"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/1": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Sorghum-1.jpg|70px|right|ज्वार]]'ज्वार' विश्व की मोटे अनाज वाली एक महत्वपूर्ण फ़सल है। [[वर्षा]] आधारित [[कृषि]] के लिये यह सबसे उपयुक्त फ़सल है। [[ज्वार]] की फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्छी खपत होती है। ज्वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है। एक ओर जहाँ ज्वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है, वहीं कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्नता को भी सहन कर सकती है। [[ज्वार]] का पौधा अन्य अनाज वाली फ़सलों की अपेक्षा कम 'प्रकाश संश्लेषण' एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्क पदार्थ का निर्माण करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज्वार]] | ||[[चित्र:Sorghum-1.jpg|70px|right|ज्वार]]'ज्वार' विश्व की मोटे अनाज वाली एक महत्वपूर्ण फ़सल है। [[वर्षा]] आधारित [[कृषि]] के लिये यह सबसे उपयुक्त फ़सल है। [[ज्वार]] की फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्छी खपत होती है। ज्वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है। एक ओर जहाँ ज्वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है, वहीं कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्नता को भी सहन कर सकती है। [[ज्वार]] का पौधा अन्य अनाज वाली फ़सलों की अपेक्षा कम 'प्रकाश संश्लेषण' एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्क पदार्थ का निर्माण करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज्वार]] | ||
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-[[लोथल]] | -[[लोथल]] | ||
+सुत्कागेनडोर | +[[सुत्कागेनडोर]] | ||
-[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | -[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | ||
-मांडा | -[[मांडा]] | ||
||[[चित्र:Well-And-Bathing-Platforms-Harappa.jpg|right|100px|हड़प्पा सभ्यता का कुँआ व स्नानागार]]'सुत्कागेनडोर' दक्षिण [[बलूचिस्तान]] में दाश्त नदी के किनारे स्थित है। यहाँ [[हड़प्पा संस्कृति]] की सुदूर पश्चिमी बस्ती थी। [[सुत्कागेनडोर]] की खोज वर्ष [[1927]] ई. में ऑरेल स्टाइन ने की थीं। हड़प्पा संस्कृति की परिपक्व अवस्था के [[अवशेष]] यहाँ से मिले हैं। यहाँ से मनुष्य की अस्थि-राख से भरा बर्तन, [[तांबा|तांबे]] की [[कुल्हाड़ी]], [[मिट्टी]] से बनी [[चूड़ी|चूड़ियाँ]] एवं बर्तनों के अवशेष मिले है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुत्कागेनडोर]] | |||
{'कनिक्कई' नामक कर निम्नलिखित में से किस राज्य में वसूला जाता था? | {'कनिक्कई' नामक कर निम्नलिखित में से किस राज्य में वसूला जाता था? | ||
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-यूनेनीस | -यूनेनीस | ||
+इनमें से कोई नहीं | +इनमें से कोई नहीं | ||
||[[चित्र:Alexander.jpg|right|80px|सिकन्दर]]'सिकन्दर' अथवा 'अलक्ष्येन्द्र', मेसेडोनिया का ग्रीक प्रशासक था। वह 'एलेक्ज़ेंडर तृतीय' तथा 'एलेक्ज़ेंडर मेसेडोनियन' के नाम से भी जाना जाता है। [[इतिहास]] में [[सिकन्दर]] सबसे कुशल और यशस्वी सेनापति माना गया है। अपनी मृत्यु तक सिकन्दर उस तमाम भूमि को जीत चुका था, जिसकी जानकारी प्राचीन [[यवन]] (ग्रीक) लोगों को थी। इसलिए उसे 'विश्वविजेता' भी कहा जाता है। सिकन्दर के [[पिता]] का नाम फ़िलिप था। उसे सबसे पहले एक गणराज्य के प्रधान के विरोध का सामना करना पड़ा था, जिसे यूनानी ऐस्टीज़ कहते हैं, [[संस्कृत]] में जिसका नाम हस्तिन है। वह उस जाति का प्रधान था, जिसका भारतीय नाम 'हास्तिनायन' था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिकन्दर]] | |||
{[[हड़प्पा सभ्यता|हड़प्पाकालीन सभ्यता]] मुख्यत: निम्नलिखित में से किन प्रदेशों में केन्द्रीयभूत थी? | {[[हड़प्पा सभ्यता|हड़प्पाकालीन सभ्यता]] मुख्यत: निम्नलिखित में से किन प्रदेशों में केन्द्रीयभूत थी? | ||
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{पकी [[मिट्टी]] के बने हल का एक प्रतिरूप कहाँ से प्राप्त हुआ है? | {पकी [[मिट्टी]] के बने हल का एक प्रतिरूप कहाँ से प्राप्त हुआ है? | ||
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+ | +[[बणावली (हरियाणा)|बणावली]] | ||
-[[कालीबंगा]] | -[[कालीबंगा]] | ||
-[[राखीगढ़ी]] | -[[राखीगढ़ी]] | ||
-[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | -[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]] | ||
||'बणावली' [[हरियाणा]] के [[हिसार ज़िला|हिसार ज़िले]] में स्थित है। यहाँ से दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के [[अवशेष]] मिले हैं। हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पा कालीन इस स्थल की खुदाई [[1973]]-[[1974]] ई. में रवीन्द्र सिंह विष्ट के नेतृत्व में की गयी थी। [[बणावली (हरियाणा)|बणावली]] में दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे। एक मकान से धावन पात्र के साक्ष्य मिले हैं, जो किसी धनी सौदागार के आवास की ओर संकेत करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बणावली (हरियाणा)|बणावली]] | |||
{[[आमरी]] संस्कृति कहाँ पर पनपी थी? | {[[आमरी]] संस्कृति कहाँ पर पनपी थी? |
13:20, 13 मार्च 2013 का अवतरण
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