन से मुक्त होने के बाद सालुव ने कर्नाटक के तुलुव प्रदेशों को जीता।
  • उसने अरब से होने वाले घोड़ों के व्यापार को पुनः प्रारम्भ किया।
  • 1491 ई. में सालुव नरसिंह की मृत्यु हो गई।
  • सालुव की मृत्यु के बाद अल्प काल के लिए उसके बड़े पुत्र 'इतितम्मा' ने नरसा नायक के संरक्षकत्व में शासन भार ग्रहण किया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख