"मनसा देवी मंदिर": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Mansa-Devi-Temple-Haridwar | [[चित्र:Mansa-Devi-Temple-Haridwar.jpg|thumb|250px|मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार]] | ||
'''मनसा देवी का मंदिर''' [[हरिद्वार]] में हरकी पैड़ी के पास [[गंगा]] किनारे पहाड़ी पर स्थित आस्था का केन्द्र है। ट्राम के होने से यह देवस्थान लुभावना धार्मिक [[पर्यटन]] स्थल बन गया है। | '''मनसा देवी का मंदिर''' [[हरिद्वार]] में हरकी पैड़ी के पास [[गंगा]] किनारे पहाड़ी पर स्थित आस्था का केन्द्र है। ट्राम के होने से यह देवस्थान लुभावना धार्मिक [[पर्यटन]] स्थल बन गया है। | ||
* दुर्गम पहाड़ियों और पवित्र गंगा के किनारे स्थित मनसा देवी का उल्लेख [[पुराण|पुराणों]] में है। 'मनसा' शब्द का प्रचलित अर्थ इच्छा है। कहा जाता है कि माँ मनसा सच्चे मन वाले हर श्रद्धालु की इच्छा को पूरा करती हैं। | * दुर्गम पहाड़ियों और पवित्र गंगा के किनारे स्थित मनसा देवी का उल्लेख [[पुराण|पुराणों]] में है। 'मनसा' शब्द का प्रचलित अर्थ इच्छा है। कहा जाता है कि माँ मनसा सच्चे मन वाले हर श्रद्धालु की इच्छा को पूरा करती हैं। |
11:24, 26 जुलाई 2012 का अवतरण
मनसा देवी का मंदिर हरिद्वार में हरकी पैड़ी के पास गंगा किनारे पहाड़ी पर स्थित आस्था का केन्द्र है। ट्राम के होने से यह देवस्थान लुभावना धार्मिक पर्यटन स्थल बन गया है।
- दुर्गम पहाड़ियों और पवित्र गंगा के किनारे स्थित मनसा देवी का उल्लेख पुराणों में है। 'मनसा' शब्द का प्रचलित अर्थ इच्छा है। कहा जाता है कि माँ मनसा सच्चे मन वाले हर श्रद्धालु की इच्छा को पूरा करती हैं।
- मान्यता है कि मनसा देवी का जन्म संत कश्यप के मस्तिष्क से हुआ है। उन्हें नाग राजा वासुकी की पत्नी भी माना जाता है। हरिद्वार के चंडी देवी और माया देवी के साथ मनसा देवी को भी सिद्ध पीठों में प्रमुख माना जाता है। मनसा भगवान शंकर की कठोर तपस्या करके वेदों का अध्ययन किया और कृष्ण मंत्र प्राप्त किया, जो कल्पतरु मंत्र कहलाता है। इसके बाद देवी ने कई युगों तक पुष्कर में तप किया। भगवान कृष्ण ने दर्शन देकर वरदान दिया कि तीनों लोकों में तुम्हारी पूजा होगी।
- देवी की पूजा गंगा दशहरा के दिन बंगाल में भी की जाती है। कहीं-कहीं कृष्णपक्ष पंचमी को भी देवी पूजी जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन घर के आँगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता।
- मनसा देवी की पूजा के बाद ही नागों की पूजा होती है।
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