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जगतराम (जन्म- [[1891]], होशियारपुर ज़िला, [[पंजाब]]; मृत्यु- [[1955]]) प्रसिद्ध क्रान्तिकारी और अमेरिका के ‘गदर पार्टी’ के संस्थापकों में से है।  
जगतराम (जन्म- [[1891]], होशियारपुर ज़िला, [[पंजाब]]; मृत्यु- [[1955]]) प्रसिद्ध क्रान्तिकारी और अमेरिका के ‘[[ग़दर पार्टी]]’ के संस्थापकों में से है।  
==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
प्रसिद्ध क्रान्तिकारी जगतराम का जन्म 1891 में पंजाब के होशियारपुर ज़िले में हुआ था। जगतराम अपने छात्र जीवन में ही [[लाला लाजपत राय]] के प्रभाव में आकर ब्रिटिश सरकार के विरोधी बन चुके थे। शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे [[जालंधर]] के डी.ए.वी. कॉलेज में दाखिल हुए, लेकिन अध्ययन पूरा किए बिना ही [[1911]] ई. में अमेरिका चले गए।
प्रसिद्ध क्रान्तिकारी जगतराम का जन्म 1891 में पंजाब के होशियारपुर ज़िले में हुआ था। जगतराम अपने छात्र जीवन में ही [[लाला लाजपत राय]] के प्रभाव में आकर ब्रिटिश सरकार के विरोधी बन चुके थे। शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे [[जालंधर]] के डी.ए.वी. कॉलेज में दाखिल हुए, लेकिन अध्ययन पूरा किए बिना ही [[1911]] ई. में अमेरिका चले गए।
==गदर पार्टी का गठन==
==गदर पार्टी का गठन==
अमेरिका पहुँचने पर जगतराम ने लाला हरदयाल आदि के साथ मिलकर ‘गदर’ नाम का पत्र प्रकाशित किया और [[भारत]] को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से ‘गदर पार्टी’ का गठन किया। इस पार्टी की अनेक देशों में, जहाँ पर भारतीय मूल के लोग रहते थे, शाखाएँ खोली गईं। सेन फ़्रांसिस्को में गदर पार्टी का प्रबन्ध-कार्य भी जगतराम ही देखा करते थे।
अमेरिका पहुँचने पर जगतराम ने लाला हरदयाल आदि के साथ मिलकर ‘गदर’ नाम का पत्र प्रकाशित किया और [[भारत]] को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से ‘ग़दर पार्टी’ का गठन किया। इस पार्टी की अनेक देशों में, जहाँ पर भारतीय मूल के लोग रहते थे, शाखाएँ खोली गईं। सेन फ़्रांसिस्को में गदर पार्टी का प्रबन्ध-कार्य भी जगतराम ही देखा करते थे।
==जेल यात्रा==
==जेल यात्रा==
प्रथम विश्वयुद्ध प्रारम्भ होने पर गदर पार्टी का काम आगे बढ़ाने के उद्देश्य से जगतराम भारत आए। [[कोलकाता]] पहुँचते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, पर जगतराम उसके चंगुल से निकल भागे और 2 वर्ष तक भूमिगत रहकर क्रान्तिकारी संगठन का काम करते रहे। 2 वर्ष के बाद उन्हें पेशावर में फिर गिरफ्तार कर लिया गया और ‘लाहौर षड्यंत्र’ में मुक़दमा चलाकर फाँसी की सज़ा दे दी गई। बाद में वाइसराय ने फाँसी की इस सज़ा को आजीवन क़ैद में बदल दिया था। क़ैद की यह सज़ा जगतराम ने 25 वर्ष तक जेलों के अन्दर रहकर काटी।
प्रथम विश्वयुद्ध प्रारम्भ होने पर गदर पार्टी का काम आगे बढ़ाने के उद्देश्य से जगतराम भारत आए। [[कोलकाता]] पहुँचते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, पर जगतराम उसके चंगुल से निकल भागे और 2 वर्ष तक भूमिगत रहकर क्रान्तिकारी संगठन का काम करते रहे। 2 वर्ष के बाद उन्हें पेशावर में फिर गिरफ्तार कर लिया गया और ‘लाहौर षड्यंत्र’ में मुक़दमा चलाकर फाँसी की सज़ा दे दी गई। बाद में वाइसराय ने फाँसी की इस सज़ा को आजीवन क़ैद में बदल दिया था। क़ैद की यह सज़ा जगतराम ने 25 वर्ष तक जेलों के अन्दर रहकर काटी।

07:11, 8 मार्च 2013 का अवतरण

जगतराम (जन्म- 1891, होशियारपुर ज़िला, पंजाब; मृत्यु- 1955) प्रसिद्ध क्रान्तिकारी और अमेरिका के ‘ग़दर पार्टी’ के संस्थापकों में से है।

जीवन परिचय

प्रसिद्ध क्रान्तिकारी जगतराम का जन्म 1891 में पंजाब के होशियारपुर ज़िले में हुआ था। जगतराम अपने छात्र जीवन में ही लाला लाजपत राय के प्रभाव में आकर ब्रिटिश सरकार के विरोधी बन चुके थे। शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे जालंधर के डी.ए.वी. कॉलेज में दाखिल हुए, लेकिन अध्ययन पूरा किए बिना ही 1911 ई. में अमेरिका चले गए।

गदर पार्टी का गठन

अमेरिका पहुँचने पर जगतराम ने लाला हरदयाल आदि के साथ मिलकर ‘गदर’ नाम का पत्र प्रकाशित किया और भारत को स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से ‘ग़दर पार्टी’ का गठन किया। इस पार्टी की अनेक देशों में, जहाँ पर भारतीय मूल के लोग रहते थे, शाखाएँ खोली गईं। सेन फ़्रांसिस्को में गदर पार्टी का प्रबन्ध-कार्य भी जगतराम ही देखा करते थे।

जेल यात्रा

प्रथम विश्वयुद्ध प्रारम्भ होने पर गदर पार्टी का काम आगे बढ़ाने के उद्देश्य से जगतराम भारत आए। कोलकाता पहुँचते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, पर जगतराम उसके चंगुल से निकल भागे और 2 वर्ष तक भूमिगत रहकर क्रान्तिकारी संगठन का काम करते रहे। 2 वर्ष के बाद उन्हें पेशावर में फिर गिरफ्तार कर लिया गया और ‘लाहौर षड्यंत्र’ में मुक़दमा चलाकर फाँसी की सज़ा दे दी गई। बाद में वाइसराय ने फाँसी की इस सज़ा को आजीवन क़ैद में बदल दिया था। क़ैद की यह सज़ा जगतराम ने 25 वर्ष तक जेलों के अन्दर रहकर काटी।

विधान सभा के सदस्य

जगतराम जेल से छूटने पर ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ाँ के सम्पर्क में आए और कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। गीता के भक्त जगतराम का कहना था कि, ‘अपनी स्वतंत्रता के बाद वे विद्रोह करना प्रत्येक पराधीन व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।’ देश की स्वतंत्रता के बाद वे 1952 में पंजाब विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे।

निधन

जगतराम का निधन 1955 में हुआ था।





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टीका टिप्पणी और संदर्भ

लीलाधर, शर्मा भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, 292।


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