"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 3": अवतरणों में अंतर
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{ [[बिरजू महाराज]] किस क्षेत्र के सुविख्यात कलाकार हैं? | {[[बिरजू महाराज]] किस क्षेत्र के सुविख्यात कलाकार हैं? | ||
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+ [[कथक नृत्य]] | + [[कथक नृत्य]] | ||
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- [[मणिपुरी नृत्य]] | - [[मणिपुरी नृत्य]] | ||
- [[मोहनी अट्टम नृत्य]] | - [[मोहनी अट्टम नृत्य]] | ||
|| [[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|80px|बिरजू महाराज]]'बिरजू महाराज' का पूरा नाम 'बृज मोहन मिश्रा' है। वे [[नृत्य कला|भारतीय नृत्य]] की '[[कथक नृत्य|कथक]]' शैली के आचार्य और [[लखनऊ]] के कालका-बिंदादीन घराने के मुख्य प्रतिनिधि हैं। बिरजू महाराज ने [[राधा]]-[[कृष्ण]] अनुश्रुत प्रसंगों के वर्णन के साथ विभिन्न अपौराणिक और सामाजिक विषयों पर स्वंय को अभिव्यक्त करने के लिये [[नृत्य]] की शैली में नूतन प्रयोग किये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिरजू महाराज]] | ||[[चित्र:Birju-Maharaj.jpg|right|80px|बिरजू महाराज]]'बिरजू महाराज' का पूरा नाम 'बृज मोहन मिश्रा' है। वे [[नृत्य कला|भारतीय नृत्य]] की '[[कथक नृत्य|कथक]]' शैली के आचार्य और [[लखनऊ]] के कालका-बिंदादीन घराने के मुख्य प्रतिनिधि हैं। बिरजू महाराज ने [[राधा]]-[[कृष्ण]] अनुश्रुत प्रसंगों के वर्णन के साथ विभिन्न अपौराणिक और सामाजिक विषयों पर स्वंय को अभिव्यक्त करने के लिये [[नृत्य]] की शैली में नूतन प्रयोग किये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बिरजू महाराज]] | ||
{ रागिनी देवी किस [[शास्त्रीय नृत्य]] शैली से सम्बन्धित है? | {रागिनी देवी किस [[शास्त्रीय नृत्य]] शैली से सम्बन्धित है? | ||
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- [[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | - [[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | ||
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- [[कथकली नृत्य|कथकली]] | - [[कथकली नृत्य|कथकली]] | ||
{ पद्मा सुब्रह्मण्यम किस शास्त्रीय नृत्य शैली से सम्बन्धित | {पद्मा सुब्रह्मण्यम किस [[शास्त्रीय नृत्य|शास्त्रीय नृत्य शैली]] से सम्बन्धित हैं? | ||
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+ [[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | + [[भरतनाट्यम नृत्य|भरतनाट्यम]] | ||
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- [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | - [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | ||
{ भारती शिवाजी किस शैली के [[नृत्य कला|नृत्य]] के लिए प्रसिद्ध है? | {भारती शिवाजी किस शैली के [[नृत्य कला|नृत्य]] के लिए प्रसिद्ध है? | ||
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- [[कथकली नृत्य|कथकली]] | - [[कथकली नृत्य|कथकली]] | ||
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- [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | - [[ओडिसी नृत्य|ओडिसी]] | ||
{ मात्र 16 वर्ष की आयु में किस नृत्यांगना को गुरुदेव [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने 'कथक साम्राज्ञी' कहकर | {मात्र 16 वर्ष की आयु में किस नृत्यांगना को गुरुदेव [[रवीन्द्रनाथ ठाकुर]] ने 'कथक साम्राज्ञी' कहकर गौरवान्वित किया था? | ||
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+ सितारा देवी | + सितारा देवी | ||
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- शोभना नारायण | - शोभना नारायण | ||
{ [[भीमसेन जोशी|पण्डित भीमसेन जोशी]] हैं? | {[[भीमसेन जोशी|पण्डित भीमसेन जोशी]] हैं? | ||
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- [[बाँसुरी]] वादक | - [[बाँसुरी]] वादक | ||
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+ शास्त्रीय गायक | + शास्त्रीय गायक | ||
- [[सितार]] वादक | - [[सितार]] वादक | ||
|| [[चित्र:Bhimsen-Joshi-2.jpg|right|100px|भीमसेन जोशी]] [[भारत रत्न]] सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी (जन्म-[[14 फ़रवरी]], [[1922]], गड़ग, [[कर्नाटक]] | ||[[चित्र:Bhimsen-Joshi-2.jpg|right|100px|भीमसेन जोशी]][[भारत रत्न]] सम्मानित पंडित भीमसेन जोशी (जन्म-[[14 फ़रवरी]], [[1922]], गड़ग, [[कर्नाटक]]; मृत्यु- [[24 जनवरी]], [[2011]] [[पुणे]], [[महाराष्ट्र]]) किराना घराने के महत्त्वपूर्ण शास्त्रीय गायक हैं। उन्होंने 19 साल की उम्र से ही गायन शुरू किया था और वह सात दशकों तक शास्त्रीय गायन करते रहे। [[भीमसेन जोशी]] ने [[कर्नाटक]] को गौरवान्वित किया है। भारतीय [[संगीत]] के क्षेत्र में इससे पहले [[एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]], [[बिस्मिल्ला ख़ान|उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ान]], [[रवि शंकर|पंडित रविशंकर]] और [[लता मंगेशकर]] को '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया जा चुका है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमसेन जोशी]] | ||
{ गायन की [[ध्रुपद]] शैली का आरम्भ किसने किया? | {गायन की [[ध्रुपद]] शैली का आरम्भ किसने किया था? | ||
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- [[अमीर खुसरो]] | - [[अमीर खुसरो]] | ||
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- [[तानसेन]] | - [[तानसेन]] | ||
- विष्णु दिगम्बर पलुस्कर | - विष्णु दिगम्बर पलुस्कर | ||
|| | ||अभी तक सर्व सम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है कि [[ध्रुपद]] का अविष्कार कब और किसने किया था। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। बहुसंख्य विद्वानों के अनुसार पन्द्रहवीं शताब्दी में [[ग्वालियर]] के राजा मानसिंह तोमर ने इसकी रचना की थी। इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि राजा मानसिंह तोमर ने ध्रुपद के प्रचार में बहुत हाथ बंटाया था। [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के समय में [[तानसेन]] और उनके गुरु स्वामी हरिदास डागर, नायक बैजू और गोपाल जैसे प्रख्यात गायक ही इसे गाया करते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]] | ||
{ बेगम अख़्तर [[कला]] की किस विधा से सम्बन्धित हैं? | {बेगम अख़्तर [[कला]] की किस विधा से सम्बन्धित हैं? | ||
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- [[नृत्य कला|नृत्य]] | - [[नृत्य कला|नृत्य]] | ||
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- लोककला | - लोककला | ||
{ [[तानसेन]], [[स्वामी हरिदास जी|स्वामी हरिदास]] तथा [[बैजू बावरा]] [[हिन्दुस्तानी संगीत]] शैली के किस रूप से सम्बद्ध थे? | {[[तानसेन]], [[स्वामी हरिदास जी|स्वामी हरिदास]] तथा [[बैजू बावरा]] [[हिन्दुस्तानी संगीत]] शैली के किस रूप से सम्बद्ध थे? | ||
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- तराना | - तराना | ||
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||आज तक सर्व सम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है कि [[ध्रुपद]] का अविष्कार कब और किसने किया। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। बहुसंख्य विद्वानों के अनुसार पन्द्रहवीं शताब्दी में [[ग्वालियर]] के राजा मानसिंह तोमर ने इसकी रचना की। इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि राजा मानसिंह तोमर ने ध्रुपद के प्रचार में बहुत हाथ बंटाया। [[अकबर]] के समय में [[तानसेन]] और उनके गुरु स्वामी हरिदास डागर, नायक बैजू और गोपाल आदि प्रख्यात गायक ही इसे गाते थे। ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और [[फेफड़ा|फेफड़े]] पर बल पड़ता है। इसलिये लोग इसे 'मर्दाना गीत' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]] | ||आज तक सर्व सम्मति से यह निश्चित नहीं हो पाया है कि [[ध्रुपद]] का अविष्कार कब और किसने किया। इस सम्बन्ध में विद्वानों के कई मत हैं। बहुसंख्य विद्वानों के अनुसार पन्द्रहवीं शताब्दी में [[ग्वालियर]] के राजा मानसिंह तोमर ने इसकी रचना की। इतना तो निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि राजा मानसिंह तोमर ने ध्रुपद के प्रचार में बहुत हाथ बंटाया। [[अकबर]] के समय में [[तानसेन]] और उनके गुरु स्वामी हरिदास डागर, नायक बैजू और गोपाल आदि प्रख्यात गायक ही इसे गाते थे। ध्रुपद गंभीर प्रकृति का गीत है। इसे गाने में कण्ठ और [[फेफड़ा|फेफड़े]] पर बल पड़ता है। इसलिये लोग इसे 'मर्दाना गीत' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ध्रुपद]] | ||
{ 'कर्नाटक संगीत का पितामह' किसे कहा जाता है? | {'कर्नाटक संगीत का पितामह' किसे कहा जाता है? | ||
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- त्यागराज | - त्यागराज | ||
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- मुत्तुस्वामी दीक्षितर | - मुत्तुस्वामी दीक्षितर | ||
{ शास्त्रीय संगीत का प्रारम्भिक स्रोत कौन-सा वेद है? | {शास्त्रीय संगीत का प्रारम्भिक स्रोत कौन-सा [[वेद]] है? | ||
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+ [[ॠग्वेद]] | + [[ॠग्वेद]] |
14:16, 8 अक्टूबर 2012 का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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