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+[[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया]] - [[उदयपुर]]
+[[सिसोदिया राजवंश|सिसोदिया]] - [[उदयपुर]]
||सन 556 ई. में जिस 'गुहिल वंश' की स्थापना हुई थी, बाद में वही 'गहलौत वंश' बना और इसके बाद यह '[[सिसोदिया राजवंश]]' के नाम से जाना गया। इस वंश में कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होंने इस वंश की मान-मर्यादा और सम्मान को न केवल बढ़ाया, बल्कि [[इतिहास]] के गौरवशाली अध्याय में अपना नाम भी जोड़ा। महाराणा महेन्द्र तक यह वंश कई उतार-चढाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव और श्रेष्ठ परम्परा के लिये पहचाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिसोदिया राजवंश]]
||सन 556 ई. में जिस 'गुहिल वंश' की स्थापना हुई थी, बाद में वही 'गहलौत वंश' बना और इसके बाद यह '[[सिसोदिया राजवंश]]' के नाम से जाना गया। इस वंश में कई प्रतापी राजा हुए, जिन्होंने इस वंश की मान-मर्यादा और सम्मान को न केवल बढ़ाया, बल्कि [[इतिहास]] के गौरवशाली अध्याय में अपना नाम भी जोड़ा। महाराणा महेन्द्र तक यह वंश कई उतार-चढाव और स्वर्णिम अध्याय रचते हुए आज भी अपने गौरव और श्रेष्ठ परम्परा के लिये पहचाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिसोदिया राजवंश]]
||[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|100px|सिटी पैलेस, उदयपुर]][[उदयपुर]], दक्षिणी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में [[अरावली पर्वतश्रेणी]] पर स्थित है। "पूर्व का वेनिस" और "भारत का दूसरा कश्मीर" माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। [[महाराणा उदयसिंह]] ने सन 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की थी। लगातार [[मुग़ल|मुग़लों]] के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर के संस्थापक [[बप्पा रावल]] थे, जो कि [[सिसोदिया राजवंश]] के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने 'उदयपुर' ([[मेवाड़]]) रियासत की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उदयपुर]]
||[[चित्र:City-Palace-Udaipur.jpg|right|120px|सिटी पैलेस, उदयपुर]][[उदयपुर]], दक्षिणी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर [[भारत]] में [[अरावली पर्वतश्रेणी]] पर स्थित है। "पूर्व का वेनिस" और "भारत का दूसरा कश्मीर" माना जाने वाला उदयपुर ख़ूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। [[महाराणा उदयसिंह]] ने सन 1559 ई. में उदयपुर नगर की स्थापना की थी। लगातार [[मुग़ल|मुग़लों]] के आक्रमणों से सुरक्षित स्थान पर राजधानी स्थानान्तरित किये जाने की योजना से इस नगर की स्थापना हुई। उदयपुर के संस्थापक [[बप्पा रावल]] थे, जो कि [[सिसोदिया राजवंश]] के थे। आठवीं शताब्दी में सिसोदिया राजपूतों ने 'उदयपुर' ([[मेवाड़]]) रियासत की स्थापना की थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[उदयपुर]]


{निम्नलिखित लेखकों में से कौन समकालीन समाज की बुराइयों पर अपने व्यंग्यों के लिए प्रसिद्ध है? (पृ.सं.-9)
{निम्नलिखित लेखकों में से कौन समकालीन समाज की बुराइयों पर अपने व्यंग्यों के लिए प्रसिद्ध है? (पृ.सं.-9)
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-अमर सिंह का संरक्षण
-अमर सिंह का संरक्षण
-[[कुषाण साम्राज्य]] का [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] तक विस्तार
-[[कुषाण साम्राज्य]] का [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] तक विस्तार
||[[चित्र:Gandhara-Sculpture.jpg|right|100px|गांधार मूर्तिकला]]गांधार [[भारत]] के प्रमुख ऐतिहासिक नगरों में से एक था। यहाँ की स्थापत्य कला की अनेक कलाकृतियाँ भगवान [[बुद्ध]] के जीवन काल से जुड़ी हुई हैं अथवा बुद्ध की अन्य भावभंगिमाओं को लेकर बनायी गयी हैं। बुद्ध की मूर्तियों में अधिकांशत उन्हें हमेशा सन्यासी वस्त्रों में ही दिखायी गया है, जिनके बाल छोटे थे। [[बोधिसत्व]] अथवा बौद्ध सन्यासियों को शरीर के ऊपरी भाग में नि:वस्त्र दिखाया जाता रहा, जो लुंगी और [[आभूषण]] पहने रहते थे। उनके बाल लंबे दिखाये गये हैं। [[एशिया]] की सभी बौद्ध कलाओं में उक्त चीज़ें परिलक्षित होती है। भारतीय संदर्भ में [[गांधार]] की कला-शैली एक अलग रंग लिये हुए है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गान्धार मूर्तिकला शैली|मूर्तिकला शैली]]
||[[चित्र:Gandhara-Sculpture.jpg|right|120px|गांधार मूर्तिकला]]गांधार [[भारत]] के प्रमुख ऐतिहासिक नगरों में से एक था। यहाँ की स्थापत्य कला की अनेक कलाकृतियाँ भगवान [[बुद्ध]] के जीवन काल से जुड़ी हुई हैं अथवा बुद्ध की अन्य भावभंगिमाओं को लेकर बनायी गयी हैं। बुद्ध की मूर्तियों में अधिकांशत उन्हें हमेशा सन्यासी वस्त्रों में ही दिखायी गया है, जिनके बाल छोटे थे। [[बोधिसत्व]] अथवा बौद्ध सन्यासियों को शरीर के ऊपरी भाग में नि:वस्त्र दिखाया जाता रहा, जो लुंगी और [[आभूषण]] पहने रहते थे। उनके बाल लंबे दिखाये गये हैं। [[एशिया]] की सभी बौद्ध कलाओं में उक्त चीज़ें परिलक्षित होती है। भारतीय संदर्भ में [[गांधार]] की कला-शैली एक अलग रंग लिये हुए है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गान्धार मूर्तिकला शैली|मूर्तिकला शैली]]


{किस [[हड़प्पा]] स्थल से सूती कपड़े का एक खंड प्राप्त हुआ था? (पृ.सं.-9)
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-[[लोथल]]
-[[लोथल]]
+[[मोहनजोदड़ो]]
+[[मोहनजोदड़ो]]
||[[चित्र:Buddhist-Stupa-Mohenjo-Daro.jpg|right|100px|बौद्ध स्तूप, मोहनजोदड़ो]]मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ "मुर्दों का टीला" है, 2600 ई. पू. की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता के ध्वंसावशेष [[पाकिस्तान]] के [[सिन्ध प्रांत]] के 'लरकाना ज़िले' में [[सिंधु नदी]] के दाहिने किनारे पर प्राप्त हुए हैं। यह नगर क़रीब 5 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ पर [[कुषाण]] शासकों ने एक [[स्तूप]] का निर्माण करवाया था। [[मोहनजोदड़ो]] से प्राप्त अन्य [[अवशेष|अवशेषों]] में कुम्भकारों के भट्टों के अवशेष, सूती कपड़ा, [[हाथी]] का कपालखण्ड, गले हुए [[तांबा|तांबे]] के ढेर, सीपी की बनी हुई पटरी एवं 'कांसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति के अवशेष मिले हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहनजोदड़ो]]
||[[चित्र:Buddhist-Stupa-Mohenjo-Daro.jpg|right|120px|बौद्ध स्तूप, मोहनजोदड़ो]]मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ "मुर्दों का टीला" है, 2600 ई. पू. की एक सुव्यवस्थित नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता के ध्वंसावशेष [[पाकिस्तान]] के [[सिन्ध प्रांत]] के 'लरकाना ज़िले' में [[सिंधु नदी]] के दाहिने किनारे पर प्राप्त हुए हैं। यह नगर क़रीब 5 कि.मी. के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहाँ पर [[कुषाण]] शासकों ने एक [[स्तूप]] का निर्माण करवाया था। [[मोहनजोदड़ो]] से प्राप्त अन्य [[अवशेष|अवशेषों]] में कुम्भकारों के भट्टों के अवशेष, सूती कपड़ा, [[हाथी]] का कपालखण्ड, गले हुए [[तांबा|तांबे]] के ढेर, सीपी की बनी हुई पटरी एवं 'कांसे की नृत्यरत नारी की मूर्ति के अवशेष मिले हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोहनजोदड़ो]]


{[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] एक अच्छा मिश्रण था-(पृ.सं.-10)
{[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल स्थापत्य]] एक अच्छा मिश्रण था-(पृ.सं.-10)
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+फ़ारसी और [[भारतीय कला]] का
+फ़ारसी और [[भारतीय कला]] का
-तैमूरी और भारतीय कला का
-तैमूरी और भारतीय कला का
||[[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra-13.jpg|right|100px|फ़तेहपुर सीकरी, आगरा]][[सल्तनत काल]] में प्रचलित [[वास्तुकला]] की 'भारतीय इस्लामी शैली' का विकास [[मुग़ल काल]] में हुआ। [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़लकालीन वास्तुकला]] में [[फ़ारस]], तुर्की, मध्य [[एशिया]], [[गुजरात]], [[बंगाल]], [[जौनपुर]] आदि स्थानों की शैलियों का अनोखा मिश्रण हुआ था। पर्सी ब्राउन ने 'मुग़ल काल' को 'भारतीय वास्तुकला का ग्रीष्म काल' माना है, जो [[प्रकाश]] और उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। स्मिथ ने मुग़लकालीन वास्तुकला को "कला की रानी" कहा है। [[मुग़ल|मुग़लों]] ने भव्य महलों, क़िलों, द्वारों, मस्जिदों, बावलियों आदि का निर्माण किया। उन्होंने बहते पानी तथा फ़व्वारों से सुसज्जित कई बाग़ लगवाये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला]]
||[[चित्र:Fatehpur-Sikri-Agra-13.jpg|right|120px|फ़तेहपुर सीकरी, आगरा]][[सल्तनत काल]] में प्रचलित [[वास्तुकला]] की 'भारतीय इस्लामी शैली' का विकास [[मुग़ल काल]] में हुआ। [[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़लकालीन वास्तुकला]] में [[फ़ारस]], तुर्की, मध्य [[एशिया]], [[गुजरात]], [[बंगाल]], [[जौनपुर]] आदि स्थानों की शैलियों का अनोखा मिश्रण हुआ था। पर्सी ब्राउन ने 'मुग़ल काल' को 'भारतीय वास्तुकला का ग्रीष्म काल' माना है, जो [[प्रकाश]] और उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। स्मिथ ने मुग़लकालीन वास्तुकला को "कला की रानी" कहा है। [[मुग़ल|मुग़लों]] ने भव्य महलों, क़िलों, द्वारों, मस्जिदों, बावलियों आदि का निर्माण किया। उन्होंने बहते पानी तथा फ़व्वारों से सुसज्जित कई बाग़ लगवाये थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुग़लकालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला]]


{निम्नलिखित में से किसने 'आर्य महिला सभा' की स्थापना की थी? (पृ.सं.-11)
{निम्नलिखित में से किसने 'आर्य महिला सभा' की स्थापना की थी? (पृ.सं.-11)

11:14, 22 जनवरी 2013 का अवतरण

इतिहास सामान्य ज्ञान

1 लॉर्ड विलियम बैंटिक ने भारतीय समाज में कई सुधार कार्य किए थे। निम्न में से कौन-सा कार्य उन्होंने नहीं किया? (पृ.सं.-11)

सती प्रथा उन्मूलन
नर बलि उन्मूलन
ठगी उन्मूलन
विधवा पुर्नविवाह

2 1909 के अधिनियम में क्या पहली बार प्रस्तावित किया गया था? (पृ.सं.-11)

पृथक मतदान
द्वैध शासन
विधायिका सभाएँ
विकेन्द्रीकरण

3 अंग्रेज़ों ने निम्नलिखित में से अपने व्यापारिक केंद्र किस क्रम में स्थापित किए थे? (पृ.सं.-11)

सूरत, कलकत्ता, बम्बई, मद्रास
सूरत, मद्रास, कलकत्ता, बम्बई
मद्रास, कलकत्ता, बम्बई, सूरत
कलकत्ता, मद्रास, सूरत, बम्बई

4 निम्नलिखित में से कौन औपनिवेशिक इतिहासकार नहीं है? (पृ.सं.-7)

जूडिथ ब्राउन
ए. एल. बाराम
अनिल सील
वी. ए. स्मिथ

5 कृषि में हल से जुताई के प्रमाण किस स्थल से प्राप्त हुए हैं? (पृ.सं.-3)

लोथल
बनवाली
कालीबंगा
धौलावीरा

6 तुर्की में धर्मतानिक राज्य को मुस्तफ़ा कमाल पाशा ने किस वर्ष में समाप्त किया था? (पृ.सं.-8)

1927 ई.
1930 ई.
1925 ई.
1937 ई.

7 निम्न में से कौन-सा सूबा मुग़ल बादशाह जहाँगीर के काल में बना था? (पृ.सं.-10)

उड़ीसा
कश्मीर
सिन्ध
बीजापुर

8 शिवाजी द्वारा प्राप्त किये गए किस क़िले पर उन्होंने रायगढ़ का क़िला बनवाया, जो भविष्य में उनकी राजधानी बना? (पृ.सं.-10)

तोरण
जंजीरा
विजयदुर्ग
पुरन्दर

9 निम्न विकल्पों में से कौन-सा एक सही सुमेलित है? (पृ.सं.-10)

कछवाहा - बूंदी
हाड़ा - जोधपुर
राठौर - आमेर
सिसोदिया - उदयपुर

10 निम्नलिखित लेखकों में से कौन समकालीन समाज की बुराइयों पर अपने व्यंग्यों के लिए प्रसिद्ध है? (पृ.सं.-9)

बिल्हण
क्षेमेन्द्र
राजशेखर
सोमदेवसूरि

11 कुषाण काल के लिए निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य है? (पृ.सं.-4)

रजत मुद्राओं का अधिकाधिक प्रचलन
मूर्तिकला शैली का विकसित होना
अमर सिंह का संरक्षण
कुषाण साम्राज्य का बंगाल तक विस्तार

12 किस हड़प्पा स्थल से सूती कपड़े का एक खंड प्राप्त हुआ था? (पृ.सं.-9)

बनावली
पडरी
लोथल
मोहनजोदड़ो

13 मुग़ल स्थापत्य एक अच्छा मिश्रण था-(पृ.सं.-10)

तुर्की और फ़ारसी कला का
तुर्की और अफ़ग़ान कला का
फ़ारसी और भारतीय कला का
तैमूरी और भारतीय कला का

14 निम्नलिखित में से किसने 'आर्य महिला सभा' की स्थापना की थी? (पृ.सं.-11)

राजकुमारी अमृत कौर
दुर्गाबाई देशमुख
नेलीसेन गुप्ता
पंडित रमाबाई

15 मुग़ल बादशाह अकबर किस वाद्य को बजाने में पारंगत था?(पृ.सं.-10)

वीणा
पखावज
नक्कारा
सितार