"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|परले पॉइंट, सूरत]]सूरत [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक है। यह दक्षिण-पूर्वी [[गुजरात]] राज्य, [[पश्चिम भारत]] में स्थित है। यह [[खंभात की खाड़ी]] पर [[ताप्ती नदी]] के मुहाने पर स्थित है। [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा 1512 एवं 1530 ई. में सूरत को जला दिए जाने के बाद भी यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बनकर उभरा, जहाँ से कपड़े और [[सोना|सोने]] का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, '[[किमख़ाब]]' (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ बहुत प्रसिद्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]] | ||[[चित्र:Parle-Point-Surat.jpg|right|100px|परले पॉइंट, सूरत]]सूरत [[भारत]] के प्रसिद्ध नगरों में से एक है। यह दक्षिण-पूर्वी [[गुजरात]] राज्य, [[पश्चिम भारत]] में स्थित है। यह [[खंभात की खाड़ी]] पर [[ताप्ती नदी]] के मुहाने पर स्थित है। [[पुर्तग़ाली|पुर्तग़ालियों]] द्वारा 1512 एवं 1530 ई. में सूरत को जला दिए जाने के बाद भी यह एक बड़ा विक्रय केंद्र बनकर उभरा, जहाँ से कपड़े और [[सोना|सोने]] का निर्यात होता था। वस्त्रोद्योग और जहाज़ निर्माण यहाँ के मुख्य उद्योग थे। [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने 1612 में पहली बार अपनी व्यापारिक चौकी यहीं पर स्थापित की थी। यहाँ के सूती, रेशमी, '[[किमख़ाब]]' (जरीदार कपड़ा) के वस्त्र तथा सोने व [[चाँदी]] की वस्तुएँ बहुत प्रसिद्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूरत]], [[मद्रास]], [[कलकत्ता]], [[बम्बई]] | ||
{[[कृषि]] में हल से जुताई के प्रमाण किस स्थल से प्राप्त हुए हैं? (पृ.सं.-3) | {[[कृषि]] में हल से जुताई के प्रमाण किस स्थल से प्राप्त हुए हैं? (पृ.सं.-3) | ||
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+[[कालीबंगा]] | +[[कालीबंगा]] | ||
-[[धौलावीरा]] | -[[धौलावीरा]] | ||
||[[चित्र:Kalibanga.jpg|right|100px|कालीबंगा के अवशेष]]कालीबंगा [[राजस्थान]] के [[हनुमानगढ़ ज़िला|हनुमानगढ़ ज़िले]] में [[घग्घर नदी]] के बाएं तट पर स्थित है। यहाँ पर प्राक् हड़प्पा एवं [[हड़प्पा संस्कृति|हड़प्पाकालीन संस्कृति]] के [[अवशेष]] मिले हैं। इस [[सिन्धु सभ्यता|सिन्धु-पूर्व सभ्यता]] में सामान्यत: मकान में एक आँगन होता था और उसके किनारे पर कुछ कमरे बने होते थे। आँगन में खाना पकाने का साक्ष्य भी प्राप्त हुआ है, क्योंकि यहाँ भूमि के ऊपर और नीचे दोनों प्रकार के तन्दूर मिले हैं। हल के प्रयोग का साक्ष्य भी मिला है, क्योंकि इस स्तर पर हराई के निशान पाये गये हैं। हल चलाने के ढंग से संकेत मिलता है कि एक ओर के खाँचे पूर्व-पश्चिम की दिशा में बनाये जाते थे और दूसरी ओर के उत्तर-दक्षिण दिशा में।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कालीबंगा]] | |||
{निम्नलिखित में से कौन औपनिवेशिक इतिहासकार नहीं है? (पृ.सं.-7) | {निम्नलिखित में से कौन औपनिवेशिक इतिहासकार नहीं है? (पृ.सं.-7) | ||
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-[[1937]] ई. | -[[1937]] ई. | ||
||[[चित्र:Turkmenistan-Flag.png|right|100px|तुर्कमेनिस्तान का ध्वज]]तुर्कमेनिस्तान मध्य [[एशिया]] में स्थित है, जो कि एक तुर्किक देश है। वर्ष [[1991]] तक 'तुर्कमेन सोवियत समाजवादी गणराज्य' के रूप में तुर्गमेनिस्तान 'सोवियत संघ' का एक घटक गणतंत्र था। इस देश की सीमाएँ दक्षिण-पूर्व में [[अफ़ग़ानिस्तान]], दक्षिण-पश्चिम में [[ईरान]], उत्तर-पूर्व में [[उज़्बेकिस्तान]], उत्तर-पश्चिम में कज़ाकिस्तान और पश्चिम में केस्पियन सागर से मिलती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुर्कमेनिस्तान|तुर्की]] | |||
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-राठौर - [[आमेर]] | -राठौर - [[आमेर]] | ||
+[[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया]] - [[उदयपुर]] | +[[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया]] - [[उदयपुर]] | ||
||सन 556 ई. में जिस 'गुहिल वंश' की स्थापना हुई थी, बाद में वही 'गहलौत वंश' बना और इसके बाद यह '[[सिसोदिया राजवंश]]' के नाम से जाना गया। इस वंश में कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होंने इस वंश की मान-मर्यादा और सम्मान को न केवल बढ़ाया, बल्कि [[इतिहास]] के गौरवशाली अध्याय में अपना नाम भी जोड़ा। महाराणा महेन्द्र तक यह वंश कई उतार-चढाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव और श्रेष्ठ परम्परा के लिये पहचाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिसोदिया राजवंश]] | |||
|[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|100px|सिटी पैलेस, उदयपुर]][[|उदयपुर]], दक्षिणी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में [[अरावली पर्वतश्रेणी]] पर स्थित है। "पूर्व का वेनिस" और "भारत का दूसरा कश्मीर" माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। [[महाराणा उदयसिंह]] ने सन 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की थी। लगातार [[मुग़ल|मुग़लों]] के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर के संस्थापक [[बप्पा रावल]] थे, जो कि [[सिसोदिया राजवंश]] के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने 'उदयपुर' ([[मेवाड़]]) रियासत की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उदयपुर]] | |||
{निम्न में से कौन-सा सूबा [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँगीर]] के काल में बना था? (पृ.सं.-10) | {निम्न में से कौन-सा सूबा [[मुग़ल]] बादशाह [[जहाँगीर]] के काल में बना था? (पृ.सं.-10) |
09:00, 22 जनवरी 2013 का अवतरण
इतिहास सामान्य ज्ञान
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