"तुलना -दुष्यंत कुमार": अवतरणों में अंतर

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न सभाएँ आयोजित करते हैं
न सभाएँ आयोजित करते हैं
             न रैलियाँ,
             न रैलियाँ,
न कंठ खरीदते हैं, न हथेलियाँ,
न कंठ ख़रीदते हैं, न हथेलियाँ,
न शीत और ताप से झुलसे चेहरों पर
न शीत और ताप से झुलसे चेहरों पर
आश्वासनों का सूर्य उगाते हैं,
आश्वासनों का सूर्य उगाते हैं,

14:28, 21 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण

तुलना -दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
दुष्यंत कुमार
कवि दुष्यंत कुमार
जन्म 1 सितम्बर, 1933
जन्म स्थान बिजनौर, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 30 दिसम्बर, 1975
मुख्य रचनाएँ अब तो पथ यही है, उसे क्या कहूँ, गीत का जन्म, प्रेरणा के नाम आदि।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
दुष्यंत कुमार की रचनाएँ

गडरिए कितने सुखी हैं।

न वे ऊँचे दावे करते हैं
न उनको ले कर
एक दूसरे को कोसते या लड़ते-मरते हैं।
जबकि
जनता की सेवा करने के भूखे
सारे दल भेडियों से टूटते हैं।
ऐसी-ऐसी बातें
और ऐसे-ऐसे शब्द सामने रखते हैं
जैसे कुछ नहीं हुआ है
और सब कुछ हो जाएगा।

जबकि
सारे दल
पानी की तरह धन बहाते हैं,
गडरिए मेंड़ों पर बैठे मुस्कुराते हैं
... भेडों को बाड़े में करने के लिए
न सभाएँ आयोजित करते हैं
            न रैलियाँ,
न कंठ ख़रीदते हैं, न हथेलियाँ,
न शीत और ताप से झुलसे चेहरों पर
आश्वासनों का सूर्य उगाते हैं,
स्वेच्छा से
जिधर चाहते हैं, उधर
भेड़ों को हाँके लिए जाते हैं।

गडरिए कितने सुखी हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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