"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Sorghum-1.jpg|80px|right|ज्वार]]'ज्वार' विश्व की मोटे अनाज वाली एक महत्वपूर्ण फ़सल है। [[वर्षा]] आधारित [[कृषि]] के लिये यह सबसे उपयुक्त फ़सल है। [[ | ||[[चित्र:Sorghum-1.jpg|80px|right|ज्वार]]'ज्वार' विश्व की मोटे अनाज वाली एक महत्वपूर्ण फ़सल है। [[वर्षा]] आधारित [[कृषि]] के लिये यह सबसे उपयुक्त फ़सल है। [[ज्वार]] की फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्छी खपत होती है। ज्वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है। एक ओर जहाँ ज्वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है, वहीं कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्नता को भी सहन कर सकती है। [[ज्वार]] का पौधा अन्य अनाज वाली फ़सलों की अपेक्षा कम 'प्रकाश संश्लेषण' एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्क पदार्थ का निर्माण करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज्वार]] | ||
{[[हड़प्पा सभ्यता|हड़प्पाकालीन सभ्यता]] मुख्यत: निम्नलिखित में से किन प्रदेशों में केन्द्रीयभूत थी? (पृ.सं. 174 | {[[हड़प्पा सभ्यता|हड़प्पाकालीन सभ्यता]] मुख्यत: निम्नलिखित में से किन प्रदेशों में केन्द्रीयभूत थी? (पृ.सं. 174 | ||
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-मांडा | -मांडा | ||
{ | {'कनिक्कई' नामक कर निम्नलिखित में से किस राज्य में वसूला जाता था?(भारतकोश) | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[चोल साम्राज्य]] | ||
- | -[[पल्लव साम्राज्य]] | ||
+ | +[[विजयनगर साम्राज्य]] | ||
- | -[[राष्ट्रकूट साम्राज्य]] | ||
||'विजयनगर' का शाब्दिक अर्थ है- 'जीत का शहर'। प्रायः इस नगर को [[मध्य काल]] का प्रथम [[हिन्दू]] साम्राज्य माना जाता है। [[विजयनगर साम्राज्य]] में [[चोल]] कालीन सभा को कहीं-कहीं 'महासभा', 'उर' एवं 'महाजन' कहा जाता था। साम्राज्य द्वारा वसूल किये जाने वाले विविध करों के प्रमुख नाम थे- 'कदमाई', 'मगमाइ', 'कनिक्कई', 'कत्तनम', 'कणम', 'वरम', 'भोगम', 'वारिपत्तम', 'इराई' और 'कत्तायम'। ‘शिष्ट’ नामक भूमिकर विजयनगर राज्य की आय का प्रमुख एवं सबसे बड़ा स्रोत था। राज्य उपज का 1/6 भाग कर के रूप में वसूल करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विजयनगर साम्राज्य]] | |||
{[[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] के सन्दर्भ में [[अब्दुल हमीद लाहौरी]] कौन थे? (पृ.सं. 30 | {[[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] के सन्दर्भ में [[अब्दुल हमीद लाहौरी]] कौन थे? (पृ.सं. 30 | ||
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+[[शाहजहाँ]] के शासन का एक राजकीय इतिहासकार | +[[शाहजहाँ]] के शासन का एक राजकीय इतिहासकार | ||
-[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिवृत्तिकार तथा [[कवि]] | -[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिवृत्तिकार तथा [[कवि]] | ||
||[[चित्र:Shah-Jahan.jpg|right|100px|शाहजहाँ ]बादशाह शाहजहाँ के शासन−काल में [[मुग़ल साम्राज्य]] की समृद्धि, शान−शौक़त और ख्याति चरम सीमा पर थी। उसके दरबार में देश−विदेश के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति आते थे। वे [[शाहजहाँ]] के वैभव और ठाट−बाट को देख कर चकित रह जाते थे। उसके दरबार में [[अब्दुल हमीद लाहौरी]] एक सरकारी इतिहासकार था। राज दरबार में उसे काफ़ी मान-सम्मान और प्रतिषठा प्राप्त थी। अब्दुल हमीद लाहौरी ने जिस महत्त्वपूर्ण कृति की रचना की, उसका नाम 'पादशाहनामा' है। 'पादशाहनामा' को शाहजहाँ के शासन का प्रामाणिक इतिहास माना जाता है। इसमें शाहजहाँ का सम्पूर्ण वृतांत लिखा हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]] | |||
{[[सिकन्दर]] के [[भारत]] अभियान के समय उसके साथ कई लेखक भी आये थे। निम्नलिखित में से कौन सिकन्दर का समकालीन नहीं है? (पृ.सं. 171 | {[[सिकन्दर]] के [[भारत]] अभियान के समय उसके साथ कई लेखक भी आये थे। निम्नलिखित में से कौन सिकन्दर का समकालीन नहीं है? (पृ.सं. 171 |
07:27, 12 मार्च 2013 का अवतरण
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