"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर

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-[[गुरुमुखी लिपि]]
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-चन्द्र लिपि
-चन्द्र लिपि
||[[चित्र:Devnagari.jpg|right|100px|देवनागरी लिपि]]देवनागरी [[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित [[लिपि]] है, जिसमें [[संस्कृत]], [[हिन्दी]] और [[मराठी भाषा|मराठी]] भाषाएँ लिखी जाती हैं। इस शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में [[जैन]] ग्रंथों में मिलता है। भाषा विज्ञान की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती है। [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] के लिखित और उच्चरित रूप में कोई अंतर नहीं पड़ता है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है। [[संस्कृत]], [[पालि भाषा|पालि]], [[हिन्दी]], [[मराठी]], [[कोंकणी भाषा|कोंकणी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[गढ़वाली भाषा|गढ़वाली]], [[बोडो भाषा|बोडो]], [[मगही भाषा|मगही]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]], [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[संथाली भाषा|संथाली]] आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसे '[[नागरी लिपि]]' भी कहा जाता है।{{}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[देवनागरी लिपि]]
||[[चित्र:Devnagari.jpg|right|100px|देवनागरी लिपि]]देवनागरी [[भारत]] में सर्वाधिक प्रचलित [[लिपि]] है, जिसमें [[संस्कृत]], [[हिन्दी]] और [[मराठी भाषा|मराठी]] भाषाएँ लिखी जाती हैं। इस शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में [[जैन]] ग्रंथों में मिलता है। भाषा विज्ञान की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक' लिपि कहलाती है। [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] के लिखित और उच्चरित रूप में कोई अंतर नहीं पड़ता है। प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखा जाता है। [[संस्कृत]], [[पालि भाषा|पालि]], [[हिन्दी]], [[मराठी]], [[कोंकणी भाषा|कोंकणी]], [[सिन्धी भाषा|सिन्धी]], [[कश्मीरी भाषा|कश्मीरी]], [[नेपाली भाषा|नेपाली]], [[गढ़वाली भाषा|गढ़वाली]], [[बोडो भाषा|बोडो]], [[मगही भाषा|मगही]], [[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]], [[मैथिली भाषा|मैथिली]], [[संथाली भाषा|संथाली]] आदि भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती हैं। इसे '[[नागरी लिपि]]' भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[देवनागरी लिपि]]


{'[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]' के संस्थापक कौन थे? (पृ.सं. 9
{'[[काशी नागरी प्रचारिणी सभा]]' के संस्थापक कौन थे? (पृ.सं. 9
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-नंददुलारे वाजपेयी
-नंददुलारे वाजपेयी
-[[विष्णु शर्मा]]
-[[विष्णु शर्मा]]
||[[चित्र:Dr. Shyam Sunder Das.jpg|right|100px|श्यामसुन्दर दास]]श्यामसुन्दर दास जी की प्रारम्भ से ही [[हिन्दी]] के प्रति अनन्य निष्ठा थी। उन्होंने '[[नागरी प्रचारिणी सभा]]' की स्थापना [[16 जुलाई]], सन [[1893]] ई. को अपने विद्यार्थी काल में ही दो सहयोगियों रामनारायण मिश्र और [[ठाकुर शिव कुमार सिंह]] की सहायता से की थी। '[[काशी हिन्दू विश्वविद्यालय]]' में आने के पूर्व इन्होंने [[हिन्दी साहित्य]] की सर्वतोमुखी समृद्धि के लिए न्यायालयों में हिन्दी प्रवेश का आन्दोलन ([[1900]] ई.), हस्तलिखित ग्रन्थों की खोज ([[1899]] ई.), '[[सरस्वती (पत्रिका)|सरस्वती पत्रिका]]' का सम्पादन ([[1900]] ई.), प्राचीन महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों का सम्पादन और सभा-भवन का निर्माण ([[1902]] ई.), आर्य भाषा पुस्तकालय की स्थापना ([[1903]] ई.) तथा शिक्षास्तर के अनुरूप पाठ्य पुस्तकों का निर्माण कार्य आरम्भ कर दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[श्यामसुन्दर दास]]


{'अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ' की स्थापना किसने की है? (पृ.सं. 9
{'अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ' की स्थापना किसने की है? (पृ.सं. 9
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+[[दक्षिण भारत]] व्यापारिक केंद्र था, जिससे धर्मावलम्बी वहाँ आकर बसे।
+[[दक्षिण भारत]] व्यापारिक केंद्र था, जिससे धर्मावलम्बी वहाँ आकर बसे।
-[[भारत]] के इस क्षेत्र में [[हिन्दू]] अधिक थे।
-[[भारत]] के इस क्षेत्र में [[हिन्दू]] अधिक थे।
||[[चित्र:Kabirdas.jpg|right|100px|कबीरदास]][[मध्य काल]] में '[[भक्ति आन्दोलन]]' की शुरुआत सर्वप्रथम [[दक्षिण भारत]] के अलवार [[भक्त|भक्तों]] द्वारा की गई। दक्षिण भारत से [[उत्तर भारत]] में बारहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में [[रामानन्द]] द्वारा यह आन्दोलन लाया गया। 'भक्ति आन्दोलन' का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य था- "[[हिन्दू धर्म]] एवं समाज में सुधार तथा [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]] एवं हिन्दू धर्म में समन्वय स्थापित करना। 14वीं एवं 15वीं शताब्दी में 'भक्ति आन्दोलन' का नेतृत्व [[कबीरदास]] के हाथों में था। इस समय [[रामानन्द]], [[नामदेव]], [[कबीर]], [[नानक देव, गुरु|नानक]], [[दादू दयाल|दादू]], [[रविदास]], [[तुलसीदास]] एवं [[चैतन्य महाप्रभु]] जैसे लोगों के हाथ में इस आन्दोलन की बागडोर थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भक्ति आंदोलन]]


{'[[कामायनी -प्रसाद|कामायनी]]' को फैंटसी किस विद्वान ने कहा है? (पृ.सं. 9
{'[[कामायनी -प्रसाद|कामायनी]]' को फैंटसी किस विद्वान ने कहा है? (पृ.सं. 9

06:45, 28 फ़रवरी 2013 का अवतरण

1 हिन्दी भाषा की लिपि 'भारतीय संविधान' में किसे स्वीकार किया गया है?(पृ.सं. 9

ब्राह्मी लिपि
देवनागरी लिपि
गुरुमुखी लिपि
चन्द्र लिपि

3 'अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ' की स्थापना किसने की है? (पृ.सं. 9

भारत सरकार
हरियाणा सरकार
मॉरिशस सरकार
श्रीलंका सरकार

4 'अशुभ बेला' रचना किसकी है? (पृ.सं. 3

भगवानदास मोरवाल
मैत्रेयी पुष्पा
समरेश मजूमदार
विवेकी राय

5 'भक्ति आंदोलन' का सूत्रपात उत्तर भारत से न होकर दक्षिण भारत में हुआ, इसका मूल कारण क्या है? (पृ.सं. 3

दक्षिण भारत में मुस्लिम शासकों ने आक्रमण किए थे।
यह भाग पूर्णत: निरापद था।
दक्षिण भारत व्यापारिक केंद्र था, जिससे धर्मावलम्बी वहाँ आकर बसे।
भारत के इस क्षेत्र में हिन्दू अधिक थे।

6 'कामायनी' को फैंटसी किस विद्वान ने कहा है? (पृ.सं. 9

डॉ. नगेन्द्र
गजानन माधव मुक्तिबोध
बालकृष्ण शर्मा नवीन
सुमित्रानंदन पंत

8 'ठेले पर हिमालय' रचना किस विद्या की है? (पृ.सं. 3

आलोचना
कहानी
निबन्ध
संस्मरण

9 'किन्नरों के देश में' रचना किसकी है? (पृ.सं. 3

जयशंकर प्रसाद
कृष्णा सोबती
राहुल सांकृत्यायन
अमृता प्रीतम

10 हिन्दी भाषा को लिखने के लिए कौन-सी लिपि प्रयोग की जाती है? (पृ.सं. 9

देवनागरी
फ़ारसी
ब्राह्मी
गुरुमुखी

11 हिन्दी बोली भारत में कौन बोलते हैं? (पृ.सं. 9

हिन्दू
भारत की अधिकांश जनता
मुस्लिम
भारत की 30 प्रतिशत जनता

12 'मयंक मंजरी' नामक रचना किस विधा की है? (पृ.सं. 9

कविता
आलोचना
नाटक
कहानी

13 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता की रचना निम्न में से किसने की थी?(भारतकोश)

सुभद्रा कुमारी चौहान
भगवतीचरण वर्मा
सरोजिनी नायडू
महादेवी वर्मा

14 'गोस्वामी कृष्ण शरण' जयशंकर प्रसाद के किस उपन्यास का महत्त्वपूर्ण पात्र है? (पृ.सं. 3

कंकाल
तितली
इरावती
कामायनी

15 भाषा विज्ञान के अध्ययन को क्या कहते हैं? (पृ.सं. 9

हिन्दी भाषा का अध्ययन
भाषा के स्वरूप का अध्ययन
भाषा तत्वों का अध्ययन
भाषा परिवार का अध्ययन