"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर

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-डॉ. नगेन्द्र
-डॉ. नगेन्द्र
+[[गजानन माधव मुक्तिबोध]]
+[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]
-[[बालकृष्ण शर्मा नवीन]]
-[[बालकृष्ण शर्मा नवीन]]
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
||[[चित्र:Gajanan-Madhav-Muktibodh.jpg|right|100px|गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]गजानन माधव 'मुक्तिबोध' की प्रसिद्धि प्रगतिशील [[कवि]] के रूप में है। मुक्तिबोध [[हिन्दी साहित्य]] की स्वातंत्र्योत्तर प्रगतिशील काव्यधारा के शीर्ष व्यक्तित्व थे। हिन्दी साहित्य में सर्वाधिक चर्चा के केन्द्र में रहने वाले [[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']] कहानीकार भी थे और समीक्षक भी। उनकी आलोचना उनके कवि व्यक्तित्व से ही नि:सृत और परिभाषित होती है। [[उज्जैन]] में मुक्तिबोध ने 'मध्य भारत प्रगतिशील लेखक संघ' की बुनियाद डाली थी। इसकी विशिष्ट सभाओं में भाग लेने के लिए वह बाहर से [[रामविलास शर्मा|डॉ. रामविलास शर्मा]], [[अमृतराय]] आदि साहित्यिक विचारकों को भी बुलाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गजानन माधव 'मुक्तिबोध']]


{[[कबीर]] को 'वाणी का डिक्टेटर' किसने कहा है? (पृ.सं. 17
{[[कबीर]] को 'वाणी का डिक्टेटर' किसने कहा है? (पृ.सं. 17
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-[[ मैथिलीशरण गुप्त]]
-[[ मैथिलीशरण गुप्त]]
-[[नामवर सिंह]]
-[[नामवर सिंह]]
||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|right|100px|हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]हज़ारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थ साहित्यकारों में से एक थे। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यासकार, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता थे। 'हिन्दी साहित्य की भूमिका' उनके सिद्धान्तों की बुनियादी पुस्तक है, जिसमें [[साहित्य]] को एक अविच्छिन्न परम्परा तथा उसमें प्रतिफलित क्रिया-प्रतिक्रियाओं के रूप में देखा गया है। अपने फक्कड़ व्यक्तित्व, घर फूँक मस्ती और क्रान्तिकारी विचारधारा के कारण [[कबीर]] ने उन्हें विशेष रूप से आकृष्ट किया। 'कबीर' पुस्तक में उन्होंने जिस सांस्कृतिक परम्परा, समसामयिक वातावरण और नवीन चिन्तन का उदघाटन किया है, वह उनकी लिखित आलोचनात्मक दृष्टि के सर्वथा मेल में है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हज़ारी प्रसाद द्विवेदी]]


{'ठेले पर हिमालय' रचना किस विद्या की है? (पृ.सं. 3
{'ठेले पर हिमालय' रचना किस विद्या की है? (पृ.सं. 3

07:01, 28 फ़रवरी 2013 का अवतरण

1 हिन्दी भाषा की लिपि 'भारतीय संविधान' में किसे स्वीकार किया गया है?(पृ.सं. 9

ब्राह्मी लिपि
देवनागरी लिपि
गुरुमुखी लिपि
चन्द्र लिपि

3 'अखिल भारतीय हिन्दी संस्था संघ' की स्थापना किसने की है? (पृ.सं. 9

भारत सरकार
हरियाणा सरकार
मॉरिशस सरकार
श्रीलंका सरकार

4 'अशुभ बेला' रचना किसकी है? (पृ.सं. 3

भगवानदास मोरवाल
मैत्रेयी पुष्पा
समरेश मजूमदार
विवेकी राय

5 'भक्ति आंदोलन' का सूत्रपात उत्तर भारत से न होकर दक्षिण भारत में हुआ, इसका मूल कारण क्या है? (पृ.सं. 3

दक्षिण भारत में मुस्लिम शासकों ने आक्रमण किए थे।
यह भाग पूर्णत: निरापद था।
दक्षिण भारत व्यापारिक केंद्र था, जिससे धर्मावलम्बी वहाँ आकर बसे।
भारत के इस क्षेत्र में हिन्दू अधिक थे।

6 'कामायनी' को फैंटसी किस विद्वान ने कहा है? (पृ.सं. 9

डॉ. नगेन्द्र
गजानन माधव 'मुक्तिबोध'
बालकृष्ण शर्मा नवीन
सुमित्रानंदन पंत

8 'ठेले पर हिमालय' रचना किस विद्या की है? (पृ.सं. 3

आलोचना
कहानी
निबन्ध
संस्मरण

9 'किन्नरों के देश में' रचना किसकी है? (पृ.सं. 3

जयशंकर प्रसाद
कृष्णा सोबती
राहुल सांकृत्यायन
अमृता प्रीतम

10 हिन्दी भाषा को लिखने के लिए कौन-सी लिपि प्रयोग की जाती है? (पृ.सं. 9

देवनागरी
फ़ारसी
ब्राह्मी
गुरुमुखी

11 हिन्दी बोली भारत में कौन बोलते हैं? (पृ.सं. 9

हिन्दू
भारत की अधिकांश जनता
मुस्लिम
भारत की 30 प्रतिशत जनता

12 'मयंक मंजरी' नामक रचना किस विधा की है? (पृ.सं. 9

कविता
आलोचना
नाटक
कहानी

13 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता की रचना निम्न में से किसने की थी?(भारतकोश)

सुभद्रा कुमारी चौहान
भगवतीचरण वर्मा
सरोजिनी नायडू
महादेवी वर्मा

14 'गोस्वामी कृष्ण शरण' जयशंकर प्रसाद के किस उपन्यास का महत्त्वपूर्ण पात्र है? (पृ.सं. 3

कंकाल
तितली
इरावती
कामायनी

15 भाषा विज्ञान के अध्ययन को क्या कहते हैं? (पृ.सं. 9

हिन्दी भाषा का अध्ययन
भाषा के स्वरूप का अध्ययन
भाषा तत्वों का अध्ययन
भाषा परिवार का अध्ययन