"तीजनबाई": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Adding category Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (को हटा दिया गया हैं।))
No edit summary
पंक्ति 42: पंक्ति 42:


==प्रथम प्रस्तुति==
==प्रथम प्रस्तुति==
तीजनबाई ने अपना जीवन का पहला कार्यक्रम सिर्फ 13 साल की उम्र में [[दुर्ग ज़िला|दुर्ग ज़िले]] के चंदखुरी गाँव में किया था। बचपन में तीजनबाई अपने नाना ब्रजलाल को [[महाभारत]] की कहानियाँ गाते हुए सुनती और देखतीं थी और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियाँ याद होने लगीं। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने तीजनबाई को अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया, बाद में उनका परिचय हबीब तनवीर से हुआ। प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और उन्हें तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] के सामने प्रदर्शन करने के लिए निमंत्रित किया। उस दिन के बाद से उन्होंने अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन किया और उसके बाद उनकी प्रसिद्धि आसमान छूने लगी।
तीजनबाई ने अपना जीवन का पहला कार्यक्रम सिर्फ 13 साल की उम्र में [[दुर्ग ज़िला|दुर्ग ज़िले]] के चंदखुरी गाँव में किया था। बचपन में तीजनबाई अपने नाना ब्रजलाल को [[महाभारत]] की कहानियाँ गाते हुए सुनती और देखतीं थी और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियाँ याद होने लगीं। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने तीजनबाई को अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया, बाद में उनका परिचय [[हबीब तनवीर]] से हुआ। प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और उन्हें तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] के सामने प्रदर्शन करने के लिए निमंत्रित किया। उस दिन के बाद से उन्होंने अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन किया और उसके बाद उनकी प्रसिद्धि आसमान छूने लगी।


अनेक पुरस्कारों द्वारा पुरस्कृत तीजनबाई मंच पर सम्मोहित करने वाले अद्भुत नृत्य नाट्य का प्रदर्शन करती हैं। नाट्य का प्रारम्भ होते ही पात्र के अनुसार उनका सज्जित तानपूरा भिन्न भिन्न रूपों का अवतार ले लेता है। उनका तानपूरा कभी महाभारत के पात्र दुःशासन की बाँह, कभी अर्जुन का रथ, कभी भीम की गदा और कभी द्रौपदी के बालों का रूप धरकर दर्शकों को इतिहास के उस काल में पहुँचा देता है और दर्शक तीजनबाई के साथ पात्र के मनोभावों और ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं की संवेदना को जीवंतता के साथ अनुभव करते हैं। तीजनबाई की विशेष प्रभावशाली लोकनाट्य के अनुरूप आवाज़, अभिनय, नृत्य और संवाद उनकी कला के विशेष अंग हैं।
अनेक पुरस्कारों द्वारा पुरस्कृत तीजनबाई मंच पर सम्मोहित करने वाले अद्भुत नृत्य नाट्य का प्रदर्शन करती हैं। नाट्य का प्रारम्भ होते ही पात्र के अनुसार उनका सज्जित तानपूरा भिन्न भिन्न रूपों का अवतार ले लेता है। उनका तानपूरा कभी महाभारत के पात्र दुःशासन की बाँह, कभी अर्जुन का रथ, कभी भीम की गदा और कभी द्रौपदी के बालों का रूप धरकर दर्शकों को इतिहास के उस काल में पहुँचा देता है और दर्शक तीजनबाई के साथ पात्र के मनोभावों और ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं की संवेदना को जीवंतता के साथ अनुभव करते हैं। तीजनबाई की विशेष प्रभावशाली लोकनाट्य के अनुरूप आवाज़, अभिनय, नृत्य और संवाद उनकी कला के विशेष अंग हैं।
पंक्ति 51: पंक्ति 51:
==पुरस्कार==
==पुरस्कार==
*[[1988]] [[पद्मश्री]]
*[[1988]] [[पद्मश्री]]
*[[1995]] [[संगीत नाटक अकादमी|संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]
*[[1995]] [[संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]
*[[2003]] बिलासपुर विश्वविद्यालय के द्वारा डी. लिट. की मानद उपाधि  
*[[2003]] बिलासपुर विश्वविद्यालय के द्वारा डी. लिट. की मानद उपाधि  
*2003 [[पद्म भूषण]]
*2003 [[पद्म भूषण]]
पंक्ति 65: पंक्ति 65:
[[Category:पद्म_श्री]]
[[Category:पद्म_श्री]]
[[Category:पद्म_भूषण]]
[[Category:पद्म_भूषण]]
[[Category:कला_कोश]]
[[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__
[[Category:कला_कोश]]
[[Category:संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार]]

13:02, 18 अक्टूबर 2012 का अवतरण

इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव"
तीजनबाई
तीजनबाई
तीजनबाई
पूरा नाम तीजनबाई
प्रसिद्ध नाम तीजनबाई
जन्म 24 अप्रैल, 1956
जन्म भूमि छत्तीसगढ़
पति/पत्नी तुक्का राम
कर्म भूमि छत्तीसगढ़
कर्म-क्षेत्र पण्डवानी गायिका
पुरस्कार-उपाधि 1988 पद्मश्री, 1995 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2003 पद्म भूषण
प्रसिद्धि तीजनबाई छत्तीसगढ़ राज्य की पहली महिला कलाकार हैं जो पण्डवानी की कापालिक शैली की गायिका है।
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी तीजनबाई ने अपना जीवन का पहला कार्यक्रम सिर्फ 13 साल की उम्र में दुर्ग ज़िले के चंदखुरी गाँव में किया था।
अद्यतन‎

तीजनबाई (अंग्रेजी:Teejan Bai) (जन्म: 24 अप्रैल, 1956) छत्तीसगढ़ राज्य की पहली महिला कलाकार हैं जो पण्डवानी की कापालिक शैली की गायिका है। तीजनबाई नें अपनी कला का प्रदर्शन अपने देश में ही बल्कि विदेश में भी किया है, जिसके के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण और पद्मश्री की उपाधि से सम्मानित किया गया है।

परिचय

तीजनबाई का जन्म 24 अप्रैल, 1956 में छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई ज़िले के गिनियार गाँव में हुआ था। बृजलाल पारधी तीजनबाई के नाना थे, जो खुद भी एक अच्छे पण्डवानी गायक थे और तीजनबाई का पालन पोषण भी बृजलाल पारधी ने ही किया था। तीजनबाई के पिता का नाम हुनुकलाल परधा और माता का नाम सुखवती था। तीजनबाई का बचपन बहुत संघर्षों से भरा हुआ था।

विवाह

तीजनबाई का विवाह 12 साल की उम्र में हो गया था। उसके बाद तीजनबाई ने तीन विवाह और किए, अब वह अपने चौथे पति तुक्का राम के साथ जीवन व्यतीत कर रही हैं। तीजनबाई का अपना पहला विवाह प्राधि जनजाति में हुआ था जहाँ पर महिलाओं को पण्डवानी गाने की अनुमति दी जाती थी और तीजनबाई जिस जनजाति की थी उसमें में सिर्फ पुरुष पण्डवानी गाते थे और महिलाएँ सुनती थी।

प्रथम प्रस्तुति

तीजनबाई ने अपना जीवन का पहला कार्यक्रम सिर्फ 13 साल की उम्र में दुर्ग ज़िले के चंदखुरी गाँव में किया था। बचपन में तीजनबाई अपने नाना ब्रजलाल को महाभारत की कहानियाँ गाते हुए सुनती और देखतीं थी और धीरे धीरे उन्हें ये कहानियाँ याद होने लगीं। उनकी अद्भुत लगन और प्रतिभा को देखकर उमेद सिंह देशमुख ने तीजनबाई को अनौपचारिक प्रशिक्षण भी दिया, बाद में उनका परिचय हबीब तनवीर से हुआ। प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीब तनवीर ने उन्हें सुना और उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी के सामने प्रदर्शन करने के लिए निमंत्रित किया। उस दिन के बाद से उन्होंने अनेक अतिविशिष्ट लोगों के सामने देश-विदेश में अपनी कला का प्रदर्शन किया और उसके बाद उनकी प्रसिद्धि आसमान छूने लगी।

अनेक पुरस्कारों द्वारा पुरस्कृत तीजनबाई मंच पर सम्मोहित करने वाले अद्भुत नृत्य नाट्य का प्रदर्शन करती हैं। नाट्य का प्रारम्भ होते ही पात्र के अनुसार उनका सज्जित तानपूरा भिन्न भिन्न रूपों का अवतार ले लेता है। उनका तानपूरा कभी महाभारत के पात्र दुःशासन की बाँह, कभी अर्जुन का रथ, कभी भीम की गदा और कभी द्रौपदी के बालों का रूप धरकर दर्शकों को इतिहास के उस काल में पहुँचा देता है और दर्शक तीजनबाई के साथ पात्र के मनोभावों और ऐतिहासिक पात्रों और घटनाओं की संवेदना को जीवंतता के साथ अनुभव करते हैं। तीजनबाई की विशेष प्रभावशाली लोकनाट्य के अनुरूप आवाज़, अभिनय, नृत्य और संवाद उनकी कला के विशेष अंग हैं।

विदेश यात्राएँ

सन्‌ 1980 में उन्होंने सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, टर्की, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मारिशस की यात्रा की और वहाँ पर प्रस्तुतियाँ दीं।

पुरस्कार


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख