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-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]
-[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]]
||'फ़िरोजशाह तुग़लक़' के शासन काल में दासों की संख्या लगभग 1,80,000 तक पहुँच गई थी। इनकी देखभाल हेतु सुल्तान ने 'दीवान-ए-बंदग़ान' की स्थापना की। कुछ दास प्रांतों में भेजे गये तथा शेष को केन्द्र में रखा गया। दासों को नकद वेतन या भूखण्ड दिए गये। दासों को दस्तकारी का प्रशिक्षण भी दिया गया। सैन्य व्यवस्था के अन्तर्गत [[फ़िरोजशाह तुग़लक़|फ़िरोज]] ने सैनिकों को पुनः जागीर के रूप में वेतन देना प्रारम्भ कर दिया। उसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया, इससे सैनिकों की योग्यता की जाँच पर असर पड़ा। 'खुम्स' का 4/5 भाग फिर से सैनिकों को देने के आदेश दिए गये। कुछ समय बाद उसका भयानक परिणम सामने आया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फ़िरोजशाह तुग़लक़]]
||'फ़िरोजशाह तुग़लक़' के शासन काल में दासों की संख्या लगभग 1,80,000 तक पहुँच गई थी। इनकी देखभाल हेतु सुल्तान ने 'दीवान-ए-बंदग़ान' की स्थापना की। कुछ दास प्रांतों में भेजे गये तथा शेष को केन्द्र में रखा गया। दासों को नकद वेतन या भूखण्ड दिए गये। दासों को दस्तकारी का प्रशिक्षण भी दिया गया। सैन्य व्यवस्था के अन्तर्गत [[फ़िरोजशाह तुग़लक़|फ़िरोज]] ने सैनिकों को पुनः जागीर के रूप में वेतन देना प्रारम्भ कर दिया। उसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया, इससे सैनिकों की योग्यता की जाँच पर असर पड़ा। 'खुम्स' का 4/5 भाग फिर से सैनिकों को देने के आदेश दिए गये। कुछ समय बाद उसका भयानक परिणम सामने आया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[फ़िरोजशाह तुग़लक़]]
{[[सल्तनत काल]] में शाही पत्र व्यवहार किस मंत्री का कार्य था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 02)
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-वज़ीर
-मीर बख्शी
-काजी
+[[दीवान-ए-इंशा]]
||'दीवान-ए-इंशा' [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में [[सल्तनत काल]] का एक महत्त्वपूर्ण पद था। इस पद पर कार्य करने वाला व्यक्ति 'दबीर-ए-मुमालिक' विभाग के अन्तर्गत आता था। शाही पत्र व्यवहार के लिए कार्य करने का भार इस विभाग द्वारा होता था। यह सुल्तान की घोषणाओं एवं पत्रों का मसविदा तैयार करता था। सभी राजकीय [[अभिलेख]] इसी कार्यालय में सुरक्षित रखे जाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दीवान-ए-इंशा]]


{किसके शासन काल को [[इब्नबतूता]] ने "एक बहुत बड़ा समारोह" कहा है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 01)
{किसके शासन काल को [[इब्नबतूता]] ने "एक बहुत बड़ा समारोह" कहा है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 01)
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-वैश्यावृत्ति कर
-वैश्यावृत्ति कर
-हज कर
-हज कर
{किस [[मुग़ल]] बादशाह का राज्याभिषेक [[बैरम ख़ाँ]] द्वारा 'कलानौर' में किया गया?(भारतकोश)
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+[[अकबर]]
-[[जहाँगीर]]
-[[शाहजहाँ]]
-[[हुमायूँ]]
||[[चित्र:Akbar-Sketch.jpg|right|100px|अकबर की मृत्यु से कुछ समय पहले का चित्र]][[दिल्ली]] के तख्त पर बैठने के बाद [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] का यह दुर्भाग्य ही था कि वह अधिक दिनों तक सत्ताभोग नहीं कर सका। [[जनवरी]], 1556 ई. में ‘दीनपनाह’ भवन में स्थित पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मुत्यु हो गयी। हुमायूँ की मृत्यु का समाचार सुनकर [[बैरम ख़ाँ]] ने [[गुरदासपुर]] के निकट ‘कलानौर’ में [[14 फ़रवरी]], 1556 ई. को [[अकबर]] का राज्याभिषेक करवा दिया और वह 'जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाह ग़ाज़ी' की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा। राज्याभिषेक के समय अकबर की आयु मात्र 13 वर्ष 4 महीने की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]]


{'अद्धा' और 'मिस्र' नामक दो सिक्के चलाने का श्रेय किसे दिया जाता है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 166, प्र. 35)
{'अद्धा' और 'मिस्र' नामक दो सिक्के चलाने का श्रेय किसे दिया जाता है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 166, प्र. 35)
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-फ़ुतुहुस्सलातीन
-फ़ुतुहुस्सलातीन
-इनमें से कोई नहीं
-इनमें से कोई नहीं
{निम्न में से कौन-सा एक रोग [[मीर जुमला]] की मृत्यु का कारण था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 195, प्र. 691)
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-कैंसर
-तपैदिक
+[[प्लूरिसी]]
-आंत्र ज्वर
||'प्लूरिसी' मानव में होने वाला एक रोग है। [[मानव शरीर]] में [[फेफड़ा|फेफड़े]] और छाती की अन्दरूनी दोहरी परत को ढकने वाली पतली झिल्ली को 'प्लूरा' कहते हैं। अगर इस झिल्ली में किसी तरह का संक्रमण हो जाता है तो उसे 'प्लूरिसी रोग' कहा जाता है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके फेफड़े की झिल्लियाँ थोड़ी मोटी हो जाती है और इसमें पाई जाने वाली दोनों सतह एक-दूसरे से टकराने लगती हैं। इन दोनों सतहों के बीच [[द्रव्य]] भरा रहता है, जो इस रोग के कारण एक जगह ठहर जाता है और अपने स्थान से बाहर होकर जमा होने लगता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्लूरिसी]]


{मुग़लकालीन [[भारत]] में बादशाह के बाद प्रमुख स्थान किस वर्ग को प्राप्त था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 694)
{मुग़लकालीन [[भारत]] में बादशाह के बाद प्रमुख स्थान किस वर्ग को प्राप्त था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 694)
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-ज़मींदारों को
-ज़मींदारों को
+अमीरों को
+अमीरों को
{यह कथन किसका है- "इतिहास की जानकारी के वगैर रदीस को समझना सम्भव नहीं है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 195, प्र. 670)
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-[[अमीर ख़ुसरो]]
+[[जियाउद्दीन बरनी]]
-[[इब्नबतूता]]
-[[फ़रिश्ता (यात्री)|फ़रिश्ता]]
||ज़ियाउद्दीन बरनी '[[भारत का इतिहास]]' लिखने वाला पहला ज्ञात [[मुस्लिम]] था। वह [[दिल्ली]] में सुल्तान [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] का 'नदीम' अर्थात 'प्रिय साथी' बनकर 17 वर्षों तक रहा था। [[ज़ियाउद्दीन बरनी|ज़ियाउद्दीन]] '[[बरन]]', आधुनिक [[बुलन्दशहर]] का रहने वाला था। यही कारण था कि वह अपने नाम के साथ 'बरनी' लिखता था। इसका बचपन अपने चाचा 'अला-उल-मुल्क' के साथ व्यतीत हुआ, जो [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के दरबार में सलाहकार था। संभवतः बरनी ने 46 विद्धानों से शिक्षा ग्रहण की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जियाउद्दीन बरनी]]


{[[भारत]] में [[डच]] शक्ति का केन्द्र बिन्दु क्या था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 700)
{[[भारत]] में [[डच]] शक्ति का केन्द्र बिन्दु क्या था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 700)
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-[[कोलकाता]]
-[[कोलकाता]]
||[[चित्र:Tajmahal-10.jpg|right|120px|ताजमहल, आगरा]]'आगरा' [[उत्तर प्रदेश]] प्रान्त का एक ज़िला, शहर व तहसील है। 16वीं सदी के आरंभ में इसकी स्थापना [[सिकन्दर लोदी]] ने की थी। [[मुग़ल]] शासकों [[अकबर]], [[जहाँगीर]] और [[शाहजहाँ]] के शासन काल में [[आगरा]] मुग़ल राजधानी थी। [[मध्य काल]] में आगरा, [[गुजरात]] तट के बंदरगाहों और पश्चिमी [[गंगा]] के मैदानों के बीच के व्यापार मार्ग पर एक महत्त्वपूर्ण शहर था। [[मुग़ल साम्राज्य]] के पतन के साथ ही 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में यह शहर क्रमशः [[जाट|जाटों]], [[मराठा|मराठों]], [[मुग़ल|मुग़लों]] और [[ग्वालियर]] के शासक के अधीन रहा और अंततः 1803 में [[अंग्रेज़]] शासन के अंतर्गत आ गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आगरा]]
||[[चित्र:Tajmahal-10.jpg|right|120px|ताजमहल, आगरा]]'आगरा' [[उत्तर प्रदेश]] प्रान्त का एक ज़िला, शहर व तहसील है। 16वीं सदी के आरंभ में इसकी स्थापना [[सिकन्दर लोदी]] ने की थी। [[मुग़ल]] शासकों [[अकबर]], [[जहाँगीर]] और [[शाहजहाँ]] के शासन काल में [[आगरा]] मुग़ल राजधानी थी। [[मध्य काल]] में आगरा, [[गुजरात]] तट के बंदरगाहों और पश्चिमी [[गंगा]] के मैदानों के बीच के व्यापार मार्ग पर एक महत्त्वपूर्ण शहर था। [[मुग़ल साम्राज्य]] के पतन के साथ ही 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में यह शहर क्रमशः [[जाट|जाटों]], [[मराठा|मराठों]], [[मुग़ल|मुग़लों]] और [[ग्वालियर]] के शासक के अधीन रहा और अंततः 1803 में [[अंग्रेज़]] शासन के अंतर्गत आ गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आगरा]]
{[[सल्तनत काल]] में शाही पत्र व्यवहार किस मंत्री का कार्य था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 02)
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-वज़ीर
-मीर बख्शी
-काजी
+[[दीवान-ए-इंशा]]
||'दीवान-ए-इंशा' [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में [[सल्तनत काल]] का एक महत्त्वपूर्ण पद था। इस पद पर कार्य करने वाला व्यक्ति 'दबीर-ए-मुमालिक' विभाग के अन्तर्गत आता था। शाही पत्र व्यवहार के लिए कार्य करने का भार इस विभाग द्वारा होता था। यह सुल्तान की घोषणाओं एवं पत्रों का मसविदा तैयार करता था। सभी राजकीय [[अभिलेख]] इसी कार्यालय में सुरक्षित रखे जाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दीवान-ए-इंशा]]


{[[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] की प्रथम कोठी 1668 ई. में कहाँ स्थापित हुई थी?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 717)
{[[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] की प्रथम कोठी 1668 ई. में कहाँ स्थापित हुई थी?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 717)
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+[[सूरत]] में
+[[सूरत]] में
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|परले पॉइंट, सूरत]]12वीं से 15वीं शताब्दी तक [[सूरत]] [[मुस्लिम]] शासकों, [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]], [[मुग़ल|मुग़लों]] और [[मराठा|मराठों]] के आक्रमणों का शिकार हुआ था। 1514 में [[पुर्तग़ाली]] यात्री 'दुआरते बारबोसा' ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया। यहाँ [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] ने अपनी पहली कोठी 'फ़्रैकों कैरो' द्वारा 1668 ई. में स्थापित की थी। [[गोलकुण्डा]] रियासत के सुल्तान से अधिकार पत्र प्राप्त करने के बाद फ़्राँसीसियों ने अपनी दूसरी व्यापारिक कोठी की स्थापना 1669 ई. में [[मसुलीपट्टम]] में की। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय [[अंग्रेज़]] और [[डच]], दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 ई. में अंग्रेज़ों का इस पर अधिकार हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]
||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|परले पॉइंट, सूरत]]12वीं से 15वीं शताब्दी तक [[सूरत]] [[मुस्लिम]] शासकों, [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]], [[मुग़ल|मुग़लों]] और [[मराठा|मराठों]] के आक्रमणों का शिकार हुआ था। 1514 में [[पुर्तग़ाली]] यात्री 'दुआरते बारबोसा' ने सूरत का वर्णन एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में किया। यहाँ [[फ़्राँसीसी|फ़्राँसीसियों]] ने अपनी पहली कोठी 'फ़्रैकों कैरो' द्वारा 1668 ई. में स्थापित की थी। [[गोलकुण्डा]] रियासत के सुल्तान से अधिकार पत्र प्राप्त करने के बाद फ़्राँसीसियों ने अपनी दूसरी व्यापारिक कोठी की स्थापना 1669 ई. में [[मसुलीपट्टम]] में की। 18वीं शताब्दी में धीरे-धीरे सूरत का पतन होने लगा था। उस समय [[अंग्रेज़]] और [[डच]], दोनों ने सूरत पर नियंत्रण का दावा किया, लेकिन 1800 ई. में अंग्रेज़ों का इस पर अधिकार हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]]
{किस [[मुग़ल]] बादशाह का राज्याभिषेक [[बैरम ख़ाँ]] द्वारा 'कलानौर' में किया गया?(भारतकोश)
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+[[अकबर]]
-[[जहाँगीर]]
-[[शाहजहाँ]]
-[[हुमायूँ]]
||[[चित्र:Akbar-Sketch.jpg|right|100px|अकबर की मृत्यु से कुछ समय पहले का चित्र]][[दिल्ली]] के तख्त पर बैठने के बाद [[मुग़ल]] बादशाह [[हुमायूँ]] का यह दुर्भाग्य ही था कि वह अधिक दिनों तक सत्ताभोग नहीं कर सका। [[जनवरी]], 1556 ई. में ‘दीनपनाह’ भवन में स्थित पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मुत्यु हो गयी। हुमायूँ की मृत्यु का समाचार सुनकर [[बैरम ख़ाँ]] ने [[गुरदासपुर]] के निकट ‘कलानौर’ में [[14 फ़रवरी]], 1556 ई. को [[अकबर]] का राज्याभिषेक करवा दिया और वह 'जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाह ग़ाज़ी' की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा। राज्याभिषेक के समय अकबर की आयु मात्र 13 वर्ष 4 महीने की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अकबर]]


{[[महाराष्ट्र]] में [[भक्ति आन्दोलन]] की शुरुआत कब हुई?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 197, प्र. 748)
{[[महाराष्ट्र]] में [[भक्ति आन्दोलन]] की शुरुआत कब हुई?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 197, प्र. 748)
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+1290 ई. में
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-1327 ई. में
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{निम्न में से कौन-सा एक रोग [[मीर जुमला]] की मृत्यु का कारण था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 195, प्र. 691)
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-कैंसर
-तपैदिक
+[[प्लूरिसी]]
-आंत्र ज्वर
||'प्लूरिसी' मानव में होने वाला एक रोग है। [[मानव शरीर]] में [[फेफड़ा|फेफड़े]] और छाती की अन्दरूनी दोहरी परत को ढकने वाली पतली झिल्ली को 'प्लूरा' कहते हैं। अगर इस झिल्ली में किसी तरह का संक्रमण हो जाता है तो उसे 'प्लूरिसी रोग' कहा जाता है। जब यह रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो उसके फेफड़े की झिल्लियाँ थोड़ी मोटी हो जाती है और इसमें पाई जाने वाली दोनों सतह एक-दूसरे से टकराने लगती हैं। इन दोनों सतहों के बीच [[द्रव्य]] भरा रहता है, जो इस रोग के कारण एक जगह ठहर जाता है और अपने स्थान से बाहर होकर जमा होने लगता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[प्लूरिसी]]
{यह कथन किसका है- "इतिहास की जानकारी के वगैर रदीस को समझना सम्भव नहीं है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 195, प्र. 670)
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-[[अमीर ख़ुसरो]]
+[[जियाउद्दीन बरनी]]
-[[इब्नबतूता]]
-[[फ़रिश्ता (यात्री)|फ़रिश्ता]]
||ज़ियाउद्दीन बरनी '[[भारत का इतिहास]]' लिखने वाला पहला ज्ञात [[मुस्लिम]] था। वह [[दिल्ली]] में सुल्तान [[मुहम्मद बिन तुग़लक़]] का 'नदीम' अर्थात 'प्रिय साथी' बनकर 17 वर्षों तक रहा था। [[ज़ियाउद्दीन बरनी|ज़ियाउद्दीन]] '[[बरन]]', आधुनिक [[बुलन्दशहर]] का रहने वाला था। यही कारण था कि वह अपने नाम के साथ 'बरनी' लिखता था। इसका बचपन अपने चाचा 'अला-उल-मुल्क' के साथ व्यतीत हुआ, जो [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के दरबार में सलाहकार था। संभवतः बरनी ने 46 विद्धानों से शिक्षा ग्रहण की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जियाउद्दीन बरनी]]


{'जमोरिन' कौन था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 194, प्र. 650)
{'जमोरिन' कौन था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 194, प्र. 650)

06:52, 29 जुलाई 2012 का अवतरण

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 निम्नलिखित में से किस सुल्तान ने सैन्य सेवा को वंशानुगत बनाया?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 01)

इल्तुतमिश
बलबन
फ़िरोजशाह तुग़लक़
ग़यासुद्दीन तुग़लक़

2 किसके शासन काल को इब्नबतूता ने "एक बहुत बड़ा समारोह" कहा है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 01)

सुल्तान महमूद
कैकुबाद
फ़िरोजशाह तुग़लक़
मुइज़ुद्दीन बहरामशाह

3 सल्तनत काल में 'हक-ए-शर्ब' क्या था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 166, प्र. 30)

धार्मिक कर
सिंचाई कर
वैश्यावृत्ति कर
हज कर

4 किस मुग़ल बादशाह का राज्याभिषेक बैरम ख़ाँ द्वारा 'कलानौर' में किया गया?(भारतकोश)

अकबर
जहाँगीर
शाहजहाँ
हुमायूँ

5 'अद्धा' और 'मिस्र' नामक दो सिक्के चलाने का श्रेय किसे दिया जाता है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 166, प्र. 35)

कुतुबुद्दीन ऐबक
इल्तुतमिश
फ़िरोजशाह तुग़लक़
इब्राहीम लोदी

6 'महाराष्ट्र धर्म' का प्रणेता किसे माना जाता है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 198, प्र. 749)

ज्ञानेश्वर
रामदास
नामदेव
तुकाराम

7 निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक हुमायूँ के शासन के बारे में सूचना देती है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 199, प्र. 774)

तारीख-ए-रशीदी
तबकात-ए-नासिरी
फ़ुतुहुस्सलातीन
इनमें से कोई नहीं

8 निम्न में से कौन-सा एक रोग मीर जुमला की मृत्यु का कारण था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 195, प्र. 691)

कैंसर
तपैदिक
प्लूरिसी
आंत्र ज्वर

9 मुग़लकालीन भारत में बादशाह के बाद प्रमुख स्थान किस वर्ग को प्राप्त था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 694)

व्यापारियों को
सामंतों को
ज़मींदारों को
अमीरों को

10 यह कथन किसका है- "इतिहास की जानकारी के वगैर रदीस को समझना सम्भव नहीं है?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 195, प्र. 670)

अमीर ख़ुसरो
जियाउद्दीन बरनी
इब्नबतूता
फ़रिश्ता

11 भारत में डच शक्ति का केन्द्र बिन्दु क्या था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 700)

मसूलीपट्टम
सूरत
गेल्ड्रिया
कोरोमण्डल

12 अंग्रेज़ों ने मलमल का व्यापार भारत में कहाँ से प्रारम्भ किया?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 713)

सूरत
आगरा
दिल्ली
कोलकाता

13 सल्तनत काल में शाही पत्र व्यवहार किस मंत्री का कार्य था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 165, प्र. 02)

वज़ीर
मीर बख्शी
काजी
दीवान-ए-इंशा

14 फ़्राँसीसियों की प्रथम कोठी 1668 ई. में कहाँ स्थापित हुई थी?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 196, प्र. 717)

मुम्बई में
गोआ में
त्रावणकोर में
सूरत में

15 महाराष्ट्र में भक्ति आन्दोलन की शुरुआत कब हुई?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 197, प्र. 748)

1120 ई. में
1244 ई. में
1290 ई. में
1327 ई. में

16 'जमोरिन' कौन था?(प्रति.दर्प.सीरीज-16, पृ. 194, प्र. 650)

कालीकट का राजा
कोचीन का राजा
गोआ का राजा
मैसूर का राजा