"पिथौरागढ़": अवतरणों में अंतर
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'''पिथौरागढ़''' [[उत्तराखंड]] [[राज्य]] का एक नगर है। पिथौरागढ़ का प्राचीन नाम '''सोरघाटी''' है। पिथौरागढ़ [[उत्तराखण्ड]] राज्य के पूर्व में स्थित सीमान्त जनपद है। इसके उत्तर में [[तिब्बत]], पूर्व में [[नेपाल]], दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में [[अल्मोड़ा]], एवं उत्तर-पश्चिम में [[चमोली ज़िला|चमोली ज़िले]] पड़ते हैं। यह नगर [[समुद्र]] तल से 1645 मीटर की उंचाई पर स्थित है। पिथौरागढ़ का क्षेत्रफल 2,788 वर्ग मील है, पिथौरागढ़ का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं ऊबड़-खाबड़ है। पिथौरागढ़ एक शासन केंद्र भी है। | '''पिथौरागढ़''' [[उत्तराखंड]] [[राज्य]] का एक नगर है। पिथौरागढ़ का प्राचीन नाम '''सोरघाटी''' है। पिथौरागढ़ [[उत्तराखण्ड]] राज्य के पूर्व में स्थित सीमान्त जनपद है। इसके उत्तर में [[तिब्बत]], पूर्व में [[नेपाल]], दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में [[अल्मोड़ा]], एवं उत्तर-पश्चिम में [[चमोली ज़िला|चमोली ज़िले]] पड़ते हैं। यह नगर [[समुद्र]] तल से 1645 मीटर की उंचाई पर स्थित है। पिथौरागढ़ का क्षेत्रफल 2,788 वर्ग मील है, पिथौरागढ़ का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं ऊबड़-खाबड़ है। पिथौरागढ़ एक शासन केंद्र भी है। | ||
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[[चित्र:Ulka_devi.JPG|पिथौरागढ़ का उल्का देवी मंदिर प्रवेश द्वार|thumb|180px|left]] | |||
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[[चित्र:Pithoragarh_nighi.jpg|पिथौरागढ़ की रात्रिकालीन छटा|thumb|180px|left]] | |||
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[[कुमाऊँ]] में चंद्र वंशीय शासन में यह जनपद शक्ति का मुख्य केन्द्र था। [[कैलाश मानसरोवर]] की यात्रा का आरंभ इसी जनपद से होता है। यह नगर उनी कपडों और केन के हस्त शिल्प के लिये जाना जाता है। हवाई पट्टी नैनी सैनी टनकपुर कुमांउ मण्डल के जनपद चम्पावत पिथौरागढ और लोहाघाट जाने के लिये अंतिम रेलवे केन्द्र है यहाँ गोरखाओं द्वारा निर्मित 18वी शताब्दी का क़िला जो पिथौरागढ फोर्ट के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी भाग होने के कारण पिथौरागढ़ की विशेष उन्नति नहीं हो सकी है। | [[कुमाऊँ]] में चंद्र वंशीय शासन में यह जनपद शक्ति का मुख्य केन्द्र था। [[कैलाश मानसरोवर]] की यात्रा का आरंभ इसी जनपद से होता है। यह नगर उनी कपडों और केन के हस्त शिल्प के लिये जाना जाता है। हवाई पट्टी नैनी सैनी टनकपुर कुमांउ मण्डल के जनपद चम्पावत पिथौरागढ और लोहाघाट जाने के लिये अंतिम रेलवे केन्द्र है यहाँ गोरखाओं द्वारा निर्मित 18वी शताब्दी का क़िला जो पिथौरागढ फोर्ट के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी भाग होने के कारण पिथौरागढ़ की विशेष उन्नति नहीं हो सकी है। | ||
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थल केदार पिथौरागढ से 20 किमी दूर शिवपूरी नामक स्थान पर प्राकृतिक गुफा है जिसका मुहाना अत्यधिक छोटा है और ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से जाने वाला मोटे से मोटा व्यक्ति भी इसे पार कर जाता है और दुर्भावना रखने वाला व्यक्ति चाहे कितना भी दुबला क्यों न हो इस गुफा के मुहाने में फंस जाता है। | थल केदार पिथौरागढ से 20 किमी दूर शिवपूरी नामक स्थान पर प्राकृतिक गुफा है जिसका मुहाना अत्यधिक छोटा है और ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से जाने वाला मोटे से मोटा व्यक्ति भी इसे पार कर जाता है और दुर्भावना रखने वाला व्यक्ति चाहे कितना भी दुबला क्यों न हो इस गुफा के मुहाने में फंस जाता है। | ||
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07:45, 20 सितम्बर 2012 का अवतरण
पिथौरागढ़
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विवरण | प्रकृति की गोद में बसा उत्तराखण्ड का यह नगर पहाड़ों के बीच रखे कटोरे जैसा है। |
राज्य | उत्तराखण्ड |
ज़िला | पिथौरागढ़ ज़िला |
मार्ग स्थिति | यह शहर सड़क मार्ग द्वारा दिल्ली से 489 कि.मी. तथा टनकपुर से 151 कि.मी. दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | उल्का देवी मंदिर (सिद्धपीठ) |
कैसे पहुँचें | किसी भी शहर से बस और टैक्सी द्वारा पहुँचा जा सकता है। |
हवाई अड्डा, नैनी सैनी | |
टनकपुर रेलवे स्टेशन | |
क्या देखें | उत्तराखण्ड पर्यटन |
क्या ख़रीदें | स्थानीय दाल |
सावधानी | बरसात में भूस्खलन |
गूगल मानचित्र, हवाई अड्डा | |
अन्य जानकारी | पिथौरागढ़ में आप ट्रेकिंग का भी आनन्द ले सकते हैं। |
पिथौरागढ़ उत्तराखंड राज्य का एक नगर है। पिथौरागढ़ का प्राचीन नाम सोरघाटी है। पिथौरागढ़ उत्तराखण्ड राज्य के पूर्व में स्थित सीमान्त जनपद है। इसके उत्तर में तिब्बत, पूर्व में नेपाल, दक्षिण एवं दक्षिण-पूर्व में अल्मोड़ा, एवं उत्तर-पश्चिम में चमोली ज़िले पड़ते हैं। यह नगर समुद्र तल से 1645 मीटर की उंचाई पर स्थित है। पिथौरागढ़ का क्षेत्रफल 2,788 वर्ग मील है, पिथौरागढ़ का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं ऊबड़-खाबड़ है। पिथौरागढ़ एक शासन केंद्र भी है।
इतिहास
कुमाऊँ में चंद्र वंशीय शासन में यह जनपद शक्ति का मुख्य केन्द्र था। कैलाश मानसरोवर की यात्रा का आरंभ इसी जनपद से होता है। यह नगर उनी कपडों और केन के हस्त शिल्प के लिये जाना जाता है। हवाई पट्टी नैनी सैनी टनकपुर कुमांउ मण्डल के जनपद चम्पावत पिथौरागढ और लोहाघाट जाने के लिये अंतिम रेलवे केन्द्र है यहाँ गोरखाओं द्वारा निर्मित 18वी शताब्दी का क़िला जो पिथौरागढ फोर्ट के नाम से जाना जाता है। पहाड़ी भाग होने के कारण पिथौरागढ़ की विशेष उन्नति नहीं हो सकी है।
दर्शनीय स्थल
पिथौरागढ़ और आस पास अनेक इतिहास दर्शनीय स्थल हैं-
- कल्पेश्वर महावेद का मंदिर
- उल्का देवी मंदिर
- कल्पेश्वर महावद का मंदिर
- थल केदार
थल केदार पिथौरागढ से 20 किमी दूर शिवपूरी नामक स्थान पर प्राकृतिक गुफा है जिसका मुहाना अत्यधिक छोटा है और ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से जाने वाला मोटे से मोटा व्यक्ति भी इसे पार कर जाता है और दुर्भावना रखने वाला व्यक्ति चाहे कितना भी दुबला क्यों न हो इस गुफा के मुहाने में फंस जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 7”, हिन्दी विश्वकोश, 1966 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 221।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख