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[[चित्र:Urmudi-Satara.jpg|thumb||उरमुडी, सतारा]]
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'''सतारा''', [[मुम्बई|बम्बई]] प्रेसीडेन्सी (वर्तमान [[महाराष्ट्र]]) का एक नगर, पहले यह राज्य (रियासत) भी था।  
'''सतारा''' [[महाराष्ट्र]] राज्य का एक ज़िला है। [[भारतीय इतिहास]] में यह नगर एक प्रमुख रियासत हुआ करता था, जो मुम्बई प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था। सतारा शाहू के वंशजों की राजधानी रहा था। इसके इर्द-गिर्द सात पहाड़ियाँ हैं, जिस कारण से इसे सतारा कहा जाता है।
*सतारा शाहूजी के वंशजों की राजधानी रहा।
*यद्यपि [[मराठा]] राज्य की सत्ता [[पेशवा|पेशवाओं]] के हाथों में जाने के फलस्वरूप यह उनके अधीन था।  
*1818 ई. में पेशवा [[बाजीराव द्वितीय]] की पराजय के उपरान्त [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे पुन: आश्रित राज्य बना दिया।
*1848 ई. में गोद प्रथा की समाप्ति का सिद्धान्त लागू किये जाने के फलस्वरूप इसे अंग्रेज़ों के भारतीय साम्राज्य में मिला लिया गया।


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*1818 ई. में [[बाजीराव द्वितीय|पेशवा बाजीराव द्वितीय]] की पराजय के उपरान्त [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने इसे पुन: आश्रित राज्य बना दिया।
*1848 ई. में 'गोद प्रथा' की समाप्ति का सिद्धान्त लागू किये जाने के फलस्वरूप इसे अंग्रेज़ों के भारतीय साम्राज्य में मिला लिया गया।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
(पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश') पृष्ठ संख्या-460
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14:04, 22 जनवरी 2013 का अवतरण

उरमुडी, सतारा

सतारा महाराष्ट्र राज्य का एक ज़िला है। भारतीय इतिहास में यह नगर एक प्रमुख रियासत हुआ करता था, जो मुम्बई प्रेसीडेंसी के अंतर्गत आता था। सतारा शाहू के वंशजों की राजधानी रहा था। इसके इर्द-गिर्द सात पहाड़ियाँ हैं, जिस कारण से इसे सतारा कहा जाता है।

  • यह ऐतिहासिक नगर कुल 10,500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • इसके उत्तर में पुणे, दक्षिण में सांगली, पूरब में सोलापुर, और पश्चिम में रत्नागिरी स्थित है।
  • वे सात पहाड़ियाँ जिनके कारण इसे सतारा कहा जाता है, वह हैं-
  1. जरंदेश्वर
  2. यवतेश्वर
  3. जिंक्यात्रा
  4. कित्लिचा डोंगर
  5. सज्जनगढ़
  6. पैदयाचा बैरोबा
  7. नक्दिचा डोंगर
  • मराठा राज्य की सत्ता पेशवाओं के हाथों में जाने के फलस्वरूप ही सतारा उनके अधीन था।
  • 1818 ई. में पेशवा बाजीराव द्वितीय की पराजय के उपरान्त अंग्रेज़ों ने इसे पुन: आश्रित राज्य बना दिया।
  • 1848 ई. में 'गोद प्रथा' की समाप्ति का सिद्धान्त लागू किये जाने के फलस्वरूप इसे अंग्रेज़ों के भारतीय साम्राज्य में मिला लिया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख