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[[चित्र:Court-Of-Akbar-From-Akbarnama.jpg|thumb|[[अकबरनामा]] के अनुसार, [[अकबर]] के दरबार का एक दृश्य]]
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*आइन-इ-अकबरी लेखनकाल (1590 ई.-1596 ई. लगभग)
'''आइन-इ-अकबरी''' अथवा 'आइना-ए-अकबरी' [[अबुल फ़ज़ल]] द्वारा रचित '[[अकबरनामा]]' का ही एक भाग है। अबुल फ़ज़ल [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के दरबार का विद्वान व्यक्ति था। उसकी यह महान कृति [[भारत]] के परिचय के लिय महत्त्वपूर्ण है। इसे लेखक ने लगभग हिजरी 1006 (1597-98 ई.) में समाप्त किया। इसमें हर एक सूबे, ज़िले और परगनों तक के आंकड़े दिए हुए हैं। तत्कालीन अन्य [[इतिहास]] ग्रंथों से यह इसकी एक और विशेषता है।
*आइन-इ-अकबरी, [[अकबरनामा]] का ही भाग है। अकबरनामा तीन भागों में है जिसमें से तीसरे भाग को आइन-इ-अकबरी कहते है।
==भाग==
*आइन-इ-अकबरी के भी अपने आप में पाँच भाग है। अकबरनामा [[तैमूर]] से लेकर [[अकबर]] और उसकी संतान और अकबर के जीवनकाल में उसके पोते आदि का घटनाक्रम लिखा गया है। [[अबुल फ़ज़ल]] की भाषा कहीं कहीं अतिशयोक्ति पूर्ण है जिसके कारण यह ग्रंथ विशालकाय बन गया है।
'आइन-इ-अकबरी', '[[अकबरनामा]]' का ही भाग है। 'अकबरनामा' तीन भागों में है, जिसमें से तीसरे भाग को 'आइन-इ-अकबरी' कहते हैं। 'आइन-इ-अकबरी' के भी अपने आप में पाँच भाग हैं। 'अकबरनामा' में [[तैमूर]] से लेकर [[अकबर]] और उसकी संतान और अकबर के जीवन काल में उसके पोते आदि का घटनाक्रम लिखा गया है। [[अबुल फ़ज़ल]] की भाषा कहीं-कहीं अतिशयोक्ति पूर्ण है, जिसके कारण यह [[ग्रंथ]] विशालकाय बन गया है। [[अकबर]] के शासन काल में अबुल फज़ल द्वारा लिखित यह [[फ़ारसी भाषा]] का प्रसिद्ध ग्रंथ, जो पांच बार संशोधन के उपरांत 1598 ई. में पूरा हुआ। यह अकबर के समय के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक [[इतिहास]] के अध्ययन के लिए प्रामाणिक कोश माना जाता है।
*[[अकबर]] के शासन काल में [[अबुल फज़ल]] द्वारा लिखित [[फ़ारसी भाषा]] का प्रसिद्ध ग्रंथ जो पांच बार संशोधन के उपरांत 1598 ई. में पूरा हुआ।
==विषयवस्तु==
*यह अकबर के समय के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक [[इतिहास]] के अध्ययन के लिए प्रामाणिक कोश माना जाता है।  
अबुल फ़ज़ल की यह महान कृति [[भारत]] के परिचय के लिय विशेष रूप से मूल्यवान है। इसे लेखक ने हिजरी 1006 (1597-98 ई.) में समाप्त किया था। पांच भागों में विभक्त इस ग्रंथ में शासन के सभी अंगों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की सामाजिक स्थिति, उनके [[धर्म]], [[दर्शन]], [[साहित्य]] आदि का भी उल्लेख है। इसमें हर एक सूबे, ज़िले और परगनों तक के आंकड़े दिए हुए हैं। तत्कालीन अन्य इतिहास ग्रंथों से यह इसकी एक और विशेषता है। इसके बारे में आजाद कहते हैं- 'इसकी तारीफ वर्णनातीत है। हरेक कारखाने, हरेक मामले का हाल, उसके जमा-खर्च का हाल, हरेक काम के कायदा-कानून, साम्राज्य के हरेक सूबे का हाल, उसकी सीमा, क्षेत्रफल इसमें लिखे हैं।
*पांच भागों में विभक्त इस ग्रंथ में शासन के सभी अंगों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ [[हिन्दू|हिन्दुओं]] की सामाजिक स्थिति, उनके धर्म, दर्शन, साहित्य आदि का भी उल्लेख है।  
*इसमें हर एक सूबे, ज़िले और परगनों तक के आंकड़े दिए हुए हैं। तत्कालीन अन्य इतिहास ग्रंथों से यह इसकी एक और विशेषता है।


{{प्रचार}}
पहले हर जगह के ऐतिहासिक हाल, फिर वहाँ का आय-व्यय, प्राकृतिक और शैल्पिक उपज आदि-आदि, वहाँ के प्रसिद्ध स्थान, प्रसिद्ध नदियाँ, नरहें, नाले, उनके उद्गम स्रोत, कहाँ से निकले, कहाँ से गए, क्या लाभ देते, कहाँ-कहाँ खतरा है और कब उनसे नुकसान पहुँचा, आदि-आदि सेना और सेना प्रबन्ध अमीरों की सूची, उनके दर्जे, नौकरों के भेद, दरबारी, विद्वानों की सूची, आलिम और गुनी, संगीतकार, पेशेवर, महात्मा-साधु, तपस्या करने वाले एवं मजारों और मंदिरों का विवरण, उनकी सूची, हिन्दुस्तान की अपनी विशेष चीजों, हिन्दियों के धर्म, विद्या और कितनी ही और बातें इस पुस्तक में दी हुई हैं। 'आइन-इ-अकबरी' की [[भाषा]] अलंकारिक और बहुत कृत्रिम है। लेकिन इसका दोष [[अबुल फ़ज़ल]] को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उसी भाषा को तत्कालीन विद्वान पसन्द करते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= अकबर|लेखक= राहुल सांकृत्यायन|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक= किताब महल, इलाहाबाद|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=293|url=}}</ref>
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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05:55, 22 अप्रैल 2013 का अवतरण

अकबरनामा के अनुसार, अकबर के दरबार का एक दृश्य

आइन-इ-अकबरी अथवा 'आइना-ए-अकबरी' अबुल फ़ज़ल द्वारा रचित 'अकबरनामा' का ही एक भाग है। अबुल फ़ज़ल मुग़ल बादशाह अकबर के दरबार का विद्वान व्यक्ति था। उसकी यह महान कृति भारत के परिचय के लिय महत्त्वपूर्ण है। इसे लेखक ने लगभग हिजरी 1006 (1597-98 ई.) में समाप्त किया। इसमें हर एक सूबे, ज़िले और परगनों तक के आंकड़े दिए हुए हैं। तत्कालीन अन्य इतिहास ग्रंथों से यह इसकी एक और विशेषता है।

भाग

'आइन-इ-अकबरी', 'अकबरनामा' का ही भाग है। 'अकबरनामा' तीन भागों में है, जिसमें से तीसरे भाग को 'आइन-इ-अकबरी' कहते हैं। 'आइन-इ-अकबरी' के भी अपने आप में पाँच भाग हैं। 'अकबरनामा' में तैमूर से लेकर अकबर और उसकी संतान और अकबर के जीवन काल में उसके पोते आदि का घटनाक्रम लिखा गया है। अबुल फ़ज़ल की भाषा कहीं-कहीं अतिशयोक्ति पूर्ण है, जिसके कारण यह ग्रंथ विशालकाय बन गया है। अकबर के शासन काल में अबुल फज़ल द्वारा लिखित यह फ़ारसी भाषा का प्रसिद्ध ग्रंथ, जो पांच बार संशोधन के उपरांत 1598 ई. में पूरा हुआ। यह अकबर के समय के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इतिहास के अध्ययन के लिए प्रामाणिक कोश माना जाता है।

विषयवस्तु

अबुल फ़ज़ल की यह महान कृति भारत के परिचय के लिय विशेष रूप से मूल्यवान है। इसे लेखक ने हिजरी 1006 (1597-98 ई.) में समाप्त किया था। पांच भागों में विभक्त इस ग्रंथ में शासन के सभी अंगों पर प्रकाश डालने के साथ-साथ हिन्दुओं की सामाजिक स्थिति, उनके धर्म, दर्शन, साहित्य आदि का भी उल्लेख है। इसमें हर एक सूबे, ज़िले और परगनों तक के आंकड़े दिए हुए हैं। तत्कालीन अन्य इतिहास ग्रंथों से यह इसकी एक और विशेषता है। इसके बारे में आजाद कहते हैं- 'इसकी तारीफ वर्णनातीत है। हरेक कारखाने, हरेक मामले का हाल, उसके जमा-खर्च का हाल, हरेक काम के कायदा-कानून, साम्राज्य के हरेक सूबे का हाल, उसकी सीमा, क्षेत्रफल इसमें लिखे हैं।

पहले हर जगह के ऐतिहासिक हाल, फिर वहाँ का आय-व्यय, प्राकृतिक और शैल्पिक उपज आदि-आदि, वहाँ के प्रसिद्ध स्थान, प्रसिद्ध नदियाँ, नरहें, नाले, उनके उद्गम स्रोत, कहाँ से निकले, कहाँ से गए, क्या लाभ देते, कहाँ-कहाँ खतरा है और कब उनसे नुकसान पहुँचा, आदि-आदि सेना और सेना प्रबन्ध अमीरों की सूची, उनके दर्जे, नौकरों के भेद, दरबारी, विद्वानों की सूची, आलिम और गुनी, संगीतकार, पेशेवर, महात्मा-साधु, तपस्या करने वाले एवं मजारों और मंदिरों का विवरण, उनकी सूची, हिन्दुस्तान की अपनी विशेष चीजों, हिन्दियों के धर्म, विद्या और कितनी ही और बातें इस पुस्तक में दी हुई हैं। 'आइन-इ-अकबरी' की भाषा अलंकारिक और बहुत कृत्रिम है। लेकिन इसका दोष अबुल फ़ज़ल को नहीं दिया जा सकता, क्योंकि उसी भाषा को तत्कालीन विद्वान पसन्द करते थे।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अकबर |लेखक: राहुल सांकृत्यायन |प्रकाशक: किताब महल, इलाहाबाद |पृष्ठ संख्या: 293 |

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