"जॉय मुखर्जी": अवतरणों में अंतर

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'''जॉय मुखर्जी''' ([[अंग्रेज़ी]]: Joy Mukherjee; जन्म- [[24 फ़रवरी]], [[1939]], [[झाँसी]]; मृत्य- [[9 मार्च]], [[2012]], [[मुम्बई]]) हिन्दी फ़िल्मों के आकर्षक अभिनेताओं में से एक थे। वे उन अभिनेताओं में से एक थे, जिन्होंने भारतीय दर्शकों के दिलों पर बहुत लम्बे समय तक राज किया था। उन्होंने 'एक मुसाफ़िर एक हसीना', 'फिर वही दिल लाया हूँ', 'लव इन टोक्यो' और 'शागिर्द' जैसी यादगार फ़िल्में दी थीं। जॉय मुखर्जी पर फ़िल्मांकित और [[मोहम्मद रफ़ी]] के द्वारा गाये गए कई गीत आज भी लोगों की ज़ुबाँ पर हैं, जैसे- 'फिर वही दिल लाया हूँ', 'बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी', 'ले गई दिल गुड़िया जापान की', 'दुनिया पागल है या फिर मैं दीवाना' और 'बड़े मियाँ दीवाने ऐसे ना बनो' आदि। जॉय मुखर्जी के परिवार का फ़िल्मों से काफ़ी पुराना रिश्ता रहा है। वे स्वयं मशहूर अभिनेता [[अशोक कुमार]] के भांजे थे।
'''जॉय मुखर्जी''' ([[अंग्रेज़ी]]: Joy Mukherjee; जन्म- [[24 फ़रवरी]], [[1939]], [[झाँसी]]; मृत्य- [[9 मार्च]], [[2012]], [[मुम्बई]]) हिन्दी फ़िल्मों के आकर्षक अभिनेताओं में से एक थे। वे उन अभिनेताओं में से एक थे, जिन्होंने भारतीय दर्शकों के दिलों पर बहुत लम्बे समय तक राज किया था। उन्होंने 'एक मुसाफ़िर एक हसीना', 'फिर वही दिल लाया हूँ', 'लव इन टोक्यो' और 'शागिर्द' जैसी यादगार फ़िल्में दी थीं। जॉय मुखर्जी पर फ़िल्मांकित और [[मोहम्मद रफ़ी]] के द्वारा गाये गए कई गीत आज भी लोगों की ज़ुबाँ पर हैं, जैसे- 'फिर वही दिल लाया हूँ', 'बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी', 'ले गई दिल गुड़िया जापान की', 'दुनिया पागल है या फिर मैं दीवाना' और 'बड़े मियाँ दीवाने ऐसे ना बनो' आदि। जॉय मुखर्जी के परिवार का फ़िल्मों से काफ़ी पुराना रिश्ता रहा है। वे स्वयं मशहूर अभिनेता [[अशोक कुमार]] के भांजे थे।
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==जन्म तथा परिवार==
==जन्म तथा परिवार==
जॉय मुखर्जी का जन्म 24 फ़रवरी, 1939 को झाँसी में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम शशिधर मुखर्जी और [[माता]] सती देवी थीं, जो कि [[हिन्दी]] फ़िल्मों के मशहूर अभिनेता [[अशोक कुमार]] की बहन थीं। जॉय मुखर्जी के पिता भी फ़िल्मों से जुड़े हुए थे। वे मशहूर 'फ़िल्मालय स्टूडियो' के सह सस्थापक थे। जॉय मुखर्जी के भाई सोमू मुखर्जी प्रसिद्ध अभिनेत्री तनूजा के पति थे।  
जॉय मुखर्जी का जन्म 24 फ़रवरी, 1939 को झाँसी में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम शशिधर मुखर्जी और [[माता]] सती देवी थीं, जो कि [[हिन्दी]] फ़िल्मों के मशहूर अभिनेता [[अशोक कुमार]] की बहन थीं। जॉय मुखर्जी के पिता भी फ़िल्मों से जुड़े हुए थे। वे मशहूर 'फ़िल्मालय स्टूडियो' के सह सस्थापक थे। जॉय मुखर्जी के भाई सोमू मुखर्जी प्रसिद्ध अभिनेत्री तनूजा के पति थे। तनूजा की पुत्रियाँ काजोल और तनीषा भी अभिनेत्रियाँ हैं।
====फ़िल्मों में प्रवेश====
फ़िल्म सूत्रों के आदिगुरु कहे जाने वाले शशिधर मुखर्जी का पूरा परिवार फ़िल्मी रहा, किंतु उनके बेटे जॉय मुखर्जी को फिल्म अभिनेता बनना कतई पसंद नहीं था। अपने पिता के आस-पास मौजूद रहकर उनकी फ़िल्मी गतिविधियों को बालक जॉय मुखर्जी नजदीक से देखा करते थे। शूटिंग के तमाम दृश्य उन्हें किसी तमाशे के समान लगते थे। जॉय मुखर्जी का इरादा टेनिस खिलाड़ी बनकर अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त करने का था। जब वह बी.ए. की पढ़ाई कर रहे थे, तभी एक दिन उनके पिता ने पूछ लिया कि आखिर वह अपनी जिंदगी में करना क्या चाहता हैं? इस सवाल के साथ ही उन्होंने फिल्म "हम हिंदुस्तानी" का कांट्रेक्ट भी जॉय के सामने रख दिया। जॉय ने अनमने भाव से फिल्म यह सोचकर साइन कर ली कि चलो पॉकेटमनी के लिए अच्छी रकम मिल जाएगी। जब फिल्म का ट्रायल शो हुआ, तो प्रिव्यू थियेटर से वह भागकर घर आ गये। परदे पर अपने अभिनय तथा लुक को वह बर्दाश्त नहीं कर पाये थे।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/entertainment-film-articles/%E0%A4%9C%E0%A5%89%E0%A4%AF-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%80-%E0%A4%A8%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AB%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%8B-%E0%A4%8F%E0%A4%82%E0%A4%9C%E0%A5%89%E0%A4%AF-1120306135_1.htm |title=जॉय मुखर्जी ने किया फ़िल्मों को एंजॉए|accessmonthday=16 दिसम्बर|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>


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11:37, 16 दिसम्बर 2012 का अवतरण

जॉय मुखर्जी (अंग्रेज़ी: Joy Mukherjee; जन्म- 24 फ़रवरी, 1939, झाँसी; मृत्य- 9 मार्च, 2012, मुम्बई) हिन्दी फ़िल्मों के आकर्षक अभिनेताओं में से एक थे। वे उन अभिनेताओं में से एक थे, जिन्होंने भारतीय दर्शकों के दिलों पर बहुत लम्बे समय तक राज किया था। उन्होंने 'एक मुसाफ़िर एक हसीना', 'फिर वही दिल लाया हूँ', 'लव इन टोक्यो' और 'शागिर्द' जैसी यादगार फ़िल्में दी थीं। जॉय मुखर्जी पर फ़िल्मांकित और मोहम्मद रफ़ी के द्वारा गाये गए कई गीत आज भी लोगों की ज़ुबाँ पर हैं, जैसे- 'फिर वही दिल लाया हूँ', 'बहुत शुक्रिया बड़ी मेहरबानी', 'ले गई दिल गुड़िया जापान की', 'दुनिया पागल है या फिर मैं दीवाना' और 'बड़े मियाँ दीवाने ऐसे ना बनो' आदि। जॉय मुखर्जी के परिवार का फ़िल्मों से काफ़ी पुराना रिश्ता रहा है। वे स्वयं मशहूर अभिनेता अशोक कुमार के भांजे थे।

जन्म तथा परिवार

जॉय मुखर्जी का जन्म 24 फ़रवरी, 1939 को झाँसी में हुआ था। उनके पिता का नाम शशिधर मुखर्जी और माता सती देवी थीं, जो कि हिन्दी फ़िल्मों के मशहूर अभिनेता अशोक कुमार की बहन थीं। जॉय मुखर्जी के पिता भी फ़िल्मों से जुड़े हुए थे। वे मशहूर 'फ़िल्मालय स्टूडियो' के सह सस्थापक थे। जॉय मुखर्जी के भाई सोमू मुखर्जी प्रसिद्ध अभिनेत्री तनूजा के पति थे। तनूजा की पुत्रियाँ काजोल और तनीषा भी अभिनेत्रियाँ हैं।

फ़िल्मों में प्रवेश

फ़िल्म सूत्रों के आदिगुरु कहे जाने वाले शशिधर मुखर्जी का पूरा परिवार फ़िल्मी रहा, किंतु उनके बेटे जॉय मुखर्जी को फिल्म अभिनेता बनना कतई पसंद नहीं था। अपने पिता के आस-पास मौजूद रहकर उनकी फ़िल्मी गतिविधियों को बालक जॉय मुखर्जी नजदीक से देखा करते थे। शूटिंग के तमाम दृश्य उन्हें किसी तमाशे के समान लगते थे। जॉय मुखर्जी का इरादा टेनिस खिलाड़ी बनकर अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त करने का था। जब वह बी.ए. की पढ़ाई कर रहे थे, तभी एक दिन उनके पिता ने पूछ लिया कि आखिर वह अपनी जिंदगी में करना क्या चाहता हैं? इस सवाल के साथ ही उन्होंने फिल्म "हम हिंदुस्तानी" का कांट्रेक्ट भी जॉय के सामने रख दिया। जॉय ने अनमने भाव से फिल्म यह सोचकर साइन कर ली कि चलो पॉकेटमनी के लिए अच्छी रकम मिल जाएगी। जब फिल्म का ट्रायल शो हुआ, तो प्रिव्यू थियेटर से वह भागकर घर आ गये। परदे पर अपने अभिनय तथा लुक को वह बर्दाश्त नहीं कर पाये थे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. जॉय मुखर्जी ने किया फ़िल्मों को एंजॉए (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 16 दिसम्बर, 2012।

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